अरंडी एक व्यवसायिक फसल है. अरंडी के तेल की मांग बाजार में बहुत होती है और यही कारण है कि आजकल विभिन्न उत्पादों के लिए देश-विदेश में इसकी उपयोगिता बढ़ गई है. इसकी खेती कम संसाधनों में आराम से की जा सकती है. इसे किसी विशेष मिट्टी या जलवायु की आवश्यकता भी नहीं होती है. यही कारण है कि आजकल इसकी खेती को बहुत प्राथमिकता दी जाने लगी है.
आज हम आपको अरंडी की खेती के लिए अनुकूल दशाओं और खेती करने के तरीकों के बारे में बताएंगे.
देश में किसानों के बीच औषधीय पौधों की खेती का चलन बढ़ा गया है और अरोमा मिशन के अंतर्गत सरकार भी इन पौधों की खेती के लिए लगातार प्रोत्साहन दे रही है. अरंडी भी एक ऐसी ही फसल है जिसे सरकार लगातार प्रोत्साहित कर रही है इसकी खेती करके किसान बहुत अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं .
कहां करें अरंडी की खेती (Where to cultivate castor)
इसे किसी भी तरह की मिट्टी या जलवायु में उगाया जा सकता है. जिस भी खेत में किसान फसल की खेती करें, उसमें जल निकासी की व्यवस्था बेहतर हो यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है. सामान्य के साथ-साथ आदर्श तापमान में भी इस पौधे के विकास पर कोई असर नहीं पड़ता है. आपको यह भी बता दें कि इसकी खेती करना अन्य फसलों के मुकाबले बेहद सस्ता है. एक हेक्टेयर में इसकी खेती करने की लागत मात्र 25 से 30 लाख तक आती है.
बहु उपयोगी है अरंडी (Castor is very useful)
आपको बता दें कि अरंडी एक बहु उपयोगी व्यावसायिक फसल है. इसके बीजों का इस्तेमाल तेल बनाने में किया जाता है. यह तेल एक किस्म का औषधीय तेल होता है जो विभिन्न प्रकार के शारीरिक विकारों को ठीक करने के काम आता है. बच्चों की मालिश के लिए भी यह तेल बेहद लाभदायक है. इससे उनकी हड्डियां मजबूत बनती है. इसके अलावा कपड़े की डाई और साबुन बनाने में भी अलसी का उपयोग किया जाता है.
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अरंडी के तेल को स्टोर करना है आसान (Castor oil is easy to store)
अरंडी की खेती के प्रति रुझान का एक बहुत बड़ा कारण यह है कि इसके तेल को स्टोर करना बेहद आसान है. यह शून्य तापमान पर भी जमता नहीं है और इसीलिए इस के तेल से किसान अच्छी कीमत प्राप्त कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा भी.
कैसे करें अरंडी की खेती (How to cultivate castor)
अरंडी की खेती दो तरीकों से की जा सकती है. पहला तो यह कि किसान नर्सरी में पौधे तैयार करने के बाद इनकी रोपाई खेतों में करें. इसके अलावा बीजों को सीडड्रिल के माध्यम से भी खेतों में लगाया जा सकता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रति हेक्टेयर खेत में 20 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता होती है. यदि रोपाई से पहले किसान दो-तीन बार जुताई कर ले तो फसल अच्छी प्राप्त होती है. खेतों को खरपतवार से बचाएं. सबसे अच्छी बात यह है कि रोपाई के 120 से 130 दिनों के भीतर ही फसल कटाई के लायक हो जाती है.
कितना होगा मुनाफा (How much will be the profit)
यदि किसान एक हेक्टेयर में 25 से 30 क्विंटल तक अरंडी का उत्पादन करता है तो वह आराम से डेढ़ से दो लाख तक का मुनाफा हासिल कर सकता है.