भारत के कई राज्यों में किसानों ने रुद्राक्ष की खेती करना शुरु कर दी है. इसकी खेती मध्यप्रदेश, अरुणांचल प्रदेश, गढ़वाल, उत्तराखंड, हरिद्वार, बंगाल, असम और देहरादून के जंगलों में की जा रही है. वहीं मैसूर, नीलगिरी, कर्नाटक में भी रुद्राक्ष काफी संख्या में उगाए जाते हैं. रुद्राक्ष एक फल का बीज है. जिसका धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ औषधीय महत्व भी है.
पूजा पाठ के कामों में रुद्राक्ष का इस्तेमाल होता है. वहीं रुद्राक्ष में औषधीय गुण होने से इसका प्रयोग ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल सामान्य करने में किया जाता है. हालांकि भारत में रुद्राक्ष की खेती उतनी लोकप्रिय नहीं है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत रुद्राक्ष का सबसे बड़ा खरीदार है. बाजारों में रुद्राक्ष की काफी डिमांड रहती है. कई लोग इसे हाथ व गले में पहनते हैं. रुद्राक्ष काफी महंगे दामों में बिकते है. लिहाजा रुद्राक्ष की खेती करना फायदेमंद साबित हो सकता है.
रुद्राक्ष के पेड़ नेपाल, हिमालय, गंगा के मैदानी क्षेत्रों में मिलते हैं. यह पेड़ 50 से 200 फीट ऊंचे होते हैं. भारत में रुद्राक्ष की 300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. रुद्राक्ष का पेड़ सदाबहार पेड़ है.
रुद्राक्ष के लिए मिट्टी व जलवायु
रुद्राक्ष की खेती के लिए अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी की जरुरत होती है, ताकि जलनिकासी होती रहे. इसके साथ ही खेत की मिट्टी तैयार करने के लिए खाद की जरुरत होती है. रुद्राक्ष के पौधे को बढ़ने के लिए ठंडक की जरुरत होती है. इसलिए इसकी खेती ठंडी जगह ज्यादा होती है. आप सामान्य तापमान वाली जगह भी रुद्राक्ष के पौधे उगा सकते हैं. गर्मियों में पौधों को सीधा धूप से बचाएं.
रुद्राक्ष को गर्मी के समय पानी की ज्यादा जरुरत होती है. पौधे के विकास के लिए नमी होना जरुरी है. लेकिन ध्यान रखें कि खेत की मिट्टी में पानी न जमें.
रुद्राक्ष के पौधे की बुवाई
रुद्राक्ष के पौधों की अलग-अलग वैराइटी स्थानीय नर्सरी में मौजूद हैं. इसके अलावा रुद्राक्ष का पेड़ एयर लेयरिंग विधि से भी लगाया जाता है. इसके लिए 3 से 4 साल के पौधे की शाखा में पेपपिन से रिंग काटकर उसके ऊपर मौस लगाई जाती है. इसके बाद 250 माइक्रोन की पॉलीथिन से ढंक दिया जाता है. इसमें 40 से 50 दिनों में जड़ें आ जाती हैं, जिसके बाद इसे काटकर बैग में लगा दिया जाता है. इसके बाद 20 दिनों में पौधा अच्छे से उगने लगता है.
कब आते हैं रुद्राक्ष-
रुद्राक्ष का पेड़ सदाबहार पेड़ है, जिसमें फल आने में 3 साल का समय लगता है. यह पेड़ 200 फीट तक लंबा हो जाता है. इसके बाद इसमें फल आते हैं। सफेद व नीले रंगों के फूलों के अंदर ही गोल आकार का रुद्राक्ष होता है. इसे धोकर व सूखाकर बेचा जाता है. रुद्राक्ष के पौधों से अलग-अलग मुखी रुद्राक्ष निकलते हैं. जिनका आकार अलग-अलग होता है. रंग लाल-सफेद, भूरा, पीला और काला हो सकता है.
रुद्राक्ष की खेती से होगा मुनाफा-
रुद्राक्ष की धार्मिक मान्यता होने के चलते यह बाजार में काफी महंगे दामों पर बिकता है. एक रुद्राक्ष की कीमत 500 रुपए से लेकर हजार या लाख तक भी हो सकती है. नेपाल, इंडोनेशिया से आए रुद्राक्ष की कीमत लाखों में होती है.
पाँच मुख वाले रुद्राक्ष की कीमत सबसे कम होती है, तथा एक मुख, इक्कीस मुख और चौदह मुख वाला रुद्राक्ष बेहद महंगा होता है. इसके अलावा रुद्राक्ष का आयुर्वेद में भी बहुत महत्व होता है, जिसे बेचकर अच्छी आय कमा सकते हैं.