फूलों की खेती किसानों के लिए मुनाफेदार साबित हो सकती है, बस जरुरत है तो सही फूल की किस्म के चयन की. बाजार में फूलों की मांग हमेशा से बनी रहती है, फिर चाहे वो फूलों की माला हो, तीर्थ स्थल, शादी समारोह के लिए फूल और गुलदस्ते ही क्यों ना हों. आज हम इस लेख में फूल की एक ऐसी किस्म की जानकारी देने जा रहे हैं, जिसका उपयोग गुलदस्ता बनाने के लिए किया जाता है. तो आइए जानते हैं ग्लेडियोलस की खेती के बारे में.
ग्लेडियोलस की खेती
ग्लेडियोलस लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ तलवार जैसी पत्तियां होती हैं. इसका वानस्पतिक नाम ग्लेडियोलस ग्रैंडीफ्लोरस है. यह पौधा अफ्रीका में उत्पन्न हुआ है. ग्लेडियोलस के बिना गुलदस्ता पूर्ण नहीं माना जाता हैं.
ग्लेडियोलस फूल
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ग्लेडियोलस के फूल की लंबाई 50-100 सेंटीमीटर होती है.
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पुष्प का जीवनकाल 8-10 दिन होता है.
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बुवाई का समय- रबी मौसम (शीतोष्ण जलवायु)
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बीज दर- 5 लाख घनकंद प्रति हैक्टेयर होती है.
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इसका पौध लगाने का समय अगस्त-अक्टूबर होता है.
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इसके रोपण की दूरी 20×30 सेंटीमीटर होती है.
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रोपण के लिए 16-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है.
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ग्लैडियोलस अल्प प्रकाश प्रभावी पौधा होता है.
ग्लेडियोलस फूल का प्रवर्धन
इसका प्रवर्धन घनकंदो, जो कि 4-5 सेंटीमीटर के होते हैं तथा वजन 30-40 ग्राम होता है के द्वारा होता है.
ग्लेडियोलस फूल की किस्में
शोभा, पुसा सूवासिनी, पीटर पीयर्स, ऑस्कर, ब्लू स्काई, मयूर, प्रभा, ज्वाला, गजल, मेलोडी, सुचित्रा, सुचित्रा, फ्रेंडशिप आदि ग्लेडियोलस फूल की उन्नत किस्में हैं.
उपज
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25-1.50 लाख स्पाइक प्रति हैक्टेयर
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-1.5 - 1.80 लाख घनकंद प्रति हैक्टेयर
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या 125 - 150 क्विंटल घनकंद प्रति हैक्टेयर
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ग्लैडीओलस में कुछ दैहिक विषमताएं आ जाती हैं जो कि इस कारण से होती हैं-
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ब्लाइंडनेस - यह जलवायु के असंतुलन के कारण होता है.
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रॉयल और बड रोट- यह कैल्शियम की कमी के द्वारा हो जाता हैं.
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ऋणात्मक जियोट्रॉफिज्म - यह ऑक्सिन नामक तत्व की कमी के कारण होता हैं.