Vermiwash: खेतों में केमिकल के बार-बार उपयोग से न केवल फसलों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी कम हो जाती है. जिसके कारण किसानों को कम पैदावार मिलती है. मौजूदा समय में जब खेती के लिए उपजाऊ जमीन कम होती जा रही है, ऐसे में अच्छी फसल को बनाए रखना काफी अहम हो जाता है. इसलिए आज हम किसानों को एक ऐसे टॉनिक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे न केवल उनकी फसल का तेजी से विकास होगा. बल्कि, उत्तपादन में भी बढ़ोतरी होगी. जी हां, इस टॉनिक का नाम है वर्मीवॉश. जिसे फसलों के लिए रामबाण माना जाता है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
वर्मीवॉश क्या है? (What is Vermiwash)
वर्मीवॉश एक तरह की तरल जैविक खाद है, जिसे लिक्विड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर भी कहा जाता है. इसे ताजा वर्मीकम्पोस्ट और केंचुए के शरीर को साफ करके तैयार किया जाता है. इसमें विभिन्न हार्मोन, पोषक तत्व और एंजाइम्स होते हैं , जो फसल के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं. इसमें रोगों की रोकथाम के गुण होते हैं, साथ ही पोषक तत्व घुलनशील रूप में पाये जाते हैं, जो पौधों को आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. वर्मीवॉश एक प्रकार का ऑर्गेनिक टॉनिक है, जिसमें पोटाश, नाइट्रोजन, फास्फोरस, सल्फर, कैल्शियम, आयरन, यूरिक एसिड और फुलविक एसिड जैसे पोषक तत्व होते हैं. वर्मीवॉश का उपयोग करके न केवल अच्छी गुणवत्ता युक्त उत्पाद प्राप्त किया जाता है, बल्कि इसे प्राकृतिक जैविक कीटनाशक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. जो किसान वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर रहा है, वे चाहें तो वर्मीवॉश भी आसानी से बना सकते हैं.
वर्मीवॉश के फायदे (Benefits of Vermiwash)
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वर्मीवॉश के छिड़काव से पौधों का अंकुरण और फसलों का विकास अच्छी तरह होता है.
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ये फसलों की रोग-कीट से रक्षा करता है.
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पानी की लागत में कमी और अच्छी खेती.
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मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है.
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मिट्टी की पानी सोखने शक्ति बढ़ती है.
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इसके इस्तेमाल से ऊर्जा की बचत होती है.
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फसल का स्वाद अच्छा होता है.
कैसे करें वर्मीवॉश का छिड़काव? (How to spray Vermiwash)
किसी बर्तन में वर्मीवॉश को इकट्ठा करने के बाद इसका छिड़काव करना बहुत आसान है. वर्मीवॉश का छिड़काव करने के बाद यूरिया, डीएपी या किसी भी उर्वरक का इस्तेमाल करने की ज़रूरत नहीं होती है. एक लीटर वर्मीवॉश में 7-10 लीटर पानी मिलाकर पत्तियों पर शाम के वक्त छिड़काव करें. एक लीटर वर्मीवॉश और एक लीटर गौमूत्र को 10 लीटर पानी में मिलाकर इसे रातभर के लिए छोड़ दें. ऐसे 50-60 लीटर वर्मीवॉश का छिड़काव एक हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न रोगों की रोकथाम के लिए करें. फल, सब्जियों जैसी बागवानी फसलों के लिएवर्मीवॉश टॉनिक की तरह काम करता है.
फसलों पर वर्मीवॉश का छिड़काव कभी भी सीधे तौर पर नहीं करना चाहिए, इसे हमेशा पानी में घोलकर ही जरूरत के अनुसार ही छिड़काव करें. वर्मीवॉश रासायनिक खाद और उर्वरक से ज्यादा असरदार होता है. इसके इस्तेमाल से केमिकल युक्त खाद और कीटनाशकों का खर्च बच जाता है, इससे कम खर्च में अधिक उत्पादन किसानों को मिलता है.