हरा प्याज जिसे हम कंदीय फल के नाम से भी जानते हैं. इसका पौधा दिखने में बिल्कुल ही लहसुन की तरह लगता है. इसकी पत्तियां सीधी एवं नुकीली आकार की होती हैं. मुख्यत: इसका उपयोग हम सलाद और सब्जी बनाने एवं अचार बनाने के साथ-साथ शाकाहारी एवं मांसाहारी भोजन बनाने में भी करते हैं. भारत के प्रमुख राज्य जैसे की कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में इसकी खेती की जाती है.
हरे प्याज की खेती करने की प्रक्रिया-
भूमि का चयन
हरे प्याज की खेती दोमट या हलकी बलुई मिट्टी में की जाती है. इसके खेत को तैयार करने के लिए पहले खेत को ट्रैक्टर से 3 से 4 बार जुताई कर लें, जिससे खेत की पूरी मिट्टी बारीक हो जाये और खेत में ढेले बिल्कुल ही ना रहें. खेत की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए इसमें खाद, पोटाश और फास्फोरस का अच्छे से छिड़काव करें.
बुवाई एवं सिचाई
हरे प्याज की बुआई की समय सितम्बर से नवम्बर माह के बीच रहता है. इसके पौधों को हमेशा क्यारियों में बोया जाता है तथा इनके बीच की दूरी को 2 से 3 मिलीमीटर की होती है. रोपण के बाद पौधे की पहली सिंचाई 9 से 10 दिन बाद करनी चाहिए. पौधे को पूरी तरह से परिपक्व होने के लिए कुल 10 से 15 बार सिंचाई की जरुरत होती है.
कीड़ों से सुरक्षा
हरे प्याज की फसलों की जड़े काफी पतली होती हैं. इनकी जड़ों को खरपतवार एवं कीड़ों से बचाने के लिए आक्सीफलोरफेन दवा का छिड़काव अवश्य करें. पौधों की रोपाई के पश्चात इसकी निराई गुड़ई एक महीने के ही भीतर में करें अन्यथा इनकी जड़े धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं.
फसल की कटाई
हरे प्याज का तना जब 3 से 4 सेंटीमीटर मोटा हो जाए तभी इसको जमीन से उखाड़ें. इसके एक पौधे से कम से कम 130 से 150 ग्राम की उपज मौजूद होती है और प्रति हेक्टेयर लगभग 500 से 600 क्विटल उपज की पैदावार होती है.
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व्यापार से लाभ
हरे प्याज के व्यापार के लिए आपको शुरू के एक-दो साल थोड़ी सी मेहनत जरुर करनी पड़ेगी. उसके बाद काफी लाभ आप इससे प्राप्त कर सकेंगे. आजकल बाजार में हरे प्याज की होलसेल मांग काफी बढ़ गई है. शादी, पार्टी, रेस्टोरेंट और होटलों आदि में आप सीधे तौर पर अपनी पैदावार की आपूर्ति कर सकते हैं और इसके जरिए आप काफी बढ़िया मुनाफा भी कमा सकते हैं.