Mustard Variety: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा द्वारा विकसित पूसा डबल जीरो सरसों 34 (PM-34) एक उन्नत और उच्च गुणवत्ता वाली सरसों की किस्म है. यह किस्म एकल शून्य श्रेणी में आती है, जिसमें इरूसिक अम्ल की मात्रा केवल 0.79% होती है, जो इसे स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर और उपयोगी बनाती है. इसके अलावा, यह सूखे के प्रति सहनशील होती है और बेहतर उपज प्रदान करती है, जो इसे किसानों के लिए एक उपयुक्त विकल्प बनाती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पूसा डबल जीरो सरसों 34 (PM-34) किस्म की विशेषताएं क्या हैं और इसे कैसे सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है-
पूसा डबल जीरो सरसों 34 की खेती और उपज क्षमता
सरसों की उन्नत किस्म पूसा डबल जीरो सरसों 34 को राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में बुवाई करने के लिए विकसित किया गया है. अगर उत्पादन क्षमता की बात करें तो सरसों की इस उन्नत किस्म की औसत उपज 26.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि अधिकतम उत्पादन क्षमता 30.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. वही यह किस्म अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता वाला तेल प्रदान करती है, जिससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ मिलता है.
पूसा डबल जीरो सरसों 34 की मुख्य विशेषताएं
कम इरूसिक अम्ल: इस किस्म में इरूसिक अम्ल की मात्रा बहुत कम होती है (0.79%), जो इसे स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित बनाता है.
उच्च तेल प्रतिशत: इसमें 36% तेल की मात्रा होती है, जिससे यह आर्थिक रूप से लाभकारी होती है.
मजबूत और लंबा पौधा: इसका पौधा लंबा और मजबूत होता है, जिससे अधिक फलियाँ और बीज प्राप्त होते हैं, और इसके साथ-साथ पौधा सूखा सहनशील भी होता है.
पूसा डबल जीरो सरसों 34 की खेती हेतु महत्वपूर्ण सुझाव
सरसों की बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए बुवाई, उर्वरक का उपयोग और सिंचाई का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण होता है. आईएआरआई द्वारा दिए गए सुझावों का पालन करने से किसान पूसा डबल जीरो सरसों 34 की खेती करके अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं-
बीज दर: बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर 3-4 किलो बीज का उपयोग करें.
बुवाई की दूरी: पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30-45 सेमी और पौधे से पौधा की दूरी 10-15 सेमी रखें. इससे पौधों को विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है और पैदावार बढ़ती है.
बीज की गहराई: बीजों को 2.5-3.0 सेमी गहराई में बोना चाहिए ताकि वे सही तरीके से अंकुरित हो सकें और पौधों की जड़ें मजबूत बन सकें.
बुवाई का समय: सरसों की इस किस्म की बुवाई के लिए सही समय 15-20 अक्टूबर (समय पर बुवाई) और 1-20 नवंबर (देर से बुवाई) का होता है. सही समय पर बुवाई से उपज में सुधार होता है.
उर्वरक का उपयोग: फसल की अच्छी उपज के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और गंधक का सही मात्रा में उपयोग करें. इससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और उपज में वृद्धि होती है.
सिंचाई प्रबंधन: फसल की जरूरत और जल की उपलब्धता के अनुसार 1 से 3 सिंचाई पर्याप्त होती है. सिंचाई का सही प्रबंधन फसल की गुणवत्ता और उपज को बढ़ाने में मदद करता है.
ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि पूसा डबल जीरो सरसों 34 एक उन्नत किस्म है, जो बेहतर उत्पादन के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उपयुक्त है. सही बुवाई, उर्वरक का सही उपयोग और सिंचाई प्रबंधन से किसान इस किस्म से ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं.