Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 20 June, 2023 4:37 PM IST
Crop activities of Maize crop

भारत में धान और गेहूं के बाद मक्का तीसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है। जिसे खाद्य पदार्थों, हरे चारे और औद्योगिक कार्यों में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। मक्का सभी अनाज वाली फसलों में से सबसे अधिक उत्पादकता (उपज/हेक्टेयर) देने वाली खाद्य फसल है। विश्व स्तर पर, मक्का को ‘खाद्य अनाजों की रानी’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसमें सभी अनाज फसलों के अतिरिक्त सबसे अधिक आनुवंशिक उपज क्षमता होती है। यह फसल विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों में खुद को ढाल कर अच्छी पैदावार देने में सक्षम है। इस फसल की खेती विश्व के 170 देशों में लगभग 206 मिलियन हेक्टेयर के क्षेत्र में की जाती है,जो वैश्विक अनाज उत्पादन में 1210 मिलियन टन का योगदान करती है (एफएओ स्टेट, 2021)।

भारत में 2021-22  में खरीफ मक्का की खेती 8.15 मिलियन हेक्टेयर के क्षेत्र में की गई जिससे 21.24 मिलियन टन अनाज का उत्पादन हुआ। हरियाणा में खरीफ मक्का का क्षेत्रफल लगभग 9300 हेक्टेयर है जिसमें लगभग 28000 टन का उत्पादन और औसत उत्पादकता 30.1 क्विंटल/हेक्टेयर है। बदलते वातावरण की परिस्थितियों को देखते हुए मक्का की अधिक उपज प्राप्त करने हेतु हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बताई गई सस्य क्रियाएं इस प्रकार हैं।

बीजाई का समय:-

मक्का फसल की बीजाई का उचित समय 25 जून से 20 जुलाई तक होता है।

मक्के की खेती के लिए मिट्टी का चुनावः

मक्के को दोमट बालू से लेकर मिट्टी के दोमट तक की किस्मों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

सामान्य पी एच के साथ उच्च जल धारण क्षमता वाली अच्छी कार्बनिक पदार्थ वाली मिट्टी को उच्च उत्पादकता के लिए अच्छा माना जाता है।

नमी के प्रति संवेदनशील फसल होने के कारण विशेष रूप से अधिक नमी और लवणता वाली भूमि में मक्का न लगाए।

खेत की तैयारी

खेत की तैयारी के लिए जुताई 12-15 से.मी. की गहराई पर की जानी चाहिए, ताकि सभी अवशेष और खाद मिट्टी में समा जाए। इस अभ्यास के लिए मोल्ड-बोल्ड हल अधिक उपयुक्त है। चार जुताई के बाद सुहागा लगाया जाता है ताकि मिटी  भुरभुरी जाएं। उसके बाद राइडर की मदद से मेड़ बनाई जा सके ।

बिजाई का तरीका

पूर्व पष्चिम दिशा में मेंढ बनाकर, मेंढ के दक्षिण दिशा में उपचारित बीज से 4-5 से.मी गहरी बीजाई करें। बाद में खूड़ की ऊंचाई तक पानी लगाने से जमाव ज्यादा व जल्दी होता है।

बीज का उपचार

फसल को बिमारियों से बचाने के लिए 4 ग्राम थीरम या 2.05 ग्राम कैप्टान व कीड़ों से बचाने के लिए 7 मि.ली इमिड़ा क्लापरिड (कोन फिडोर) दवाई प्रति किलोग्राम बीज को बिजाई 4-5 घंटे पहले उपचारित करें।

मक्का बुवाई के लिए मशीन का उपयोग:

इस समय मक्का की बीजाई के लिए जीरो टिलेज, चौड़ा बेड बीजाई यंत्र, बेड प्लांटर, न्युमेटिक प्लांटर व सामान्य प्लांटर उपलब्ध है।

खाद व उर्वरक:

मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करने से कम लागत में ज्यादा पैदावार ली जा सकती है। ज्यादा पैदावार लेने के लिए अच्छी गली व सड़ी गोबर की खाद 60 क्विंटल प्रति एकड़ खेत की तैयारी से पहले डालें।

बीज की मात्रा एवं पौधों की संख्याः

उद्देश्य

बीज दर 

लाइन से लाइन

पौधे से पौधे   की दूरी

अनाज/हरी छली  (सामान्य और उच्च गुणवत्ता  मक्काद्ध)

20

75 x 20

स्वीट कॉर्न

08

60 x 20

बेबी कॉर्न

25

60 x 15

साइलेज

10

60 x 20

पोषक तत्व प्रबंधन:

उर्वरक की आवश्यकता (नाइट्रोजन: फॉस्फोरस: पोटाश: जिंक) 60:24:24:10 किग्रा./एकड़ (फॉस्फोरस  की पूर्ण खुराक (50 किग्रा. DAP), पोटाश  (40 किग्रा. एम ओ पी) और जिंक (40 किग्रा. जिंक सलफेट).  नाइट्रोजन को तीन भागों में डालना चाहिए (1/3 बुवाई के समय, 1/3 घुटने के उच्च स्तर और 1/3 फूल आने पर)

सिंचाई प्रबंधन:

पहली सिंचाई बहुत सावधानी से की जानी चाहिए, जिसमें मेड़ों पर पानी नहीं बहना चाहिए। सामान्य तौर पर, मेड़ों की 2/3 ऊंचाई तक के खांचों में सिंचाई की जानी चाहिए।

सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण अवस्थाएः

अंकुरण,घुटने की उच्च अवस्था, फूल आने की अवस्था और दाने बनने की अवस्था पानी के तनाव के लिए सबसे संवेदनशील अवस्थाए हैं।

खरपतवार नियंत्रण

सभी प्रकार के खरपतवार नियंत्रण हेतु 400-600 ग्राम एट्राजिन/एकड़ 200-250 लीटर पानी में घोल कर बीजाई के तुरंत बाद या खरपतवार अंकुरण होने से पहले छिड़काव करें। सभी तरह के खरपतवारों के नियंत्रण के लिए टेंबोट्रायोन 115 मिलीलीटर/एकड़, 400 मिलीलीटर सर्फेक्टेंट /एकड़ को 200 लीटर पानी में घोल कर बिजाई के 10-15 दिन बाद या खरपतवार की 2-3 पत्ती अवस्था पर प्रति एकड़ छिड़काव करें। जरुरत पड़ने पर निराई गुड़ाई अवश्य  करें।

कटाई और तुड़ाई

मक्का परिपक्व होता है जब भूटे का छिलका  सूखने लगता  है और भूरे रंग का हो जाता  है। खड़ी मक्का में से भुटे तोड़ कर व छिलका उतार कर, धुप लगने के लिया छोड़ दिए जाता है ताकि अंत में दाने की नमी 12.15 प्रतिशत ही रह जाए।  मक्का की कटाई के लिए कंबाइन हार्वेस्टर का भी उपयोग किया जा सकता है। नमी कम होने पर थ्रेशर मशीन दाने नहीं तोड़ती व फसल का भाव भी  अधिक मिलता है और मक्का में अफलाटॉक्सिन नहीं बनते। 

नरेंद्र सिंहकिरणएम.सी. कमबोज और प्रीति शर्मा
क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रउचानीकरनाल
चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालयहिसार

English Summary: Crop activities of Maize crop, know full details
Published on: 20 June 2023, 04:45 PM IST

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