देश के किसान अक्सर खरीफ मौसम में चीना फसल को उगाते हैं, जब मानसूनी वर्षा सीमित होती है। लेकिन जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, वहां चीना को ग्रीष्म फसल के रूप में भी उगाया जा सकता है। यह फसल न केवल शुष्क भूमि खेती के लिए उपयुक्त है बल्कि गहन फसल प्रणाली में भी अपनी जगह बना चुकी है और इस फसल को असिंचित यानी बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। यही कारण है कि इसे सूखा-प्रतिरोधी फसल कहा जाता है.
60 -90 दिनों में पकने वाली फसल
चीना भारत में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण लघु फसल है। फसल जल्दी पकने के कारण सूखे से बचने में सक्षम है। अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता वाली कम अवधि की फसल (60 -90 दिन) होने के कारण, यह सूखे की अवधि से बच जाती है और इसलिए शुष्क भूमि क्षेत्रों में गहन खेती के लिए बेहतर संभावनाएं प्रदान करती है।
किसानों के लिए लाभदायक सौंदा
असिंचित परिस्थितियों में, बाजरा आमतौर पर खरीफ मौसम के दौरान उगाया जाता है, लेकिन जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, वहां उच्च तीव्रता वाले चक्रों में ग्रीष्म फसल के रूप में इसे लाभप्रद रूप से उगाया जाता है।यह एक सीधा शाकीय वार्षिक पौधा होता है जो प्रचुर मात्रा में उगता है।
इसका पौधा 45-100 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है। तना स्पष्ट रूप से सूजे हुए गांठों के साथ पतला होता है। जड़ें रेशेदार और उथली होती हैं। पत्तियां रेखीय, पतली होती हैं और पत्ती आवरण पूरे इंटर्नोड को घेरता है।
पोषक तत्वों से भरपूर सुपर फूड
चीना की पौष्टिकता प्रमुख अनाज की फसलों से बेहतर है। यह कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, आयरन और जस्ता जैसे खनिजों का एक अच्छा स्त्रोत है। चीना का सेवन ब्लडप्रेशर और मधुमेह के मरीजों के लिए रामबाण होता है.
कैसे खांए?
चीना भिंगोकर, सुखाकर और भूनकर खा सकते हैं. इसे भात, खीर, रोटी आदि बनाकर खाया जाता है. पोषक तत्वों और फाइबर से भरपूर है. प्रति 100 ग्राम चीना में 13.11 ग्राम प्रोटीन और 11.18 ग्राम फाइबर के अतिरिक्त बड़ी मात्रा में आयरन और कार्बोहाइड्रेट पाये जाते हैं. इसलिए इसे पोषक तत्व फसल कहते हैं। इसका भात दही के साथ गजब का स्वाद देता है और भूनकर गुड मिलाकर खाने में भी मज़ेदार होता है।