गेंहू के आटे से बनी रोटी सब लोगों को बेहद पसंद होती हैं. ज्यादातर लोग सेहत के लिए गेहूं की रोटी को ही अधिक फायदेमंद मानते हैं, लेकिन गेहूं रोटी से ज्यादा बाजरे की रोटी सबसे अधिक फायदेमंद होती है.
बाजार में भी गेहूं की तुलना में बाजरा अधिक महंगा बिकता है. अगर कोई किसान भाई खरीफ के सीजन में बाजरे की खेती (Bajre Ki Kheti) करना चाहते हैं, तो यह लेख उनके लिए काफी लाभकारी है. तो आइए इस लेख में खरीफ बाजरे की खेती के बारे में जानते हैं...
खरीफ बाजरे की खेती (Kharif Bajra Farming)
खरीफ के मौसम में बाजरे की खेती करना उपयुक्त माना जाता है. इसके लिए किसान गर्मी के दिनों में ही खेत की अच्छे से जुताई करके उसमें से खरपतवार को हटा दें. ध्यान रहे कि किसान पहली जुताई में ही खेत में लगभग 2 से 3 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में अच्छे से मिलाएं. अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए. यह जुताई कम से कम 2 से 3 बार करें. इसके बाद खेत में बुवाई प्रक्रिया शुरू करें.
इस बात का भी किसान भाई ध्यान रखें कि आप किस खेत पर बाजरे की खेती करने जा रहे है, उस जगह पर दीमक और लट का प्रभाव ना हो. अगर ऐसा प्रभाव आपको दिखाई देता है, तो आप खेत में 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से फास्फोरस से एक बार भी जुताई करें.
बीज और बुवाई का सही समय (Seed and sowing time)
जो किसान भाई उत्तर भारत में बाजरे की खेती करना चाहते हैं, तो वह इसकी खेती जुलाई के पहले सप्ताह में करना शुरू कर दें. बाजरे की खेती में किसान बुवाई में लगभग 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का उपयोग करें और साथ ही बीजों की बुवाई की दूरी 40 से 50 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए. बाजरे के बीज को एक कतार में बोएं. अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए समय-समय पर पौधों की रोपाई करते रहे. 1 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधा रोपाई के लिए करीब 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में 2-3 किलोग्राम बीज करें.
बाजरे की खेती के लिए उन्नत किस्में
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आई.सी. एम.बी 155, डब्लू.सी.सी.75,
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आई.सी. टी.बी.8203
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राज-171
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पूसा-322
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पूसा 23
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आई.सी एम एच.441
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बायर-9444हाइब्रिड बाजरा
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पायोनियर बाजरा बीज 86एम 88
सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन (Irrigation and Fertilizer Management)
किसान भाइयों को बाजरे की खेती (millet cultivation) के लिए अधिक सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होती है. समय पर बारिश नहीं होने पर भी 10-15 दिनों के अंतराल पर बाजरे की सिंचाई करें. पौधे में जब फूल और दाना आने लगे तो उस स्थित में खेत में नमी का मात्रा कम नहीं होनी चाहिए.
उर्वरक (Fertilizer)
सिंचित क्षेत्र में किसानों को नाइट्रोजन 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, फास्फोरस 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, पोटाश 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए. वहीं बरानी क्षेत्रों में नाइट्रोजन 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, फास्फोरस 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, पोटाश 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उर्वरकों को देना चाहिए.
बाजरे की खेती में लगने वाले रोग व कीट
बाजरे की खेती का किसानों को बेहद ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसमें कई तरह के रोग लगते हैं. जिसमें दीमक, तना मक्खी कीट सफेद लट, मृदु रोमिल आसिता, अर्गट और हरित बाली रोग आदि हैं. इसके बचाव के लिए किसानों को खेत में बीज शोधन करें और साथ ही लगातार खेत में बाजरा की फसल न लगाएं.
फसल चक्र (Crop circle)
बाजरे की खेती से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना चाहिए. इसके लिए किसानों को अपने खेत में फसल चक्र की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए.
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बाजरा – गेहूं या जौ
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बाजरा – सरसों या तारामीरा
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बाजरा – चना, मटर या मसूर
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बाजरा – गेहूं या सरसों – ग्वार, ज्वार या मक्का (चारे के लिए)
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बाजरा – सरसों – ग्रीष्मकालीन मूंग