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Updated on: 30 March, 2024 12:43 PM IST
ग्रीष्मकालीन बैंगन की खेती

Brinjal Farming: बैंगन एक ऐसी सब्जि है, जो भारत के ज्यादातर हिस्सों में उगाई जाती है. इसकी खेती भारत में बड़े स्तर पर होती है. यही वजह है की किसान इसे उगाना पसंद करते हैं. बैंगन को कही भी उगाया जा सकता है. आप इसे खेत से लेकर अपने घर में बने किचन गार्डन या छत पर भी उगा सकते हैं. इसे आसानी से गमलों, कंटेनरों और ग्रो बैग में भी उगाया जा सकता है. क्योंकि, रबी फसलों का सीजन अब खत्म हो चुका है. इसलिए किसान अब ग्रीष्मकालीन बैंगन की तैयार में जुट गए हैं. ऐसे में अगर आप भी गर्मियों में बैंगन की खेती करना चाहते हैं, तो ये खबर आप ही के लिए है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

उचित जलवायु परिस्थितियां

बैंगन की अच्छी फसल के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 5 और 7 के बीच होना चाहिए. पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है. बैंगन के पौधे 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस पर अच्छे से विकास करते हैं.

रोपण एवं देखभाल

बुआई के 21 से 25 दिन बाद पौधे रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं. बैंगन की ग्रीष्मकालीन फसल के लिए रोपण फरवरी-मध्य मार्च के बीच किया जाना चाहिए. पंक्ति से पंक्ति के बीच 60 सेमी तथा पौधे से पौधे के बीच 50 सेमी का अंतर रखते हुए ही इसे लगाना उचित होता है. संकर किस्मों के लिए कतारों के बीच 75 सेमी की दूरी रखें, तथा पौधों के बीच 60 सेमी की दूरी बनाए रखना ही काफी है. इसके बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए तथा पौधा स्थापित होने तक प्रतिदिन सिंचाई करनी चाहिए. समय-समय पर फसल की निराई-गुड़ाई करना जरूरी है. पहली निराई-गुड़ाई रोपाई के 20-25 दिन बाद तथा दूसरी निराई-गुड़ाई 40-50 दिन बाद करनी चाहिए.

खाद एवं उर्वरक

अच्छी उपज के लिए 200-250 क्विंटल/हेक्टेयर की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा फसल में 120-150 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (260-325 कि.ग्रा. यूरिया), 60-75 कि.ग्रा. फास्फोरस (375-469 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट) एवं 50-60 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर पोटाश (83-100 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश) की आवश्यकता होती है.

सिंचाई

ग्रीष्मकालीन बैंगन की खेती में अधिक उपज पाने के लिए सही समय पर पानी उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है. गर्मी के मौसम में हर 3-4 दिन में पानी देना चाहिए. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बैंगन की फसल में पानी खड़ा न हो, क्योंकि यह फसल पानी खड़ा नहीं सहन कर सकती. टैरेस गार्डनिंग के तहत ग्रो बैग, कंटेनर, गमले और बाल्टियों में लगाए गए बैंगन के पौधों को रोजाना पानी देना चाहिए.

कटाई और मार्केटिंग

किस्म के आधार पर बैंगन के पौधे रोपण के लगभग 50 से 70 दिन बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं. बैंगन के फलों की कटाई शाम के समय करना सबसे अच्छा होता है जब वे नरम और चमकदार होते हैं. कटाई में देरी से फल सख्त और बदरंग हो जाते हैं. साथ ही उनमें बीज भी विकसित होते हैं. इससे बाजार में उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है.

English Summary: brinjal cultivation in summers brinjal varieties and farming process
Published on: 30 March 2024, 12:44 PM IST

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