बैंगन सब्जी वाली फसल है. इसकी उत्पत्ति भारत में ही हुई और आज सबसे अधिक खाने वाली सब्जियों में गिनी जाती है. जानकारों का मानना है कि बैंगन चीन में सबसे ज्यादा 54 फीसदी उगाई जाती है. वहीं, भारत बैंगन उगाने के मामले में दूसरे स्थान पर काबिज है. बैंगन को आलू के साथ लगाकर सब्जी बना सकते हैं या अकेले बैंगन की सब्जी भी बना सकते हैं. उत्तर भारत के इलाकों में बैंगन का चोखा बहुत फेमस है. बैंगन ऊंचे इलाकों को छोड़कर बाकी देश के सभी इलाकों में उगाया जाता है. बैंगन भारत में प्राचीन काल से ही उगाया जाता है. बैंगन की खेती अक्टूबर और नवंबर में भी कर सकते हैं. दो महीने बाद यह कटाई के लिए भी तैयार हो जाता है. यानी कम समय में बैंगन की खेती से लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
बैंगन की उन्नत किस्में
बैंगन की उन्नत किस्मों की बात करें, तो इनमें पूसा पर्पल राउंड, पूसा हाईब्रिड-6, पूसा अनमोल और पूसा पर्पल शामिल है. एक हेक्टेयर में करीब 450 से 500 ग्राम बीज डालने पर करीब 400 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन मिल जाता है.
भूमि
बैंगन की खेती के लिए रेतीली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. भूमि का पी.एच मान 5.5-6.0 की बीच होना चाहिए और इसमें सिंचाई का उचित प्रबंध होना आवश्यक है. वहीं, झारखण्ड की उपरवार जमीन बैंगन की खेती के लिए सही पाई गई है.
बैंगन लगाने के तरीके
अगर हमारे किसान भाइयों को बैंगन का उत्पादन अधिक चाहिए तो उन्हें दो पौधों के बीच की दूरी का ध्यान रखना होगा. दो पौधों और दो कतार के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी ही चाहिए.
खाद और उर्वरक
खाद और उर्वरक की मात्रा मिट्टी की जांच के हिसाब से ही करनी चाहिए. लेकिन जहां मिट्टी की जांच न हो. वहां हो खेत तैयार करते समय 25-30 टन गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें. इसके बाद 200 किलो ग्राम यूरिया, 370 किलो ग्राम सुपर फॉस्फेट और 100 किलो ग्राम पोटेशियम सल्फेट का इस्तेमाल करना चाहिए.
सिंचाई
गर्मी के समय में सप्ताह में एक बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है, जबकि सर्दी के दिनों में 2 सप्ताह में एक बार सिंचाई करनी चाहिए.
तुड़ाई कब करें?
बैंगन की तुड़ाई फल पकने से पहले की जानी चाहिए. साथ ही तुड़ाई के समय आकार और रंग का ध्यान रखना भी जरूरी है. तोड़ने के बाद इसे मंडी में या खुदरा ले जाकर बेच सकते हैं.