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Updated on: 2 June, 2022 5:57 PM IST

आज हम किसान भाइयों को ब्रह्म कमल की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं. ब्रह्म कमल कोई साधारण फूल नहीं है. इसका संबंध परमपिता, सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी से है.

ब्रह्म कमल की विशेषताएं

यह कमल बहुत खास है. यह बाजार में 500 से 1000 रुपए तक बिकता है. हमारी धार्मिक मान्यताओं में इसका बहुत महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यही वह पुष्प है जिस पर ब्रह्मा विराजमान हैं अर्थात यह ब्रह्मासन है .

कहां पाया जाता है ब्रह्म कमल 

भारत के पर्वतीय क्षेत्रों विशेषकर हिमालय क्षेत्र में ब्रह्म कमल बहुतायत में पाए जाते हैं. यह उत्तराखंड राज्य का राजकीय पुष्प भी है.  उत्तराखंड में इसे कौलपद्म में भी कहा जाता है उत्तराखंड के बहुत से जिलों में इसकी खेती की जाती है. 

ब्रह्म कमल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह साधारण कमल की तरह पानी में नहीं खिलता. यह पेड़ पर उगता है और इसकी एक अद्भुत विशेषता की बात की जाए तो वह यह है कि जहां सामान्यतया फूल सुबह होने पर खिलते हैं, यह फूल रात में खिलता है. ब्रह्म कमल के पौधे की खासियत है कि यह साल में केवल  जुलाई से सितंबर में ही फूल देता है. 

ब्रह्म कमल की खेती के क्या है फायदे

ब्रह्म कमल बहुत उपयोगी फूल है. इस फूल का इस्तेमाल आजकल कई प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है . पुरानी खांसी के लिए तो यह रामबाण इलाज है. जोड़ों के दर्द में भी ब्रह्म कमल के फूल का रस फायदेमंद है. लीवर संक्रमण एवं कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भी इसे बेजोड़ बताया गया है. हालांकि अभी ऐसे किसी दावे की वैज्ञानिक या प्रायोगिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह फूल रोगों के निवारण की दृष्टि से बहुत कारगर है. ब्रह्म कमल की बढ़ती मांग के कारण उत्तराखंड में इसकी खेती पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है.

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कैसे लगाएं ब्रह्म कमल

  • ब्रह्म कमल का पौधा लगाने के लिए प्रारंभिक तैयारी करना जरूरी है.

  • इसके लिए आधी सामान्य मिट्टी और आधी गोबर की पुरानी खाद को मिलाकर तैयार करना है. 

  • उसके बाद ब्रह्मा कमल की पत्ती को 3 से 4 इंच की गहराई में रोपना है. 

  • एक बार ब्रह्म कमल की पत्ती को लगाने के बाद गमले में भरपूर पानी डाल देना चाहिए और उसके बाद गमले को ऐसे ही स्थान पर रखें जहां सूरज का सीधा प्रकाश ना पड़े. सीधी धूप ब्रह्म कमल के पौधे के लिए हानिकारक है .

  • इसकी प्रकृति ऐसी है कि यह ठंडे स्थान पर बहुत अच्छी तरह से वृद्धि करता है. यही कारण है कि यह उत्तराखंड में बड़ी मात्रा में पाया जाता है. एक महीने में सभी पतियों से जड़ें निकलना शुरू हो जाती हैं.

  • विशेष सावधानी इस बात की रखनी है कि जब यह पौधा बड़ा हो जाए तो इसे इतना ही पानी दे कि नमी बनी रहे क्योंकि इसे बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है. ज्यादा पानी देने पर यह गल  सकता है.

  • यदि ब्रह्म कमल की सावधानी पूर्वक खेती की जाए तो इस पौधे से मिलने वाले फूल किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा दिला सकते हैं.

English Summary: Brahma Kamal Know what it is and how it is cultivated
Published on: 02 June 2022, 06:03 PM IST

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