संतरा एक नींबूवर्गीय फल है, जोकि भारत में उगाया जाता है. भारत में केला और आम के बाद संतेरे को सबसे ज्यादा उगाया जाता है. इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल खाने और जूस निकालकर पीने में किया जाता है. इसको पीने के कई गुणकारी फायदें हैं. ये हमें कई तरह की बीमारियों से बचाता है. इसका रस शरीर को शीतलता प्रदान कर थकान और तनाव को दूर करता है. इसके जूस से जैम और जेली भी बनाई जाती है. आपको बता दें कि संतरे की खेती नींबूवर्गीय फलों में से 50 प्रतिशत की जाती है. भारत में संतरा और माल्टा की फसल को व्यवसाय के लिए उगाया जाता है. इसी के साथ देश के केंद्रीय और पश्चिमी भागों में संतरे की खेती का विस्तार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. देश में फलों की पैदावार में केले और आम के बाद माल्टा का तीसरा स्थान है. संतरा उगाने में राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और यूपी प्रमुख राज्य है. आज हम किसान भाइयों को बताएंगे कि संतरे की खेती कैसे करें.
जलवायु और तापमान
अगर संतरे की खेती के लिए जलवायु की बात करें, तो शुष्क जलवायु की जरूरत पड़ती है. इसके पौधों को ज्यादा बारिश की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके फलों को पकने के लिए गर्मीं की जरुरत होती है. इसके पौधे खेत में लगाने के तीन से चार साल बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं. सर्दियों में पड़ने वाला पाला इसके लिए नुकसानदायक होता है. इसकी खेती के लिए शुरुआत में पौधों की रोपाई के दौरान करीब 20 से 25 डिग्री के बीच तापमान रहना चाहिए. उसके बाद पौधों को विकास करने के लिए करीब 30 डिग्री के आसपास तापमान की जरुरत होती है.
उपयुक्त मिट्टी
इसकी खेती के लिए जलभराव वाली भूमि की जरुरत नहीं होती है. इसके पौधे के लिए उचित जल निकासी वाली हल्की दोमट मिट्टी अच्छी रहती है. इसमें पैदावार काफी ठीक होती है. भूमि का पी.एच.मान करीब 6.5 से 8 के बीच होना चाहिए.
उन्नत किस्में
संतरे के पौधों की कई तरह की उन्नत किस्में होती है. जिन्हें उनकी गुणवत्ता और पैदावार के आधार पर तैयार किया गया है. आप कौन-सी किस्म की खेती करना चाहते है. ये तय करके किस्म का चुनाव करें.
खेत की तैयारी
संतरे के पौधे की खासियत है कि एक बार लगाने के बाद कई सालों तक पैदावार देते हैं. इसकी खेती के लिए शुरुआत में खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को हटाकर खेत की गहरी जुताई कर दें. इसके बाद खेत में कल्टीवेटर के माध्यम से दो से तीन अच्छी तिरछी जुताई कर दें. जुताई के बाद खेत में पाटा लगा दें और समतल बना दे. अब उसमें करीब 15 से 18 फिट की दूरी छोड़ते हुए पंक्तियों में गड्डे तैयार बना दें. इनका आकार एक मीटर चौड़ा और एक मीटर गहरा रखना चाहिए. गड्डों में पुरानी गोबर की खाद को उचित मात्रा में मिट्टी में मिलाकर गड्डों में भरकर उनकी गहरी सिंचाई कर दें. बाद में पुलाव के माध्यम से ढक दें.
पौधों को तैयार करना
संतरे की पौधों को खेत में लगाने से पहले उनकी पौध नर्सरी में तैयार की जाती है. इसके लिए संतरे के बीजों को राख में मिलकर सूखने के लिए छोड़ दें. फिर उन्हें नर्सरी में मिट्टी भरकर तैयार किये गए पॉलीथिन बैंग में लगाया जाता है. ध्यान रहे कि हर बैग में दो से तीन बीज उगाने चाहिए. इसके बीजों को अंकुरित होने में दो से तीन सप्ताह का समय लग जाता हैं.
पौधे की रोपाई का तरीका और समय
संतरे की पौध तैयार होने के बाद उन्हें खेत में तैयार किये हुए गड्डों में लगाया जाता है. इससे पहले गड्डों में खुरपी की सहायता से एक और छोटा गड्डा तैयार बना लें. अब छोटे वाले गड्डे में पौधे की पॉलीथिन को हटाकर उसमें लगा देते हैं और पौधे को चारों तरफ से अच्छे से मिट्टी से दबा देते है. बता दें कि इसकी खेती को बारिश के मौसम में करना चाहिए, क्योंकि इस दौरान पौधे को पानी की जरूरत भी नही पड़ती.
पौधों की सिंचाई
संतरे के पौधों को शुरुआत में ज्यादा सिंचाई की जरूरत पड़ती है, इसलिए पौधे को पानी उचित मात्रा में देना चाहिए. इसके पौधों को खेत में लगाने के तुरंत बाद पानी दे देना चाहिए. इसके बाद गर्मियों के मौसम में पौधों को सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए. जब पौधा पूरी तरह विकसित होवे लगे. तब उसे साल में चार से पांच सिंचाई की ही जरूरत होती है. जो मुख्य रूप से पौधे पर फूल खिलने के समय की जाती है. इससे फल अच्छे से बनते हैं.
फलों की तुड़ाई
आपको बता दें कि संतरे के फलों की तुड़ाई जनवरी से मार्च के महीने तक की जाती है. जब फलों का रंग पीला और आकर्षक दिखाई दें. तब उन्हें डंठल सहित काटकर अलग करना चाहिए. जिससे फल ज्यादा वक्त तक ताज़ा रहता है. संतरों की तुडाई करने के बाद साफ गिले कपड़े से पूंछ लें और छायादार स्थान पर सूखा दें. इसके बाद फलों को किसी हवादार बॉक्स में सूखी घास के साथ भर देते हैं. अब बॉक्स को बंद कर बाज़ार में भेज सकते है.
पैदावार और लाभ
इसकी पैदावार पौधे की देखरेख पर निर्भर करती है. जितनी अच्छी पौधों की देखरेख होगी, उतनी अधिक उपज प्राप्त होती है. जानकारी के मुताबिक, संतरे की विभिन्न किस्मों के पूर्ण विकसित एक पौधे से एक बार में औसतन करीब 100 से 150 किलो तक उपज प्राप्त की जा सकती हैं. तो वहीं एक एकड़ खेत में इसके करीब 100 से ज्यादा पौधे लगा सकते हैं. जिनकी एक बार में कुल उपज करीब 10000 से 15000 किलो तक होती है. इनका बाज़ार में थोक भाव करीब 10 से 30 रूपये प्रति किलो के आसपास होता है.