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Updated on: 17 October, 2024 10:38 AM IST
टमाटर और बैंगन की खेती, सांकेतिक तस्वीर

बैंगन एवं टमाटर में लगने वाला बैक्टीरियल विल्ट रोग एक जीवाणु राल्सटोनिया (स्यूडोमोनास) सोलानेसीरम नामक जीवाणु के कारण होता है. इस जीवाणु के कारण 33 पौधों के फैमिली के 200 से अधिक पौधों की प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला इस रोग से प्रभावित होती है. सोलानेसी फैमिली के अन्य पौधे जैसे टमाटर, आलू, बैंगन और तंबाकू अतिसंवेदनशील पौधों में से हैं. बैक्टीरियल विल्ट एक विनाशकारी बीमारी है जो टमाटर और बैंगन सहित सोलेनैसियस फसलों को प्रभावित करती है. यदि प्रभावी ढंग से प्रबंधित नहीं किया गया तो इससे फसल को काफी नुकसान होता है.

जीवाणु विल्ट रोग के प्रमुख कारण

राल्सटोनिया सोलानेसीरम: बैक्टीरियल विल्ट मुख्य रूप से मिट्टी से पैदा होने वाले जीवाणु राल्स्टनिया सोलानेसीरम के कारण होता है. यह जीवाणु पौधों की संवहनी प्रणाली को संक्रमित करता है, जिससे पानी और पोषक तत्वों का प्रवाह बाधित होता है. रोगज़नक़ रोपण के समय, खेती के माध्यम से या नेमाटोड या कीड़ों द्वारा किए गए घावों के माध्यम से जड़ों में प्रवेश करता है.बैक्टीरिया संवहनी प्रणाली में बहुगुणित होते है अंततः बैक्टीरिया कोशिकाओं के कारण भोजन एवं पानी का संचालन बुरी तरह से प्रभावित होता हैं.

मिट्टी की दृढ़ता: राल्स्टोनिया सोलानेसीरम लंबे समय तक मिट्टी में बनी रह सकती है, जिससे बीमारी की रोकथाम के लिए फसल चक्र और मिट्टी प्रबंधन महत्वपूर्ण हो जाता है.

बैक्टीरियल विल्ट रोग के प्रमुख लक्षण

मुरझाना और बौनापन: संक्रमित पौधे मुरझाने और बौनेपन का प्रदर्शन करते हैं, जो अक्सर एक शाखा या पत्ती से शुरू होकर पूरे पौधे में फैल जाता है. दोपहर के समय जब तापमान अधिकतम होता है उस समय पूरा पौधा या पौधे का कोई हिस्सा मुरझाया हुआ दिखाई देता है और जब अगले दिन सुबह देखेंगे तो वह स्वस्थ दिखेगा. इस पर अक्सर ध्यान नहीं जाता. इसके तुरंत बाद, पूरा पौधा अचानक मुरझा जाता है और मर जाता है. ऐसे नाटकीय लक्षण तब होते हैं जब मौसम गर्म होता है (86-95 डिग्री फारेनहाइट), और मिट्टी में नमी भरपूर होती है.

संवहनी भूरापन: जीवाणु के आक्रमण के परिणामस्वरूप संवहनी ऊतक भूरा हो जाता है, जिससे पौधे की पानी और पोषक तत्वों के परिवहन की क्षमता ख़राब हो जाती है.गर्मियों में , फल देने वाले पौधे ज्यादा प्रभावित होते हैं. कम अनुकूल परिस्थितियों में, विल्ट की गति धीमी होती है, और कई जड़ें अक्सर निचले तनों पर बनती हैं. दोनों ही मामलों में, एक भूरे रंग का मलिनकिरण मौजूद रहता है. जड़ें क्षय की अलग-अलग डिग्री प्रदर्शित करेंगी.

पत्तियों का पीला पड़ना: रोग बढ़ने पर पत्तियों का पीला पड़ना, जिसे क्लोरोसिस कहा जाता है, एक सामान्य लक्षण है.

पौधे की तीव्र मृत्यु: गंभीर मामलों में, जीवाणु विल्ट के कारण पूरा पौधा तेजी से नष्ट हो सकता है.

बैक्टीरियल विल्ट रोग का प्रबंधन कैसे करे?

टमाटर और बैंगन की फसल के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जीवाणु विल्ट रोग का प्रबंधन महत्वपूर्ण है. रोग के प्रभाव को कम करने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं जैसे..

