हल्दी का नाम सुनते ही पीला रंग याद आ जाता है, लेकिन क्या आपने काली हल्दी के बारे में सुना है, नहीं तो अब जान लीजिए. काली हल्दी औषधीय फसलों में से एक है जिसकी खेती से किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसकी बाजार मांग भी काफी रहती है, जबकि इसका उत्पादन कम है. ऐसे में किसान खेत के कुछ हिस्से में काली हल्दी की खेती से अच्छा लाभ कमा सकते हैं. आइए जानते हैं काली हल्दी और खेती के बारे में.
काली हल्दी का उपयोग
काली हल्दी चमत्कारिक गुणों के कारण देश विदेश में मशहूर है. सौंदर्य प्रसाधन और रोग नाशक दोनों ही रूपों में उपयोग होता है. मजबूत एंटीबायोटिक गुणों के साथ चिकित्सा में जड़ी-बूटी के रूप में प्रयोग होती है. घाव, मोच, त्वचा रोग, पाचन और लीवर की समस्याओं को ठीक करने के लिए भी उपयोगी है. यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है.
भूमि और जलवायु
खेती के लिए जलवायु उष्ण अच्छी रहती है. 15-40 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उचित होता है. पौधे पाले को भी सहन कर लेते हैं और विपरीत मौसम में भी अनुकूलन बनाए रखते हैं. खेती के लिए बलुई, दोमट, मटियार, मध्यम भूमि जिसकी जल धारण क्षमता अच्छी रहती है. जबकि चिकनी काली, मिश्रित मिट्टी में कंद बढ़ते नहीं हैं. खेती के लिए मिट्टी में भरपूर जीवाश्म होना चाहिए. जल भराव या कम उपजाऊ भूमि में खेती नहीं होती. भूमि का Ph मान 5-7 के बीच होना चाहिए.
खेती की तैयारी
सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की गहरी जुताई करें, फिर खेत को सूर्य की धूप लगने के लिए कुछ दिनों तक खुला छोड़ें. उसके बाद खेत में उचित मात्रा में पुरानी गोबर की खाद डालकर उसे अच्छे से मिट्टी में मिलाएं. खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए खेत की 2-3 दिन बाद तिरछी जुताई करें. जुताई के बाद खेत में पानी चलाकर पलेवा करें. फिर जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखने लगे तब खेत की फिर से जुताई कर उसमें रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बना लें. फिर खेत को समतल कर दें.
बुवाई का उचित समय -काली हल्दी की खेती के लिए बुवाई का उचित समय वर्षा ऋतु होता है. बुवाई का उचित समय जून-जुलाई है. हालांकि सिंचाई का साधन होने पर मई माह में भी बुवाई कर सकते हैं.
बीज की मात्रा-खेती के लिए करीब 20 क्विंटल कंद मात्रा प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है. कंदों की रोपाई से पहले बाविस्टिन की उचित मात्रा से उपचारित करें. बाविस्टिन के 2 प्रतिशत घोल में कंद 15-20 मिनट तक डुबोकर रखें क्योंकि खेती में बीज पर ही अधिक व्यय होता है.
बुवाई/रोपाई का तरीका-कन्दों की रोपाई कतारों में होती है. हर कतार के बीच डेढ़ से दो फीट की दूरी हो. कतारों में लगाए जाने वाले कन्दों के बीच की दूरी करीब 20-25 सेमी हो. कन्दों की रोपाई जमीन में 7 सेमी गहराई में करनी चाहिए. पौध के रूप में रोपाई मेढ़ के बीच एक से सवा फीट की दूरी हो. मेढ़ पर पौधों के बीच की दूरी 25-30 सेमी हो. हर मेढ़ की चौड़ाई आधा फीट के आसपास हो.
काली हल्दी की पौध तैयार करने का तरीका -इसके पौध तैयार करने के लिए कन्दों की रोपाई ट्रे या पॉलीथिन में मिट्टी भरकर होती है. रोपाई से पहले बाविस्टिन की उचित मात्रा से उपचारित करना चाहिए. खेत में रोपाई बारिश के मौसम के शुरुआत में की जाती है.
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खेती में सिंचाई कार्य-ली हल्दी के पौधों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती. कन्दों की रोपाई नमी युक्त भूमि में होती है. कंद या पौध रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिए. हल्के गर्म मौसम में पौधों को 10-12 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए. जबकि सर्दी के मौसम में 15-20 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए.
उर्वरक की मात्रा-खेत की तैयारी के समय जरुरत के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद मिट्टी में मिलाकर पौधों को देना चाहिए. प्रति एकड़ 10-12 टन सड़ी हुई गोबर खाद मिलाना चाहिए. घर पर तैयार जीवामृत को पौधों की सिंचाई के साथ देना चाहिए.
खरपतवार नियंत्रण-पौधों की रोपाई के 25-30 दिन बाद हल्की निंदाई-गुड़ाई करें. खरपतवार नियंत्रण के लिए 3 गुड़ाई काफी है. हर गुड़ाई 20 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए. रोपाई के 50 दिन बाद गुड़ाई बंद कर दें नहीं तो कन्दों को नुकसान पहुंचता है.
जड़ों में मिट्टी चढ़ाना-रोपाई के 2 महीने बाद पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ाना चाहिए. पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ाने का काम हर एक से 2 महीने बाद करना चाहिए.
फसल की कटाई-फसल रोपाई से ढाई सौ दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. कन्दों की खुदाई जनवरी-मार्च तक की जाती है.
पैदावार और लाभ
यदि सही तरीके से खेती की जाए तो एक एकड़ में काली हल्दी की खेती से कच्ची हल्दी करीब 50-60 क्विंटल यानी सूखी हल्दी का करीब 12-15 क्विंटल तक का उत्पादन हो सकता है. काली हल्दी बाजार में 500 रुपए के करीब से बिक जाती है. ऐसे भी किसान हैं, जिन्होंने काली हल्दी को 4000 रुपए किलो तक बेचा है. इंडियामार्ट जैसी ऑनलाइन वेबसाइट पर काली हल्दी 500 रुपए से 5000 रुपए तक में बिकती है. यदि आपकी काली हल्दी सिर्फ 500 रुपए के हिसाब से भी बाजार में बिक जाती है तो 15 क्विंटल में आपको 7.5 लाख रुपए का मुनाफा होगा. लागत जैसे- बीज, जुताई, सिंचाई, खुदाई में 2.5 लाख रुपए तक हो सकता है. तब भी 5 लाख रुपए का मुनाफा हो जाएगा.