मूंगफली एक तिलहन फसल है. प्राय: इसका उत्पादन तेल उत्पादन करने के उद्देश्य से किया जाता है. इसकी खेती कई राज्यों में होती है, जिसमें गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु समेत कई अन्य राज्य शामिल है. किसान भाई मूंगफली की खेती (Moongfali Crop) कर अच्छा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं.
जैसा कि हम सब जानते हैं कि हर फसल में विभिन्न प्रकार के रोग होते हैं. उसी प्रकार से मूंगफली को विभिन्न प्रकार के रोग होने की संभावना बनी रहती है, जिसका उपचार करने के लिए अलग-अलग तरह की तरीके अपनाएं जाते हैं. आइए, इस लेख में आगे जानते हैं कि आमतौर पर मूंगफली को किस तरह रोग होने की संभावना रहती है और इससे उपचार करने हेतु किस तरह की औषधियों का सहारा लिया जाता है.
मूंगफली रोग नियंत्रण (Groundnut disease control)
जब किसान भाई किसी फसल की खेती करते हैं, तो उस फसल को विभिन्न प्रकार के रोग होने की संभावना बनी रहती है. इन रोगों से बचाव हेतु विभिन्न प्रकार की विधियां निर्धारित की गई हैं. इस लेख में आगे हम मूंगफली को होने वाले रोग व उससे बचाव के तरीकों के बारे में जानेंगे.
रोजट रोग (Rosette disease)
यह मूंगफली में होने वाला विषाणु जनित रोग है. इसकी वजह से पौधे बौने हो जाते हैं और पत्तियों का रंग पीला हो जाता है. यह रोग मुख्यत: विषाणु फैलने वाले माहूं से फैलता है. इस रोग को फैलने से रोकने के लिए इमिडाक्लोरपिड 1 मि.ली. को 3 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव कर देना चाहिए.
टिक्का रोग (Tikka disease)
मूंगफली में जब यह रोग होता है, तो उसके पत्तों पर छोटे-छोटे गोलाकार धब्बे दिखाई देने लगते हैं. ये धब्बे धीरे-धीरे पत्तियों व तनों में फैल जाते हैं. इसकी वजह से पत्तियां सूखकर झड़ जाती हैं और पौधों में सिर्फ तने ही रह जाते हैं.
यह बीमारी सर्कोस्पोरा परसोनेटा या सर्केास्पोरा अरैडिकोला नामक कवक द्वारा उत्पन्न होती है. फसलों को इस रोग से बचाने हेतु किसान भाई डाइथेन एम-45 को 2 किलोग्राम एक हजार लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से दस दिनों के अन्तर पर दो-तीन छिड़काव करने चाहिए.
मूंगफली कीट नियंत्रण (Peanuts Pest Control)
सामान्यत: मूंगफली को विभिन्न प्रकार के कीटों का भी सामना करना पड़ता है. आइए, इस लेख में हम आपको कुछ कीटों के बारे में बताए चलते हैं, जिसकी चपेट में आने की संभावना मूंगफली को रहती है.
रोमिल इल्ली (Romil worm)
रोमिल इल्ली एक ऐसा कीट है, जो पत्तियों को खाकर पौधों को अंगविहिन कर देता है. समय पर इससे बचने के लिए कोई उपयुक्त कदम नहीं उठाए गए तो यह पौधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसकी रोकथाम का एकमात्र उपाय यही है कि जैसे ही आपको इसे अंडे मूंगफलियों की पत्तियों में दिखे तो उसे काटकर जला देना चाहिए, अन्य़था यह धीरे–धीरे पूरे पत्तियों को अपनी चपेट में ले लेते हैं.
माहू (Mahu)
यह कीट छोटे व भूरे रंग के होते हैं. यह पत्तियों को चूसने का काम करते हैं, जिससे उनकी पूरी पत्तियों का रस यह चूस जाया करते हैं. इसके नियंत्रण के लिए इस रोग को फैलने से रोकने के लिए इमिडाक्लोरपिड 1 मि.ली. को 1 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव कर देना चाहिए.
लीफ माइनर (Leaf miner)
इस कीट के चपेट में आने के बाद पत्तियों में पीले रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं. इसकी चपेट में आने के बाद यह पत्तियों को धीरे-धीरे अंदर से खा जाते हैं और पत्तियों पर हरी धारियां बना देते हैं.
तो किसान भाइयों यह मूंगफली को होने वाले रोगों के संदर्भ में हमारा लेख है, जिसमें हमने आपको मूंगफली को होने वाले रोग व बचाव के उपाय की विस्तृत जानकारी दी है.