धान गेहूं समेत तमाम परंपरागत फसलों की खेती से किसानों का मन अब भाग रहा है. क्योंकि, यह फसल उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे में अन्नदाता वैकल्पिक फसलों की खेती की ओर अपना रुख कर रहे हैं. आज हम आपको ऐसी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे बाजार में इम्यूनिटी बूस्टर के नाम से भी जाना जाता है. वहीं, यह फसल किसानों को चंद दिनों में लखपति बना सकती हैं. तो, आइए उसपर एक नजर डालें.
इम्यूनिटी बूस्टर से प्रसिद्ध
आज हम जिस फसल के बारे में बात करने जा रहे हैं, उसका नाम अश्वगंधा है. बाजार में अश्वगंधा की मांग काफी है. इसकी कीमत भी अच्छी खासी मिल जाती है. अश्वगंधा कई तरह से हमारे स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाता है. यह इम्यूनिटी बूस्टर के नाम से भी प्रसिद्ध है. अश्वगंधा की खेती भारत के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर होती है. अश्वगंधा की फसलें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तेजी से विकास करते हैं. इसकी खेती बीज के माध्यम से होती है. इनके बीज को अक्सर जून-जुलाई के बीच खेतों में बोया जाता है. वहीं, सितंबर से अक्टूबर के बीच इसके पौधे नजर आने लगते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, अश्वगंधा को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग पांच से छह महीने का समय लगता है.
पुराने जमाने से अश्वगंधा की मांग
अश्वगंधा को पुराने जमाने से आयुर्वेदिक औषधि के रूप में पहचाना जाता है. इसके उपयोग से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं. अश्वगंधा एक शांतिप्रद औषधि है, जो स्ट्रेस और तनाव को कम करने में मदद करती है. इसका नियमित सेवन शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है और मन को शांत व स्थिर रखता है. इसके अलावा, यह शरीर की ऊर्जा स्तर को भी बढ़ाने में मदद करता है और शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है. इससे थकान, कमजोरी और थकावट का सामना करने में मदद मिलती है. वहीं, यह शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है. इसके नियमित सेवन से शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता मिलती है.
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माना जाता है कि एक हेक्टेयर जमीन में अश्वगंधा की खेती करने पर लगभग 10,000 रुपए का खर्च आ सकता है. अगर मौसम के हालात सही रहे तो उत्पादन जबरदस्त मिलेगा. जिससे छह महीने में डेढ़ लाख तक की कमाई हो सकती है.