भारत में धनिया को बहुत से कामों में उपयोगी माना जाता है. मुख्य तौर पर इस फसल को किसान मसालों के रूप में बेचते है. इसकी पत्तियों को खाने में स्वाद बढ़ाने और खाने को सजाने के लिए उपयोग किया जाता है. देश का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो धनिया पत्ती की चटनी खाना खूब पसंद करता है.
इसकी सबसे अधिक मांग उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों में है. वहीं आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कनार्टक में भी लोग धनिया को खूब पसंद करते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे आप इसकी खेती कर सकते हैं.
जलवायु
धनिया को खूले धूप की जरूरत होती है. इसकी खेती बहुत अधिक ठंड में नहीं हो सकती. वैसे इसकी खेती किसी भी तरह की मिट्टी में हो सकती है, लेकिन सबसे उपयुक्त अच्छी दोमट भूमि अच्छी मानी गई है. वहीं असिंचित फसलों के लिए काली भारी भूमि सबसे उपयुक्त है.
उत्पादन को बढ़ाने के लिए जैविक खादों का उपयोग ही पर्याप्त है.
खेत की तैयारी
सबसे पहले खेतों को जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बनाना जरूरी है. धनिया की बुवाई पंक्तियों में करना अधिक लाभकारी है. कूड में बीजों की गहराई करीब 2 से 4 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए. ध्यान रहे कि इसके बीजों को अधिक गहराई पर बोने से अंकुरण कम होता है.
सिंचाई
मिट्टी में इसकी पहली सिंचाई लगभग 30 से 35 दिन बाद होनी चाहिए, इसी तरह दूसरी सिंचाई लगभग 50 से 60 दिन बाद होनी चाहिए. तीसरी सिंचाई के लिए 80 दिनों को इंतेजार करें. वैसे मौसम को देखते हुए मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए आप जरूरत अनुसार सिंचाई कर सकते हैं.
फसल कटाई
धनिया की पत्तिया अगर पीली औऱ धनिया डोड़ी का रंग चमकीला भूरा या पीला हो गया है, तो समझ लीजिए कि आपकी फसल कटाई के लिए तैयार है. कटाई के बाद इसके छोटे-छोटे बंडल बना लें और 1 से 2 दिन तक खेत में खुली धूप में सूखाए.