मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 31 March, 2022 5:22 PM IST
मशरूम की खेती

हरियाणा प्रदेश मे एक अनुमान के अनुसार लगभग छोटे-बड़े 2000-2500 मशरूम उत्पादक सफ़ेद बटन मशरूम की खेती करते हैं और यह प्रदेश देश की कुल मशरूम का 14-15  प्रतिशत उत्पादन देकर अग्रणी प्रदेशों  मे एक प्रमुख स्थान अर्जित कर चुका है.

हरियाणा प्रदेश के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार की मशरूम प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, पौध रोग विभाग मे पिछले काफी समय पहले से ही मशरूम अनुसंधान पर कार्यरत्त है.

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्व विद्यालय, हिसार का एकमात्र प्रशिक्षण संस्थान “सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान” जो विस्तार शिक्षा निदेशालय का एकमात्र प्रशिक्षण संस्थान है और विश्वविद्यालय के फार्म गेट नंबर 3, लूदास रोड पर स्तिथ है. प्रति माह बेरोजगार युवकों/युवतियों और किसानों के लिए उनकी मांग के अनुसार ऑनलाइन /ऑफलाइन मशरूम उत्पादन तकनीक पर  प्रशिक्षण आयोजित करवाता है, जिससे भारत वर्ष के विभिन्न प्रान्तों से कई प्रशिक्षणार्थी लाभान्वित हो कर मशरूम की खेती को एक व्यवसाय के रूप मे शुरू कर चुके है.

इस प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न तरह की खुम्बों की उत्पादन तकनीक, खुम्बों की प्रोसेसिंग, मशरूम की मूल्य संवर्धता इत्यादि विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी देकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसे एक व्यवसाय के रूप अपनाने की सारी जानकारी मुहैया कारवाई जाती है. प्रशिक्षणार्थियों को विश्वविद्यालय की मशरूम प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला और प्रगतिशील मशरूम उत्पादक के फार्म का भ्रमण भी करवाया जाता है. ज़्यादातर मशरूम उत्पादक शरद ऋतु में सफ़ेद बटन मशरूम का उत्पादन लेने के बाद मशरूम फार्म को बन्द कर देते हैं, बल्कि इसके उत्पादन के बाद अन्य तरह की मशरूम जैसे ढींगरी मशरूम, दूधिया मशरूम इत्यादि का भी उत्पादन लेकर ज्यादा फायदा ले सकते हैं.

ढींगरी मशरूम की कई किस्में हैं जिनको अलग अलग समय पर उगाकर सारा वर्ष केवल ढींगरी मशरूम का ही उत्पादन लिया जा सकता है. आइये इस लेख में अप्रैल माह में मशरूम उत्पादन से संबन्धित  कुछ कार्यों की चर्चा करते हैं, जिसका किसान भाईयों या मशरूम उत्पादकों को ज्ञान नहीं होता है.

अप्रैल माह में मशरूम उत्पादन के कार्य (Mushroom production work in the month of April)

  • जो मशरूम उत्पादक ढींगरी मशरूम की पैदावार लेने के इच्छुक हैं वो मशरूम भवन मे पानी छिड़क कर 85 से 90 प्रतिशत तक आपेक्षिक आर्दर्ता बनाये रखें.

  • मशरूम की तुड़ाई पानी के छिड़काव से पहले ही कर लें.

  • ढींगरी मशरूम पर पानी के छिड़काव के बाद हवा के आवागमन का प्रबन्ध करें अन्यथा बैक्टीरियल ब्लोच बीमारी होने की आशंका हो सकती है. 

  • ढींगरी मशरूम की यदि प्लुरोट्स साजोर काजू प्रजाति उगाई हुई है, तो मशरूम भवन का तापमान 23 से 28 डिग्री सेल्सियस बना कर रखें.

  • इस मशरूम के बैग में यदि किसी काली, हरी फफूंद या  अन्य फफूंद का प्रकोप दिखाई दे, तो उस बैग को मशरूम भवन से निकाल कर मशरूम भवन से दूर गहरे गड्डे मे डाल कर मिट्टी से ढ़क दें.

ये भी पढ़ें: मशरूम के मुख्य रोग और उनके रोकथाम

यदि किसी कीट का प्रकोप है तो किसी कीट वैज्ञानिक की सलाह के अनुसार कार्य करें (If there is an infestation of any insect, then act according to the advice of an entomologist) 

बता दें कि ढींगरी मशरूम की फसल लगभग दो माह में पूरी प्राप्त कर ली जाती है और अप्रैल के अन्त में यदि ढींगरि मशरूम का उत्पादन बन्द हो चुका है तो मशरूम भवन को साफ करके 2 प्रतिशत फोरमैलीन का छिड़काव करके कमरे को अच्छी तरह से बन्द कर दें, ताकि फोर्मलीन की गन्ध से कमरे में मौजूद सभी कीट, फफूंद, बैक्टीरिया, माइट्स इत्यादि के सभी अवशेष नष्ट हो जाएँ. उस मशरूम को अगली फसल यानि दूधिया मशरूम/मिल्की मशरूम के उत्पादन के लिए प्रयोग मे लाया जा सके.

लेखक

सतीश कुमार और राकेश कुमार

सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान, पौध रोग विभाग

चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार -125004

English Summary: Complete information about the work related to mushroom cultivation in the month of April
Published on: 31 March 2022, 05:27 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now