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Updated on: 9 March, 2023 9:00 PM IST
गुलदाउदी की खेती

पुष्पीय पौधों में गुलदाउदी का अहम स्थान है, खास बात ये है कि गुलदाउदी की खेती कृत्रिम वातावरण में पॉलीहाउस में बेमौसम भी की जा सकती है, गुलदाउदी के फूल उस समय मिलते हैं जब अन्य फूल बहुत कम मात्रा में होते हैं, गुलदाउदी शीत ऋतु का एक बेहद आकर्षक और लोकप्रिय फूल है, साथ ही यह शरद ऋतु की रानी भी कहलाता है. इसे ‘ग्लोरी आफ ईस्ट’ के नाम से भी जाना जाता है, फूलों का उपयोग मुख्य रूप से पार्टी व्यवस्था, धार्मिक चढ़ावे और माला बनाने के लिए होता है, यह जड़ी बूटी का सदाबहार पौधा है जो कि 50-150 से.मी. कद तक बढ़ता है, इसकी डिमांड ज्यादा होने की वजह से किसानों को खेती से अच्छा लाभ मिलता है. 

उपयुक्त जलवायु- गुलदाउदी का पौधा शरद ऋतु वाला है, इसके पौधे ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में ठीक से विकास नहीं कर पाते हैं, अच्छे विकास के लिए 8 से 16 डिग्री तापमान की जरूरत होती है इससे अधिक या कम तापमान में पौधा विकास नहीं कर पाता. 

उपयुक्त मिट्टी- गुलदाउदी की खेती सभी तरह की भूमि में हो सकती है, लेकिन अधिक उत्पादन के लिए प्रचुर मात्रा में जीवाश्म से युक्त बलुई दोमट मिट्टी और उचित जल निकासी वाली भूमि जरूरी है. खुली धूप वाली जगह पर भी गुलदाउदी का पौधा ठीक से विकास करता है. 5.5 से 6.5 के बीच पीएच मान होना चाहिए. 

खेत की तैयारी- खेत की मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए मिट्टी पलटने वाले हलों से खेत की 3 से 4 गहरी जुताई करनी चाहिए फिर भुरभुरी मिट्टी को समतल करने के लिए पाटा लगा दें, इसके बाद सिंचाई अनुसार उचित आकार वाली क्यारियों को तैयार करें. गुलदाउदी के प्रति हेक्टेयर के खेत में आखिरी जुताई के समय खेत में 25-30 टन सड़ी गोबर की खाद डालें और जुताई कर खाद को मिट्टी में मिलाएं, फिर खाद का छिड़काव पौध रोपाई के 8 सप्ताह बाद खड़ी फसल पर करना चाहिए. 

पौधारोपण- गुलदाउदी के गांठों को लगाने के लिए फरवरी से मार्च का महीना सबसे अच्छा माना जाता है, टहनियों की रोपाई के लिए जून-जुलाई का महीना उपयुक्त होता है. इन पौधों की रोपाई कतारों में की जाती है और पौधों के बीच 30X30 सेमी का फासला रखना चाहिए. वहीं बीज बुवाई के लिए प्रजनन विधि का इस्तेमाल करते हैं और बीजों को पॉलीथिन या लिफाफों में एक से दो सेमी. की गहराई में लगाते हैं. इन बीजों को खेत में लगाने से पहले कैप्टान 0.2% या सीरेसन 0.2% की मात्रा से उपचारित करें. 

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सिंचाई- पौध रोपण करने के साथ-साथ सिंचाई का काम भी शुरू हो जाता है, जैसे कि एक क्यारी में पौध रोपण होने के बाद उस क्यारी में पाइप से इतना पानी दें कि जड़ों और मिट्टी के बीच में बिलकुल फासला न रहे, ऐसा न करने से पौध की मृत्यु दर बढ़ने की संभावना रहती है. रोपण की पहली सिंचाई के बाद हल्का-हल्का पानी ड्रिप सिंचाई या पाइप से देना चाहिए. 5 से 6 मिनट के अंतराल पर 2 से 3 बार ड्रिप चलाना चाहिए, ड्रिप सिंचाई पद्धति न होने पर जरूरत के हिसाब से सप्ताह में 2 से 3 बार हल्की सिंचाई करनी चाहिए.

English Summary: Farmers will get bumper profits from chrysanthemum farming, know what is the specialty
Published on: 09 March 2023, 03:01 PM IST

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