छोटी पत्ती और मजबूत लकड़ी के लिए मशहूर शीशम का पेड़ खेती के लिए काफी मुनाफेदार साबित हो रहा है, भारत के हिस्सों में खेती की जा रही है क्योंकि शीशम की लकड़ी भारत में सबसे अच्छी मानी जाती है हालांकि ये पेड़ बहुत धीरे बढ़ता है लेकिन इसकी खेती करना आसान नहीं होता. लेकिन अगर निवेश की तरह शीशम लगाकर इंतजार करें तो किसानो के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है क्योंकि शीशम की लकड़ियों का कई तरह से इस्तेमाल होता है और किसानों को अच्छी खासी रकम मिलती है. शीशम की लकड़ी से फर्नीचर बनाया जाता है साथ ही इसकी पत्तियों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के तौर पर होता है. शीशम का पेड़ 30 साल में एक फीट से ज्यादा चौड़ा हो जाता है जिससे लगभग आधा घन मीटर लकड़ी मिलती है जिसकी बाजार में 5 से 7 हजार रुपये तक कीमत मिलती. शीशम की खेती से किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
उपयुक्त जलवायु- शीशम के पौधे सामान्य जलवायु में अच्छा विकास करते हैं और बारिश के मौसम में पौधों को 750-1500 MM तक बारिश की जरूरत होती है. पौधे अधिकतम 49 डिग्री और न्यूनतम 4 डिग्री तापमान को सहन कर सकते हैं.
मिट्टी का चयन- शीशम की खेती के लिए रेतीली भूमि अच्छी मानी जाती है. नम भूमि को शीशम के पौधों के लिए सबसे बेहतर माना जाता है. लेकिन जल भराव बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इसका पेड़ कड़ी मटियार में कम और बीहड़ो की कटी मिट्टी में अच्छा विकास करता है.
खेत की तैयारी- शीशम के लिए खेत तैयार करने के लिए 3 से 4 बार अच्छे से जुताई करना चाहिए, जिससे खेत समतल हो जाए और खेत में पानी जमा ना हो.
बीज की तैयारी- एक एकड़ खेत में लगभग 70 ग्राम बीज के हिसाब से बीजों को 12 से 24 घंटे के लिए पानी में भींगोना चाहिए. आमतौर पर उपचारित बीजों को पॉलिथीन बैग में उगाया जा सकता है। बीज की बुवाई से 7 से 14 दिन में बीज अंकुरित हो जाता है. जब पौधा 10 से 20 सेंटीमीटर लंबा हो जाए तो खेत में रोप देते हैं. बीज रोपने के लिए पॉलिथीन में मिट्टी और खाद की मात्रा 2:1 होना चाहिए.
बुवाई- पौधों की रोपाई पौध के जरिये करते हैं, रोपाई 2 तरह से कर सकते है पहला मेड़ पर और दूसरा खेत में. खेत के किनारे तैयार मेड़ पर पौधों को 4 मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. खेत में पेड़ो के बीच 3 मीटर की दूरी रखना चाहिए. शीशम के पौधों को तैयार होने में ज्यादा समय लगता है इसलिए शीशम के साथ सरसों, मक्का, अरंडी, मटर, गन्ना, गेहूं, चना और कपास की खेती आसानी से कर सकते हैं.
सिंचाई- शीशम के पौधों को विकास करने के लिए नमी की जरूरत होती है. इसलिए पहली सिंचाई रोपाई बाद करना चाहिए. जहां बारिश समय पर नहीं ना हो वहां पौधों को 10-15 सिंचाई की जरूरत होती है.
कटाई-छंटाई- पेड़ों के सही विकास के लिए 6 साल, 8 साल और 12वें साल में कटाई छंटाई करना चाहिए एक साल तक अच्छे से देखभाल के बाद पौधों की जीवित दर 85 से 90% तक रहती है.
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उपज और लाभ- रोपाई के करीब 30 साल बाद एक फीट से अधिक पेड़ चौड़ा हो जाता है. तब कटाई कर सकते हैं इसके एक पेड़ से आधा घन मीटर लकड़ी मिलती है. कीमत लगभग 5 से 7 हजार होती है. ऐसे में एक हेक्टेयर खेत में 100 पेड़ लगा सकते हैं 30 साल में शीशम के पेड़ों से लाखों की कमाई कर सकते हैं. और हर साल टहनियों की छटाई कर ईंधन के लिए लकड़ी हासिल कर सकते हैं.