यूरोप के मार्केट का सुपर फूड कहे जाने वाले इंडिगो रोज टोमेटो यानी कि काले टमाटर की खेती अब भारत में भी शुरू हो चुकी है. काले टमाटर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये जल्दी खराब नहीं होते हैं. इसमें बीज भी बहुत कम होते हैं. साधारण टमाटर की तुलना में इसकी कीमत भी ज्यादा होती है. यह टमाटर शुगर के मरीजों के लिए काफी लाभदायक होता है. तो आइये जानें काले टमाटर की खेती में कितना खर्च होता है और किसान इससे कितनी कमाई कर सकते हैं.
काला टमाटर की खेती
जिस तरह से लाल टमाटर की खेती होती है, वैसे ही काले टमाटर को भी उगाया जाता है. हालांकि, काले टमाटर को पकने में थोड़ा अधिक समय लगता है. बुवाई के बाद इस टमाटर को तैयार होने में करीब चार महीने का समय लग जाता है. वहीं, लाल टमाटर केवल तीन महीने में ही पककर तैयार हो जाते हैं. काले टमाटर की खेती के लिए गर्म क्षेत्र उपयुक्त होते हैं. इसके लिए किसी खास तरह की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है. दोमट मिट्टी में भी काले टमाटर की खेती कर सकते हैं. इसकी बुवाई अक्सर अक्टूबर-नवंबर के बीच होती है. वहीं, मार्च-अप्रैल में किसान इसकी तुड़ाई में जुट जाते हैं. भारत में इसकी खेती बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश के किसान कर रहे हैं. इससे उनकी अच्छी कमाई हो रही है.
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काले टमाटर से दूर रहती हैं बीमारियां
काले टमाटर के अंदर कई बड़े गुण होते हैं. जो कैंसर सहित कई बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचाव कर सकते हैं. इसमें प्रोटीन और विटामिन ए जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. यह टमाटर आंखों की रौशनी को बढ़ाने में भी मदद करता है. वहीं, काले टमाटर का स्वाद नमकीन होता है. इसे लाल टमाटर की तरह सलाद के रूप में भी खा सकते हैं.
ये है लागत व कमाई
अब सबसे जरुरी सवाल ये आता है कि काले टमाटर की खेती में कितना खर्च होता है और क्या फायदा होगा. तो बता दें कि एक एकड़ काले टमाटर की खेती में आम तौर पर सबकुछ जोड़कर लगभग एक लाख रुपये का खर्च आता है. वहीं, इसका उत्पादन मिट्टी व बुवाई के समय पर निर्भर करता है. आम तौर पर एक एकड़ में करीब 200 क्विंटल काले टमाटर का उत्पादन होता है. बाजार में यह कम से कम 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है. इसी तरह किसान अपनी लागत को काटकर काले टमाटर की खेती से करीब चार महीनों में तीन लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं.