वर्तमान मौसम को मद्देनजर रखते हुए बात करें तो अभी के समय में किसानों द्वारा खरीफ फसलों की खेती का कार्य किया जा रहा है, जिसमे मुख्यतः धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंगफली, सोयाबीन, उड़द तुअर, गन्ना, कपास आदि शामिल हैं.
ऐसे में किसान उन सभी फसलों की खेती करना उचित समझते हैं जिससे वह अधिक मुनाफा कमा सकें. लेकिन यह तभी संभव है जब फसल सही सलामत खेतों से निकलकर मंडी में पहुंच जाए. जब तक फसल खेत में खड़ी रहती है तब तक किसानों के मन में चिंता बनी रहती है. खड़ी फसलों पर कीट, खरपतवार, मौसम से लेकर हर तरह का खतरा बना रहता है. ऐसे में फसलों का मंडी तक सही सलामत पहुँच जाना अत्यंत आवश्यक होता है.
अगर कीटों की बात करें, तो खरीफ फसल में कई प्रकार के कीटों का प्रकोप आए दिन देखने को मिलता है उसमे से एक है फॉल आर्मीवर्म. जिसका वैज्ञानिक नाम स्पोडोप्टेरा फ्रुगिपरडा हैं. यह मुख्यतः धान, मक्का, गेहूं, ज्वार जैसी फसलों पर प्रकोप करता है है और धीरे-धीरे फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देता है.
फसलों में इन कीटों के लग जाने से पत्ते खुरच जाते हैं, व्यापक पर्ण की क्षति होती है, मल के साथ-साथ व्होरल की क्षति होती है. इसके अलावा लटकन और फसल के कान यानी ऊपरी भाग में क्षति पाई जाती है. ऐसे में कीटों के बढ़ते प्रकोप से निजात पाने के लिए किसान हर साल अलग-अलग तरकीब अपनाते रहते हैं लेकिन किसी प्रकार का कोई विकल्प उन्हें नहीं मिल पाता.
ऐसे में अग्री फेरो सॉल्यूशंस किसानों के लिए कुछ ऐसा लेकर आया है जिससे किसानों की परेशानी चंद मिनटों में खत्म हो जाएगी.
एपीएस एलयू-सी फेरोमोन लुरेस का इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है.
सबसे पहले आपको एपीएस प्रजाति-विशिष्ट फेरोमोन ल्यूर के साथ एपीएस फ़नल ट्रैप को सेट करना होगा ताकि नर पतंगे 12 नग/हेक्टेयर की दर से निगरानी की जा सके और उसे आकर्षित कर खत्म किया जा सकें. इसे 4-5 सप्ताह में एक बार किसान भाइयों को बदलने की जरुरत है.
अब बात करते हैं सब्जियों में लगने वाले कीटों के बारे में. धान, गेहूं मक्का, ज्वार से लेकर फल और सब्जियों में भी कीटों के लग जाने का खतरा मंडराता रहता है. वहीँ बैंगन में लगने वाले कीटों के बारे में बात करें तो इसमें आम तौर पर बैंगन फल और प्ररोह बोरेर के नाम से जाना जाता है. हालांकि इस कीट का वैज्ञानिक नाम ल्यूसीनोडेसोर्बोनालिस है. इस कीट के प्रकोप से बैंगन की फसल में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं और फल पूरी तरह से खराब हो जाता है.
ऐसे में किसान एपीएस एलयू-सी फेरो ल्यूर के साथ वाटर ट्रैप/डेल्टा ट्रैप को अपने खेतों में लगाकर नर पतंगों को 12 नग/हेक्टेयर की दर से मॉनिटर कर सकते हैं और साथ ही उन्हें इस ट्रैप की ओर आकर्षित कर मार भी सकते हैं. किसानों को 4-5 सप्ताह में एक बार शीशी को बदलने की आवश्यकता होती है.
एपीएस एलयू-सी फेरोमोन लुरेस के लाभों के बारे में
फेरोमोन उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल है और यह पर्यावरण को बहुत कम प्रभावित करता है.
मनुष्यों और अन्य जीवों के लिए बिलकुल सुरक्षित है. इसमें किसी तरह का कोई जहरीला पदार्थ नहीं पाया जाता है.
प्राकृतिक समान सिंथेटिक फेरोमोन, कोई प्रतिरोध नहीं है.
फसलों पर मंडराते लाभकारी कीड़ों के लिए यह बिलकुल सुरक्षित है.
अब बात करते हैं, अभी के मौसम के अनुसार मुख्य फसलों में से एक यानी कपास फसल के बारे में. यह नगदी फसलों में से एक है. इसे सफ़ेद सोना और रेशेदार फसल के नाम से भी जाना जाता है. मुनाफा अधिक होने के कारण अधिकतर किसान इसकी खेती करना उचित समझते हैं ताकि अपनी आमदनी को बढ़ा सकें. ऐसे में अगर इन फसलों पर कीटों का प्रकोप बना रहे तो किसानों की चिंता भी बढ़ जाती है और ख़ास कर कपास की बात की जाए तो इसमें कीटों का खतरा सबसे अधिक रहता है. कपास में मुख्यतः गुलाबी सुंडी का खतरा रहता है, जिसे हम पेक्टिनोफोरा गॉसिपिएला के नाम से भी जानते हैं. तमाम कोशिशों के बाद भी अब तक इसके लिए कोई कीटनाशक नहीं बनाया गया है जिससे इस कीट को नियंत्रित किया जा सके.
गुलाबी सुंडी का प्रकोप इतना भयानक होता है कि यह देखते ही देखते पूरे फसल को बर्बाद कर देता है. पिछले साल पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र सहित कई अन्य राज्यों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप इतना बढ़ गया कि किसानों ने इससे परेशान होकर पूरी फसल को आग के हवाले कर दिया. ऐसे में किसान भाई एपीएस एलयू-सी फेरोमोन लुरेस का इस्तेमाल कर अपनी फसलों को इन खतरनाक कीटों से बचा सकते हैं और साथ ही अच्छी उपज भी प्राप्त कर सकते हैं.
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 9016111180, 9515004282
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