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Updated on: 4 January, 2023 10:46 AM IST
कपास की खेती का तरीका

भारत में बदलते दौर में अब खेती को लेकर भी लोगों का रुख बदल रहा है. ऐसे में कपास की बात करें तो भारत की लगभग 9.4 मिलियन हेक्टेयर की भूमि पर कपास की खेती की होती है. कपास की खेती नगदी फसल के रूप में होती है. खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिलता है. बाजार में कपास की कई प्रजातियाँ आती हैंजिनसे ज्यादा पैदावार मिलती है. सबसे ज्यादा लम्बे रेशों वाली कपास को अच्छा माना जाता है. कपास की खेती में ज्यादा मेहनत लगती है. इसका उपयोग कपड़ा बनाने में ज्यादा होता है. इसके बीज से तेल भी निकाला जाता हैबचा भाग पशुओं को खिलाया जाता है. इसलिए खेती भी मुनाफेमंद है आइए जानते हैं खेती करने का तरीका

कपास की खेती के लिए जलवायु  

कपास की फसल लंबी अवधि की फसल है. कपास के लिए स्वच्छगर्म और शुष्क जलवायु अनुकूल होती है. बीजों के अंकुरण के लिए आवश्यक तापमान 18-20 डिग्री सेल्सियस और आगे बढ़ने के लिए 20-27 डिग्री सेल्सियस होता है. न्यूनतम और अधिकतम तापमान 15-35 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 75% से कम होनी चाहिए. इस प्रकार का मौसम गर्म दिनों और ठंडी रातों में बांडों को अच्छी तरह से भरने और उबालने के लिए उपयुक्त होता है. 

कपास की खेती के लिए मिट्टी 

कपास की फसल लगभग महीने खेत में रहती है. इसलिए मिट्टी का चयन अहम होता है. कालीमध्यम से गहरी (90 सेमी) और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का चयन करें. कपास को उथलीहल्की खारी और दोमट मिट्टी में लगाने से बचें. पोषक तत्वों की उपलब्धता और मिट्टी की सतह के बीच संबंध के कारण मिट्टी की सतह लगभग से 8.5 होनी चाहिए.

खेती के लिए बुवाई का तरीका

सिंचित गैर-बीटी कपास की समय पर बुवाई जरूरी है. देर से बिजाई करने से बिक्री के समय बारिश या कीटों और बीमारियों के प्रकोप के कारण नुकसान होता है.  कपास के बीज़ो को खेत में लगाने से पहले उन्हें उपचारित कर लेना चाहिए. देशी किस्म के बीज़ो को खेत में लगाते समय दो लाइन के बीच 40 सेंटीमीटर तथा दो पौधों की बीच में 30 से 35 सेंटीमीटर की दूरी का होना जरूरी होता है. अमेरिकन किस्म में दो लाइनो की बीच 50 से 60 सेंटीमीटर की दूरी तथा दो पौधों की बीच में 40 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए. संकर बीटी वाले पौधों के बीज खेत में लगाते समय दो कतारों के बीच 100 सेंटीमीटर तथा दो पौधों के बीच में 60 से 80 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए.

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कपास की सिंचाई

कपास की खेती में बहुत ही कम पानी की जरूरत होती हैबारिश के मौसम में तो जरूरत ही नहीं होती. बाकी मौसम में 45 दिन के बाद सिंचाई कर देनी चाहिए .कपास के पौधे अधिक धूप में अच्छे विकसित होते है इसलिए पहली सिंचाई करने के बाद जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करें. लेकिन पौधों में फूल लगने के वक़्त खेत में नमी की उचित मात्रा बनी रहनी चाहिए जिससे पौधों के फूल झड़े नहींकिन्तु अधिक पानी होने पर  फूलो के ख़राब होने का खतरा रहता है. जब फूल से टिंडे बनने लगे तब खेत में 15 दिन में पानी दें जिससे टिंडे का आकार बड़ा और पैदावार भी अधिक होती है.

English Summary: Farmers will get huge profit in cotton farming, know the right way of farming
Published on: 04 January 2023, 10:54 AM IST

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