डुरंटा एक फूलदार पौधा होता है. इस प्रजाति के पौधों की खेती धरती के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के अधिकतर भाग में की जाती है. इसका उपयोग घर के उद्यान में सजावटी पौधों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यह सुनहरे, हल्के नीले और लैवेंडर रंग के होते हैं और पुष्पगुच्छ के रूप में दिखाई देते हैं. यह तने के टर्मिनल और शीर्ष सिरों पर समूह में खिलते हैं. इसकी खेती वसंत ऋतु में की जाती है और यह अपने पहले वर्ष में तेजी से छोटे फूलों वाली झाड़ियों के रुप में विकसित होते हैं. आइये हम आपको इसकी खेती से जुड़े तरीको के बारे में बताते हैं.
खेती का तरीका
मिट्टी
डुरंटा के पौधे चिकनी और बलुई मिट्टी में उगते हैं. यह 6 से 7.5 के बीच के पीएच मान वाली मिट्टी में उगता है. इसके लिए अच्छे जल निकास वाली मिट्टी अच्छी मानी जाती है. मिट्टी में बुआई के दौरान इसको सूखने से बचाने के समय-समय पर पानी देते रहें.
बीज
डुरंटा की खेती बीज के जरिए होती है. खेत की अच्छे से जुताई करने के बाद बुआई कर दें और फिर खेत की सिंचाई कर दें. इस दौरान बीजों को नम रखना आवश्यक होता है, इसलिए उन्हें बाँझ पॉटिंग मिश्रण में हल्के से दबा दें. इसकी अंकुरण के लिए 70 डिग्री फ़ारेनहाइट का तापमान आदर्श होता है.
तापमान
डुरंटा की खेती के लिए 35 से 40 डिग्री तक के तापमान की आवश्यकता होती है. यह शुष्क और आर्द्र वातावरणों में पनपने वाला पौधा होता है. इसको तटीय इलाकों में भी उगाया जा सकता है.
उर्वरक
डुरंटा के पौधों को शुरुआत के समय में उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है. हालाँकि, इसकी अच्छी उपज के लिए हल्के उर्वरकों का छिड़का करते रहना चाहिए.
छंटाई
डुरंटा एक खरपतवार स्वरुप पौधा होता है, यह समय के अनुसार बहुत ही सघन हो जाता है, जिस कारण समय-समय पर इसकी छंटाई करते रहना चाहिए. यह आक्रामक प्रजाति का पौधा सभी दिशाओं में जंगली रूप से बढ़ते हैं, जिस कारण इसकी कटाई-छंटाई करना बेहद जरूरी होता है.