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Updated on: 24 January, 2023 2:06 PM IST
किन्नू की खेती

देश में कृषि अब नई करवट ले रही है. नई तकनीकों के इस्तेमाल और नये-नये अविष्कारों से खेती की दशा और दिशा दोनों बदल रही है. पहले के दौर के मुकाबले आज खेती से आमदनी की अपार सम्भावनाएं हैं. ऐसे में आपको किन्नू के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो न सिर्फ संतरे जैसा दिखता है बल्कि सारे गुण भी लगभग संतरे जैसे ही हैं. विटामिन-सी से भरपूर इस फल की खेती करके बंपर कमाई कर सकते हैं. किन्नू एक ऐसी फल वाली फसल है जिसकी खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है. किन्नू में विटामिन सी के साथ विटामिन एबी की मात्रा अधिक होती है इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है. शरीर में खून बढ़ता है और हड्डियां मजबूत होती है. देश के साथ ही विदेश में भी किन्नू की डिमांड ज्यादा है इसलिए किन्नू की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आइये जानते हैं खेती का उन्नत तरीका-

अनुकूल जलवायु

खेती के लिए गर्म अर्धशुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है. फसल के लिए 13 डिग्री से 37 डिग्री सेल्सियस अच्छा होता है और किन्नू हार्वेस्टिंग टेम्प्रेचर 20-32 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. इसकी फसल के लिए 300-400 मिलिमीटर बारिश पर्याप्त होती है.

उपयुक्त मिट्टी

खेती के लिए उचित जल निकासी वाली चिकनी मिट्टीदोमट मिट्टी बढ़िया मानी जाती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5-7.5 के बीच होना चाहिएकिन्नू की खेती के लिए नमकीन और क्षारीय मिट्टी उत्तम नहीं मानी जाती है. पौधों की रोपाई का उपयुक्त समय जून से सितंबर के बीच का है. एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 200 से 220 पौधे लगा सकते हैं.

खेत कैसे तैयार करें

सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की गहरी जुताई कर खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ें ताकि खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाएं. फिर आवश्यकतानुसार पुरानी गोबर की खाद खेत में डालकर 2-3 आड़ी-तिरछी गहरी जुताई कर पलेवा करें. खेत की ऊपरी सतह सूख जाने पर फिर से जुताई कर रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर खेत को समतल करें.

रोपाई का समय और तरीका

किन्नू के बीज की रोपाई सीधा बीज के रूप में न करके पौधे के रूप में करते हैं. इसके लिए किन्नू के बीज को प्रजनन टी-बडिंग विधि के माध्यम से तैयार करते हैं. नर्सरी में बीज को 2X1 मीटर आकार वाली बैंडो पर 15 सेटीमीटर की दूरी पर कतार में लगाए. जब किन्नू का पौधा 10 से 12 सेटीमीटर लंबा हो जाए तो उसे निकाल कर खेत में रोपाई करें. खेत में केवल स्वस्थ पौधों को ही लगाएं. किन्नू के कमजोर और छोटे पौधों को खेत में न लगाए. पौधों को खेत में लगाने से पहले जड़ों की छंटाई जरूर करें. खेत में पौधों को लगाने से पहले गड्ढे को तैयार कर लें. गड्ढे तैयार करने के लिए लिए 60×60×60 सेटीमीटर वाले गड्ढे खोदेंएक गड्ढे से दूसरे गड्ढे के बीच 6×6 मीटर की दूरी रखें. इन गड्ढों में 10  किलोग्राम रूडी और 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट खाद डालें. पौधों को तेज हवा से बचाने के लिए खेत के चारों ओर अमरुदजामुनशीशमआमशहतूत और आंवला के पौधे लगा सकते हैं. 

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सिंचाई

किन्नू के पौधों को लगाने के बाद शुरुआत में ज्यादा सिंचाई करनी होती है. इसके लिए खेत में हल्की-हल्की सिंचाई कर नमी बनाए रखें. जब पौधे से 4  साल पुराने हो जाएं तो हफ्ते में एक बार पानी देना जरूरी होता हैऔर उससे अधिक पुराने पौधों को मौसम और जलवायु के हिसाब से बारिश के मौसम में से हफ्तों में पानी देना जरूरी होता है.

English Summary: Farmers will be rich from Kinnow farming, this is how to get more yield from advanced farming
Published on: 24 January 2023, 02:19 PM IST

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