Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 23 May, 2020 6:29 PM IST
मशरूम की खेती का तरीका

मशरूम की खेती (Mushroom Farming) अब पुआल पर भी किया जा सकता है. पुआल पर मशरूम की खेती करने से किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनफा मिल सकेगा. यह तकनीक डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गयी है. डॉ. दयाराम का कहना है कि गर्मी का मौसम इस प्रक्रिया के लिए अनुकूल है और इस मौसम में पुआल पर कम समय में मशरूम से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.

इसमें पुआल की उष्मा को अन्य तकनीक से ज्यादा होना बताया जाता है. गर्मी के मौसम में इसको दूधिया मशरूम के लिए उपयुक्त माना जाता है. वहीं मशरूम वैज्ञानिक डॉ. दयाराम हर्ष के साथ बताते हैं कि अन्य तकनीक के मुकाबले इसमें समय भी कम लगेगा जहां दूसरे तकनीक में मशरूम 30 से 35 दिनों में तैयार होता है इस प्रक्रया से अब मशरूम को अब 15 से 20 दिनों में ही तैयार कर लिया जाएगा.

लॉकडाउन के वक्त तैयार की यह तकनीक

मशरूम वैज्ञानिक डॉ. दयाराम के नेतृत्व में काम कर रही टीम ने लॉकडाउन की अवधि का इस्तेमाल करते हुए मौजूदा समय में तकनीक को विकसित किया है. डॉ. दयाराम ने इस संबंध में बताया कि पुआल को खेतों में जलाने से कई प्रकार की समस्याएं होती हैं जिसमें वातावरण दूषित होने के साथ-साथ मिट्टी के पोषक तत्वों को भी काफी नुकसान होता था. इसके साथ ही अगर मशरूम की खेती की बात की जाए तो गर्मियों में दूधिया मशरूम को उगाने के लिए पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा था. वहीं अब इसके विकल्प के रूप में पुआल पर एक्स्ट्रा पैडी मशरूम विकसित की जा रही है.

वैज्ञानिकों ने माना शोध के परिणाम को बताया संतोषजनक

डॉ. दयाराम ने कहा कि इस तकनीक के अभी तक के परिणाम काफी संतोषजनक हैं. इसके उत्पादन के लिए उपयक्त तापमान की बात करें तो 30 से 38 डिग्री सेल्सियस अनुकूल है. वहीं इसके लिए सापेक्ष आद्रर्ता 90 प्रतिशत उपयुक्त माना गया है. इससे यह साफ होता है कि गर्मी के मौसम में इसका उत्पादन काफी बेहतर हो सकता है. इस तकनीक से तैयार होने के बाद मशरूम में प्रोटीन समेत अन्य पोषक तत्व बिल्कुल समान ही रहता है.

इसका उत्पादन घर में भी किया जा सकता है

धान की कटाई के बाद बचे हुए पुआल को छोटी-छोटी मुट्ठी (अंटिया) बनाकर बांध लिया जाता है. उसके बाद उन्हें 15 से 20 मिनट तक पानी में फुलाकर गर्म पानी से उपचारित किया जाता है.

ये खबर भी पढ़े : मसूर की नई किस्म, कम पानी में भी होगी 25 प्रतिशत अधिक उपज

आगे चोकर या बोझे की तरह उसे बांधकर नीचे के पुआल वाली मुट्ठी पर मशरूम के बीज को रख दिया जाता है.  आखिर में पुआल की कई परत बनाकर बीज को डाला जाता है. इस तरह से घर पर ही टेबल का आकार बनाकर मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है.  

English Summary: checkout the new technique of mushroom farming in bihar
Published on: 23 May 2020, 06:35 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now