जहां किसान अभी भी कई जगह पारंपरिक खेती कर रहे हैं, वहीं कुछ किसानों ने आधुनिक खेती को अपनाना शुरू कर दिया है. खेती की नई तकनीक को किसान अपनाकर काफी अच्छा उत्पादन कर रहे हैं और भारी मुनाफा कमा रहे हैं.
खेती की तकनीक में सहफसली खेती (Multiple Cropping) भी शामिल है. इस सहफसली खेती में किसान एक मुख्य फसल के साथ दूसरी फसल (सहफसल) भी लगा सकते हैं. इसका मतलब एक ही खेत में दो फसलें एक साथ लगाई जाती हैं. किसान इसमें औषधीय फसल भी ले सकते हैं. किसान सहजन (Drumstick) के साथ एलोवेरा (ग्वारपाठा या घृतकुमारी ) की खेती भी कर सकते हैं. सहजन और एलोवेरा, दोनों में ही औषधीय गुण आपको मिलते हैं.
आपको बता दें कि अगर आप एलोवेरा (Aloevera) और सहजन की खेती करते हैं तो आपको इसके कई फायदे मिलते हैं. औषधीय गुण होने की वजह से सहजन और एलोवेरा की काफी मांग है. कई आयुर्वेदिक दवाओं को तैयार करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है. ऐसे में इन फसलों की खेती किसानों को बाजार में बेहतर मुनाफा दिला सकती है.
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वहीं दूसरी तरफ, किसान जब एक ही फसल लगाते हैं तो इस बात की संभावना बानी रहती है कि कहीं उनकी फसल ख़राब न हो जाए और उन्हें नुक्सान उठाना पड़े. ऐसे में भी किसान अगर सहजन और एलोवेरा की सहफसली खेती करते हैं तो यह उनके लिए एक बढ़िया विकल्प हो सकता है. एक ही खेत में अगर ये दोनों फसलें होंगी, तो नुकसान की सम्भावना कम होगी. सहजन और एलोवेरा की खेती किसान उस समय करें जब न अधिक सर्दी हो और न अधिक गर्मी.
सहजन के कुछ गुण (Some properties of drumstick)
सहजन की पत्तियों में जहां आपको कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन B6, विटामिन C, विटामिन A, विटामिन E, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, जिंक जैसे तत्व मिलते हैं, तो वहीं इसकी फली का सेवन भी लाभदायक है. इसकी फली में विटामिन C भी भरपूर मात्रा में मिलता है.
एलोवेरा के कुछ गुण (Some properties of aloe vera)
एलोवेरा का उपयोग डायबिटीज़, गर्भाशय के रोग, पेट सम्बन्धी बीमारी, जोड़ों के दर्द, त्वचा सम्बन्धी समस्याओं के लिए काफी अच्छा है. इसका उपयोग एंटीबायोटिक के रूप में भी किया जाता है.