कद्दूवर्गीय सब्जियों की फसलों में डाउनी फफूंदी (Downy Mildew) एक गंभीर समस्या है, जो Pseudoperonospora cubensis नामक रोगज़नक़ के कारण होती है. यह रोग पूरे विश्व में कद्दू, खीरा, लौकी, तोरई, कद्दू आदि कद्दूवर्गीय सब्जियों की उत्पादकता को प्रभावित करता है. यह कवक ठंडे और आर्द्र वातावरण में तेजी से फैलता है और यदि समय पर प्रबंधन नहीं किया गया, तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है. इस लेख में डाउनी फफूंदी के लक्षण, रोग चक्र और उसके प्रभावी प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी गई है.
रोगज़नक़ का जीवविज्ञान
डाउनी फफूंदी का रोगज़नक़/Downy mildew pathogen मुख्य रूप से वायुजनित बीजाणुओं द्वारा फैलता है, जो पौधों की पत्तियों पर उतरकर रोग उत्पन्न करता है. यह कवक उच्च नमी और मध्यम तापमान (18-24 डिग्री सेल्सियस) में पनपता है. इस रोगज़नक़ की बड़ी संख्या में बीजाणु उत्पन्न करने की क्षमता इसे तेजी से फैलने में मदद करती है. इसके नियंत्रण के लिए रोग चक्र की समझ और सतर्क प्रबंधन रणनीतियां आवश्यक हैं.
रोग के लक्षण और चक्र
डाउनी फफूंदी के प्रारंभिक लक्षण/Early Signs of Downy Mildew पत्तियों की ऊपरी सतह पर छोटे-छोटे कोणीय, पीले धब्बों के रूप में दिखते हैं. रोग के बढ़ने पर, पत्तियों के निचले हिस्से में सफेद, फफूंद जैसे दाने (स्पोरुलेशन) दिखाई देते हैं. प्रभावित पत्तियां समय से पहले सूखकर गिर जाती हैं, जिससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण क्षमता घटती है. यह रोग वायुजनित बीजाणुओं के माध्यम से नई फसलों में फैलता है.
प्रबंधन रणनीतियां
1. कर्षण कार्य (Agronomic Practices)
फसल चक्रण: एक ही खेत में बार-बार कद्दूवर्गीय फसलों की खेती/Cultivation of cucurbitaceous crops करने से बचें. फसल चक्रण से मिट्टी में रोगज़नक़ की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है.
रोपण तिथियों का समायोजन: ठंडे और नमी वाले मौसम में रोपण से बचें. समयानुसार रोपण करके डाउनी फफूंदी के प्रकोप को कम किया जा सकता है.
प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग: रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन रोग प्रबंधन का एक सस्ता और प्रभावी तरीका है. जैसे-जैसे अनुसंधान प्रगति कर रहा है, नई और अधिक प्रभावी किस्में विकसित हो रही हैं.
2. रासायनिक नियंत्रण (Chemical Control)
फफूंदनाशकों का उपयोग: समय पर फफूंदनाशक का छिड़काव/fungicide spray डाउनी फफूंदी को नियंत्रित करने में सहायक होता है.
डाइथेन एम 45: प्रति लीटर पानी में 2.5 ग्राम की दर से छिड़काव करें.
रिडोमिल एम गोल्ड: रोग के लक्षण दिखने पर इसका 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर उपयोग करें.
कवकनाशी चक्रण और मिश्रण: कवकनाशकों के लगातार उपयोग से प्रतिरोध विकसित हो सकता है. इसे रोकने के लिए विभिन्न कवकनाशकों का चक्रण और मिश्रण का प्रयोग करें.
3. जैविक नियंत्रण (Biological Control)
लाभकारी सूक्ष्मजीवों का उपयोग: Trichoderma और Pseudomonas fluorescens जैसे जैविक उत्पादों का उपयोग रोगज़नक़ को नियंत्रित करने और पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है.
जैविक फफूंदनाशक: डाउनी रेज जैसे जैविक उत्पाद का उपयोग 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से करें.
4. निगरानी और शीघ्र पता लगाना (Monitoring and Early Detection)
फसल की नियमित निगरानी करना डाउनी फफूंदी के प्रबंधन/Management of Downy Mildew में महत्वपूर्ण है. जैसे ही लक्षण दिखाई दें, तुरंत प्रबंधन उपायों को अपनाएं. इससे उपज में होने वाले संभावित नुकसान को कम किया जा सकता है.
5. सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management)
सुबह जल्दी सिंचाई करें ताकि पौधों पर जमा पानी दिन के दौरान सूख जाए.
ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें ताकि पत्तियां सूखी रहें और नमी का स्तर कम हो.
6. रोग मुक्त बीज का उपयोग (Use of Disease-Free Seeds)
सिर्फ प्रमाणित और रोग मुक्त बीजों का उपयोग करें. बीज उपचार के लिए Thiram या Captan जैसे रसायनों का प्रयोग करें.