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Updated on: 25 March, 2023 12:46 PM IST

रेडियो संचार का बहुत ही पुराना माध्यम है, मगर टेक्नोलॉजी के विस्तारीकरण के साथ हम रेडियो को कहीं ना कहीं भूलते जा रहे हैं. भले ही रेडियो की जगह इंटरनेट, टेलीविजन और मोबाइल फोन ले ली हो मगर अभी भी रेडियो आम लोग और दूर दराज के इलाकों में खबरों और जानकारियों को पहुंचाने का काम कर रहा है. इसी को देखते हुए आज हम कुमाऊं वाणी रेडियो स्टेशन कम्युनिटी रेडियो के बारे में बताने जा रहे हैं, जो वहां के लगभग 4 लाख किसानों के लिए सूचना और संचार का माध्यम है.

कुमाऊं वाणी रेडियो स्टेशन

कृषि जागरण के किसान पत्रकार डॉ नारायण सिंह से बात करते हुए कुमाऊं वाणी रेडियो स्टेशन के मैनेजर मोहन कार्की बताते हैं कि, यहां पर वैज्ञानिक तथ्यों को रेडियो के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. कम्युनिटी रेडियो होने के नाते उस समुदाय की क्या जरूरतें हैं, किस तरीके का उनका व्यवहार है, जिवनशैली है. आजिविका के साधन, स्वास्थ्य की आदतें इन सारी चीजों को लेकर लोगों में जागरूकरता फैलाना और जागरूकरता के माध्यम से उनको आगे लाने का काम किया जा रहा है.

कुमाऊं वाणी रेडियो स्टेशन के मैनेजर मोहन कार्की

साथ ही इस रेडियो स्टेशन के माध्यम से सरकारी योजनाओं और ग्रामीणों को जोड़ने के लिए एक पुल का काम किया जा रहा है. आसान शब्दों में कहें तो कम्युनिटी रेडियो सरकारी योजनाओं की जानकारी ना सिर्फ किसानों के बीच पहुंचाने का काम कर रहा है बल्कि उन्हें इस योजना का लाभ उठाने की आसान प्रक्रिया का बता रहा है.

मोहन कार्की बताते हैं कि रेडियो में समुदाय की भागीदारी जरूरी है क्योंकि जो प्रोग्राम किसानों के लिए तैयार किया जाता है, उसमें 50 प्रतिशत की भागीदारी समुदाय की होती है और इस वजह से ही कार्यक्रम का प्रभाव ग्रामीणों में जागरुकता बढ़ाने के लिए अधिक कारगर साबित होता है.

स्थानिय कृषक हो रहे लाभांवित

सामुदायिक रेडियो एक निश्चित क्षेत्र में एक समुदाय के लिए संचालित किए जाते हैं. मोहन कार्की का कहना है कि किसानों से जुड़े होने के नाते गांवों में जाकर उनकी समस्यों को सुनते हैं और उन समस्याओं के निवारण के लिए संबंधित क्षेत्र के वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों के पास जाते हैं और किसानों की समस्या का समाधान निकालते हैं.

कुमाऊं वाणी रेडियो स्टेशन किसानों की कर रहा मदद

अक्सर देखा जाता है कि किसान जानकारी के अभाव के कारण फसलों में खाद उर्वरक डालते हैं,  नतीजन किसानों को फसल उत्पादन अच्छा नहीं मिलता है. मगर कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से किसानों को खाद – उर्वरक संबंधी सारी जानकारी मुहैय्या करवाई जा रही है. साथ ही फसलों में कीटनाशकों का स्प्रै कब करना है, उस क्षेत्र में किसानों को कौन से बीज का चयन करना चाहिए, किस फसल के लिए कौन सा तापमान सही रहता है.

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4 लाख तक पहुंच रहा कुमाऊं वाणी रेडियो

कम्युनिटी रेडियो से 3.5 लाख श्रोता जुड़े हुए हैं जो कि विशेषकर खेती बाड़ी के माध्यम से ही अपनी आजिविका चला रहे हैं. कुमाऊं और गढ़वाल के करीब 550 गांव इसके दायरे में आते हैं. अल्मोड़ा, चम्पावत, गरुड़, रानीखेत, ग्वालदम, कौसानी सहित करीब 4 लाख लोगों तक इसकी पहुंच है. 

English Summary: Farmers are doing farming through Kumaon Vani Community Radio
Published on: 25 March 2023, 01:04 PM IST

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