महामारी के बाद औषधियों पौधों (Medicinal Plants) की डिमांड में तेज़ी आयी है और जो भी किसान इनकी खेती कर रहे हैं, उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है. यदि आप भी कोई मेडिसिनल प्लांट उगाना चाहते हैं और अच्छा रिटर्न कामना चाहते हैं, तो अश्वगंधा की खेती कर लाखों का कारोबार (Ashwagandha Cultivation in India) खड़ा कर सकते हैं. अश्वगंधा की व्यावसायिक खेती (Ashwagandha Commerical Farming) से अच्छा मुनाफा होता है. बशर्ते कि अच्छी कृषि प्रबंधन प्रथाएं हों और उचित विपणन मॉडल बनाया गया हो.
क्या होता है अश्वगंधा (What is Ashwagandha)
अश्वगंधा एक कठोर और सूखा सहिष्णु पौधा है. इसको "भारतीय जिनसेंग" या "जहर आंवला" या "शीतकालीन चेरी" के रूप में भी जाना जाता है और यह भारत के उत्तर-पश्चिमी और मध्य भागों में उगाया जाने वाला एक देशी औषधीय पौधा है. अश्वगंधा जड़ी बूटी एक महत्वपूर्ण प्राचीन पौधा है जिसकी जड़ों का उपयोग भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति जैसे आयुर्वेद और यूनानी में किया गया है. अश्वगंधा जड़ी बूटी "सोलानेसी" और 'विथानिया' के जीनस के परिवार से संबंधित है और इसका वैज्ञानिक नाम "विथानिया सोम्निफेरा" है.
अश्वगंधा के सामान्य नाम (Common Names of Ashwagandha)
असगंध, नागौरी असगंध, पुनीर, विंटर चेरी, ज़हर आंवला, और भारतीय जिनसेंग
अश्वगंधा की खेती (Ashwagandha Farming)
मिट्टी (Soil)
Ashwagandha 7.5 से 8.0 की सीमा में पीएच वाले अच्छे जल निकासी वाली रेतीली दोमट या हल्की लाल मिट्टी में उगाए जाने पर सबसे अच्छा परिणाम देता है. अश्वगंधा को उस मिट्टी में उगाना संभव नहीं है जो नमी बनाए रखती है और जलभराव बनी रहती है. मिट्टी ढीली, गहरी और अच्छी जल निकासी वाली होनी चाहिए. अच्छी जल निकासी वाली काली या भारी मिट्टी भी अश्वगंधा की खेती के लिए उपयुक्त होती है.
बुवाई का समय (Sowing Period)
अश्वगंधा की खेती के लिए जून-जुलाई के महीने में नर्सरी तैयार करें.
अंतर (Spacing)
वृद्धि की आदत और अंकुरण प्रतिशत के आधार पर, 20 से 25 सेमी लाइन से लाइन की दूरी 10 सेमी पौधे से पौधे की दूरी का उपयोग करें.
बुवाई की गहराई (Sowing Depth)
बीज आमतौर पर लगभग 1 से 3 सेमी गहरा बोया जाता है.
बुवाई की विधि (Sowing Process)
मुख्य खेत में रोपाई की विधि का प्रयोग किया जाता है.
अश्वगंधा पौधों की पानी की आवश्यकता (Water Requirement of Ashwagandha Plants)
Ashwagandha Ki Kheti अत्यधिक सिंचाई या जलभराव की स्थिति को सहन नहीं करती है. रोपाई के समय हल्की सिंचाई करने से मिट्टी में पौध की बेहतर स्थापना सुनिश्चित होती है. बेहतर जड़ उपज के लिए 8 से 10 दिनों के अंतराल में एक बार फसल की सिंचाई करें.
अश्वगंधा फसल के कीट और रोग (Ashwagandha Crop Pests and Diseases)
अश्वगंधा की खेती में पाए जाने वाले सामान्य कीट और रोग में एफिड्स, माइट्स और कीट का हमला शामिल है. हालांकि, इस फसल में कोई गंभीर कीट नहीं पाए जाते हैं. इन घटनाओं को कम करने के लिए रोगमुक्त बीजों का चयन करना और बोने से पहले बीजों का उपचार करना आवश्यक है. रोगों से बचाव के लिए नीम, चित्रमूल, धतूरा, गोमूत्र आदि से जैव-कीटनाशक तैयार किए जा सकते हैं. इनके अलावा फसल चक्र अपनाकर और मिट्टी की उचित निकासी होने से किसी भी रोग का प्रभाव कम होगा.
अश्वगंधा की कटाई कब और कैसे करें (When and how to harvest Ashwagandha)
सूखे पत्ते और लाल-नारंगी जामुन परिपक्वता और फसल के समय का संकेत देते हैं. अश्वगंधा की फसल बुवाई के 160-180 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. जड़ों के लिए पूरे पौधे को उखाड़ देना चाहिए. और फिर उन्हें सुखाने की सुविधा के लिए 8 से 10 सेमी के छोटे टुकड़ों में काट दिया जाना चाहिए.
अश्वगंधा से होने वाले स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits of Ashwagandha)
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अश्वगंधा प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है.
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अश्वगंधा कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है.
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अश्वगंधा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है.
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अश्वगंधा दिल के लिए अच्छा होता है.
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अश्वगंधा कोलेजन को उत्तेजित करता है और घाव भरने को बढ़ावा देता है.
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अश्वगंधा अवसाद, तनाव और चिंता को कम करता है.
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अश्वगंधा निष्क्रिय थायराइड को उत्तेजित करता है.
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अश्वगंधा मांसपेशियों और ताकत को बढ़ाता है.
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अश्वगंधा सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है.
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अश्वगंधा याददाश्त और संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ाता है.
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अश्वगंधा पुरुषों और महिलाओं दोनों में स्वस्थ प्रजनन प्रणाली को लाभ पहुंचाता है.
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अश्वगंधा ऊर्जा के स्तर और जीवन शक्ति को बढ़ाता है.
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अश्वगंधा जोड़ों और आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.
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अश्वगंधा किसी प्रकार की कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है.
भारत में अश्वगंधा के प्रमुख उत्पादन राज्य (Major production states of Ashwagandha in India)
भारत में इस फसल के मुख्य उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश हैं.