प्रतिरोधी किस्में: प्रतिरोधी या सहनशील किस्मों का रोपण जीवाणु संबंधी विल्ट रोग को नियंत्रित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है. प्रजनन कार्यक्रमों ने टमाटर और बैंगन की प्रतिरोधी किस्में विकसित की गई हैं.

फसल चक्रण: मिट्टी में बैक्टीरिया की आबादी को कम करने के लिए फसल चक्रण (Crop rotation) रणनीति को लागू करना आवश्यक है. कई वर्षों तक एक ही क्षेत्र में सोलेनैसियस कुल की फसलें लगाने से बचें. रोग से ग्रसित खेत में कम से कम 3 वर्षों के लिए टमाटर, मिर्च, बैंगन, आलू, सूरजमुखी इत्यादि को नही लगाए.

मृदा सोलराइजेशन: सोलराइजेशन में मिट्टी को गर्म करने के लिए उसे पारदर्शी प्लास्टिक से ढंकना, रोगजनक बैक्टीरिया और अन्य मृदाजनित कीटों को मारना शामिल है.

मृदा कीटाणुशोधन: धूमन जैसे तरीकों के माध्यम से मिट्टी कीटाणुशोधन से मिट्टी में बैक्टीरिया के भार को कम करने में मदद मिलती है.

स्वच्छता: संक्रमित पौधों के विभिन्न हिस्सों को हटाकर और नष्ट करके अच्छी स्वच्छता का प्रयोग करने से बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है.

जैविक नियंत्रण: कुछ लाभकारी सूक्ष्मजीव, जैसे कि ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनास प्रजातियाँ, राल्स्टोनिया सोलानेसीरम को प्रबंधित करने में कारगर होते हैं.

रासायनिक नियंत्रण: रासायनिक नियंत्रण विधियों,जैसे तांबा-आधारित जीवाणुनाशकों का प्रयोग निवारक उपाय के रूप में किया जा सकता है, लेकिन उनकी प्रभावकारिता भिन्न हो सकती है.रोपण से पहले सीडलिंग को ब्लाइटॉक्स 50 की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में एवं स्ट्रेप्टोसाइकिलिन की 1 ग्राम मात्रा को प्रति 3 लीटर पानी के घोल में डूबा कर रोपण करना चाहिए एवं रोग के शुरुवाती लक्षणों के दिखाई देते ही इसी घोल से आसपास की मिट्टी को खूब अच्छी तरह से भींगा देना चाहिए. इसी घोल से 10 दिन के बाद पुनः दुहराए .

संगरोध: रोग-मुक्त क्षेत्रों में संक्रमित पौधों या मिट्टी के प्रवेश को रोकने के लिए संगरोध उपायों को नियोजित किया जा सकता है.

स्वच्छ कृषि पद्धतियां: औजारों और उपकरणों को कीटाणुरहित करने जैसी स्वच्छ कृषि पद्धतियों को लागू करने से रोगज़नक़ के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है.

निगरानी और शीघ्र पता लगाना: लक्षणों के लिए फसलों की नियमित निगरानी और बीमारी का शीघ्र पता लगाने से तेजी से रोकथाम में मदद मिलती है.

एकीकृत रोग प्रबंधन: कई प्रबंधन रणनीतियों को एक एकीकृत दृष्टिकोण में संयोजित करने से अक्सर सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं.

निष्कर्ष: टमाटर और बैंगन की फसल के लिए बैक्टीरियल विल्ट एक बड़ा खतरा है. घाटे को कम करने के लिए प्रभावी प्रबंधन रणनीतियाँ आवश्यक हैं. प्रतिरोधी किस्मों, फसल चक्र, मिट्टी कीटाणुशोधन और जैविक नियंत्रण का संयोजन फसलों की रक्षा करने में मदद करता है. बीमारी को फैलने से रोकने के लिए नियमित निगरानी और शीघ्र पता लगाना महत्वपूर्ण है. एक व्यापक और एकीकृत रोग प्रबंधन दृष्टिकोण को लागू करके, किसान अपनी टमाटर और बैंगन की फसलों को जीवाणु विल्ट से बचा सकते हैं, जिससे टिकाऊ कृषि और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है.

English Summary: Causes symptoms of bacterial wilt disease in eggplant and tomato cultivation
Published on: 17 October 2024, 10:42 AM IST

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