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Updated on: 21 January, 2023 12:00 PM IST
राजगिरा की खेती

हम सभी जानते हैं कि भारत के विकास में कृषि का अहम योगदान है ऐसे में अब भारत में किसानों को अब गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों के साथ मोटे अनाजों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. देश के साथ विदेश में भी मोटे अनाज को ज्यादा अहमियत दी जा रही है. अभी तक आपने ज्वारबाजरामक्कारागीकोदो आदि मोटे अनाजों का नाम सुना हैलेकिन क्या आप जानते हैं कि गेहूंचावल और ज्वार से ज्यादा फायदेमंद एक पोषक अनाज भी हैजिसका नाम राजगिरा है. जिसकी खेती भारत के उत्तरी और हिमालयी इलाकों में की जाती हैआइये जानते हैं राजगिरा की खासियत और खेती के बारे में.

बता दें रेडीमेड फूड के साथ-साथ बिस्कुटकेकपेस्ट्री जैसे बेकरी उत्पादों में राजगिरा का काफी इस्तेमाल होता है. इतना ही नहींव्रत उपवास में भी राजगिरा के लड्डू बाजार में खूब बिकते हैं. राजस्थान और उत्तर प्रदेश में कई किसान राजगिरा की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. यह फसल किस्मों के अनुसार 80 से लेकर 120 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती हैइसलिए कम समय में यह किसानों को काफी अच्छा मुनाफा दे सकती है. 

जलवायु

राजगिरा एक सर्द और नम जलवायु में उपजने वाली फसल हैहालांकि सूखे की स्थिति में भी राजगिरा की खेती से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. वहींजल भराव और तेज हवा वाले इलाकों में फसल लगाने से नुकसान होता है. 1500-3000 मीटर तक की ऊंचाई वाले पर्वतीय इलाकों के लिए किसानों के लिए राजगिरा की खेती किसी वरदान से कम नहीं होती. इसकी खेती से बेहतर उत्पादन लेने के लिए मिट्टी की जांच जरूर करनी चाहिए. 

उपयुक्त मिट्टी

राजगिरा की खेती के लिए किसान चाहें 6-7.5 PH मान वाली बलुई दोमट मिट्टी में जैविक खेती करके अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. इसकी फसल को खरपतवार मुक्त बनाने के लिए गहरी जुताईयां करके मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है और खरपतवारनाशी दवा मिलाकर खेत तैयार करते हैं.

बुवाई का सही समय

पहाड़ी पर्वतीय इलाकों में राजगिरा की खेती लगभग 12 महीने की जाती हैलेकिन मैदानी इलाकों में राजगिरा की बुवाई के लिए अक्टूबर से लेकर नवंबर का समय सबसे उपयुक्त रहता है. 

राजगिरा की बुवाई-

इसका बीज महीन और हल्का होता है. कतारों में लगाने पर प्रति हेक्टेयर किलो बीज की जरूरत पड़ती है. वहीं छिटकवां विधि से बुवाई की जाती है तो किलो बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लेना चाहिए. कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटरपौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर और बीज की गहराई सेंटीमीटर रखना चाहिए. किसान चाहें को इसकी उन्नत किस्मों-

आरएमए और आरएमए से बुवाई कर सकते हैं. 

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सिंचाई-

राजगिरा की फसल मात्र 4-5 सिंचाइयों में पककर तैयार हो जाती है. सबसे पहले बुवाई के से दिनों बाद सिंचाई की जाती है. वहीं हर 15 से 20 दिनों के अंतराल पर बाकी सिंचाईयां कर सकते हैं. वैसे तो ये फसल कम पानी में ही पककर तैयार हो जाती हैइसलिये किसान मिट्टी की जरूरत के अनुसार ही फसल में पानी लगायें.

English Summary: Demand for coarse grains increases in the country and abroad, Rajgira cultivation will be rich!
Published on: 21 January 2023, 12:06 PM IST

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