किसानों की आय को दोगुना (Double Income of Farmer) करने का सपना अब सच होता दिख रहा है. कृषि में लगातार कई तरह की अविष्कार किये जा रहे हैं जो किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगे और कुछ ऐसी ही खबर अब बिहार (Bihar) से भी आ रही है.
जी हां बिहार के 10 जिलों (10 District) के किसानों की आय जल्द ही दोगुनी की जा सकती है, क्योंकि अब केंद्र सरकार (Central Government) भी जलवायु अनुकूल खेती (Climate Friendly Farming) शुरू करने जा रही है. इसके लिए केंद्रीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने देश भर के जिलों का चयन किया है जिसमें बिहार के 10 जिले शामिल हैं.
कौन-से जिले है शामिल (Which districts are included)
केंद्र द्वारा जलवायु अनुकूल खेती के लिए बिहार के 10 जिलों का चयन किया गया है, जिसमें दरभंगा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीवान, सहरसा, लखीसराय, किशनगंज, भागलपुर, नालंदा और सीतामढ़ी (Darbhanga, East Champaran, West Champaran, Siwan, Saharsa, Lakhisarai, Kishanganj, Bhagalpur, Nalanda and Sitamarhi) शामिल हैं.
अनुकूल खेती की तरह बढ़ते कदम (Steps like adaptive farming)
सरकार का मानना है कि जलवायु परिवर्तन का असर कृषि पर भी पड़ा है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा है. ऐसे में जलवायु के अनुकूल खेती एक कारगर पहल हो सकती है.
कृषि क्षेत्र में होगी उन्नति (Progress in agriculture)
आपको बता दें कि बिहार सरकार ने पहले ही राज्य के कई जिलों में जलवायु के अनुकूल खेती शुरू कर दी है, जिसका फायदा किसानों को भी मिल रहा है. ऐसे में केंद्र की योजना राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई योजना से अलग होगी. केंद्र की इस योजना में कृषि, पशुपालन और बागवानी (Agriculture, Animal Husbandry and Horticulture) से जुड़ी गतिविधियों को जलवायु के अनुकूल बनाया जाएगा.
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किसानों को बिना जुताई वाली खेती, कृषि मशीनरी, तकनीक की दी जाएगी जानकारी (Farmers will be given information about uncultivated farming, agricultural machinery, technology)
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाणे का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही जलवायु अनुकूल कृषि योजना के अलावा, इस योजना को 'नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेसिलिएंट एग्रीकल्चर योजना (National Innovation in Climate Resilient Agriculture- NIKRA) का नाम दिया गया है.
उन्होंने कहा कि निक्रा की ओर से सभी चयनित जिलों के कृषि विज्ञान केंद्र इस योजना को चलाएंगे, जबकि बिहार कृषि विश्वविद्यालय इस योजना की निगरानी करेगा. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों की सलाह भी किसानों को दी जाएगी. किसानों के बीच बिना जुताई, कृषि मशीनरी, प्रौद्योगिकी से संबंधित जानकारी का प्रसार किया जाएगा.