गेंदे का फूल देखने में बहुत ही आकर्षित लगता है. इसका हल्का नारंगी रंग लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है, इसलिए इसका उपयोग शादी-व्याह जैसे समरोह में सजावट के तौर पर किया जाता है. इसके साथ ही गेंदे के फूल में कई ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो हमारी त्वचा सम्बंधित बीमारियों को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं.
इन्हीं गुणों के चलते इनकी काफी मांग रहती है. इस बीच उत्तर प्रदेश के किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए गेंदे की खेती के लिए उचित जानकारियां दे रही है, ताकि किसान अच्छा मुनाफा कमा सकें. बता दें कि बागपत में बड़े स्तर पर गेंदे की खेती होती है. इसके साथ ही बागपत दिल्ली और हरियाणा क्षेत्र से लगा हुआ है, जिसके चलते इन क्षेत्र में इनकी बिक्री कर अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है.
अफ्रीकन और फ्रेंच गेंदा किस्म (African and French marigold varieties)
वैसे तो गेंदे की खेती (Marigold farming) पूरे साल की जा सकती है, लेकिन नवम्बर गेंदे की खेती के लिए बहुत उचित माना जाता है. बागपत के उद्धान अधिकारी का कहना है कि गेंदे की खेती के लिए सभी प्रकार की किस्में अच्छी होती है. मगर अफ्रीकन और फ्रेंच गेंदा (African and French Marigold) ऐसी किस्में हैं, जो खेती के लिए बहुत अच्छी मानी जाती हैं.
इस खबर को भी पढें - हरियाणा का ये किसान फूलों की खेती से कमाता है भारी मुनाफ़ा, जानें कैसे?
गेंदे की खेती के लिए जानकारी (Information About the Cultivation of Marigolds)
-
गेंदे की खेती के लिए मिटटी की गुणवत्ता सबसे जरुरी है.
-
गेंदे की खेती के लिए बलुई दोमट मिटटी अच्छी मानी जाती है.
-
मिटटी में जल निकास अच्छा होना चाहिए.
-
मिटटी का पीएच मान 50 से लेकर 7 के बीच उचित माना जाता है.
-
गेंदे की अच्छी उपज के लिए गोबर की सड़ी हुई खाद और नीम की खली का उपयोग करना चाहिए.
-
रोपाई से पहले 60 किलोग्राम नाईट्रोजन, 30 किलोग्राम फोस्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए .
-
पौधों की रोपाई करते समय पौधों को 45 सें.मी की दूरी पर लगाना चाहिए.
-
पंक्तियों की दूरी भी 45 सें.मी होनी चाहिए.