February agriculture work: किसानों के लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि कौन से महीने में कौन से कृषि कार्य करने चाहिए. क्योंकि फसलों की अच्छी पैदावार मौसम पर ही निर्भर करती है. इसलिए तो अलग-अलग सीजन में अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है, ताकि इन फसलों पर मौसम की मार ना पड़ सके.
फिलहाल फरवरी का महीना चल रहा है. ऐसे में किसानों को इस महीने कौन से कृषि कार्य करने चाहिए ये जानना बेहद जरूरी है. क्योंकि अगर सही जानकारी नहीं हो तो किसानों की फसलों की पैदावार भी प्रभावित हो सकती है. इसलिए फरवरी महीने में किए जाने वाले कृषि कार्यों की सही जानकारी किसानों के पास होनी बेहद जरूरी है.
फरवरी महीने के कृषि कार्य को लेकर बिहार सरकार के कृषि विभाग ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के कई सारे ट्वीट कर इसकी जानकारी साझा की है. ऐसे में चलिए जानते हैं फरवरी महीने में किए जाने वाले कृषि कार्य के बारे में.
बिहार सरकार कृषि विभाग के मुताबिक फरवरी महीने के कृषि कार्य
रोपे हुए प्याज की समय-समय पर निराई और सिंचाई करते रहें और प्याज में थ्रिप्स के नियंत्रण हेतु प्रति हेक्टेयर 20 पीला चिपकने वाले फंदों का इस्तेमाल करना लाभप्रद है. आवश्यकता पड़ने पर इमिडाक्लोप्रीड 17.8 एस.एल. का 1 एम.एल प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
प्याज में उखड़ा रोग के नियंत्रण के लिए कॉपरऑक्सी क्लोराइड 50% घुलनशील चूर्ण का 3 ग्राम या मैंकोजेब 75% घुलनशील चूर्ण का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें, घोल में स्टीकल अवश्य मिलाएं और सादापाट (कैपसुलरिस) की बुवाई करें.
आलू के अगात प्रभेद की खुदाई करें. आलू खुदाई के 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें.
अगर पीली सरसों में फली लगना शुरू हो गई है तो सिंचाई करें. तिलहन में लाही का नियंत्रण गतपक्ष के संदेशानुसार करें.
गरमा मूंग को थिरम या कैप्टॉन 2.5 ग्राम या ट्राइकोडर्मा 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें. फली छेदक का नियंत्रण से पहले दिए गए संदेशानुसार करें.
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