Bitter Gourd Terrace Farming: आज के समय में ज़मीन की कमी और शहरीकरण के चलते खेती करना मुश्किल होता जा रहा है. लेकिन अब छत पर खेती यानी टेरेस गार्डनिंग एक बेहतरीन विकल्प बन चुका है. इससे हम न सिर्फ ताज़ी और जैविक सब्ज़ियां उगा सकते हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकते हैं. टेरेस पर करेला उगाना एक आसान और फायदेमंद तरीका है. करेला एक पोषक तत्वों से भरपूर सब्ज़ी है जिसमें विटामिन C, आयरन, मैग्नीशियम और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है. यह डायबिटीज़ कंट्रोल करने, पाचन सुधारने और त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है.
अगर आप अपने घर की छत का सही उपयोग करना चाहते हैं, तो करेला की खेती/Bitter Gourd Cultivation करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे केवल चार आसान स्टेप्स में आप अपने टेरेस पर करेला उगाकर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
स्टेप 1 स्थान का चयन
करेले को भरपूर धूप की आवश्यकता होती है, इसलिए छत पर ऐसी जगह का चुनाव करें जहाँ दिन में कम से कम 6 से 8 घंटे सूरज की सीधी रोशनी आती हो जगह समतल और सुरक्षित होनी चाहिए ताकि भारी गमलों या ड्रमों को आसानी से रखा जा सके.
स्टेप 2: बीज का चयन और बुवाई की प्रक्रिया
किसी विश्वसनीय कृषि स्टोर या ऑनलाइन प्लेटफार्म से करेले की अच्छी किस्म के बीज खरीदें हाइब्रिड बीज जैसे Pusa Do Mausami, Arka Harit, Coimbatore Long बेहतर उपज देते हैं साथ ही बीज उपचार करने के लिए बीजों को बोने से पहले रात भर पानी में भिगो दें उसके बाद बीजों को 1 से 1.5 इंच गहराई में बोएं और ऊपर से हल्की मिट्टी डाल दें बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें.
स्टेप 3: देखभाल, खाद और सिंचाई की सही इस्तेमाल
सिंचाई
- गर्मियों में हर दूसरे दिन हल्की सिंचाई करें.
- बरसात या सर्दियों में मिट्टी की नमी देखकर ही पानी दें.
- अत्यधिक पानी से बचें क्योंकि करेले की जड़ें जल्दी सड़ सकती हैं.
सहारा (ट्रेली सिस्टम)
- करेला एक बेल वाली सब्जी है, इसलिए इसे चढ़ने के लिए सहारे की आवश्यकता होती है.
- आप बांस की लकड़ी, तार, रस्सी या प्लास्टिक की नेट का उपयोग कर सकते हैं.
- बेल बढ़ते ही उसे सहारा दें और धीरे-धीरे ऊपर की ओर चढ़ाएं.
खाद और पोषण
- हर 15-20 दिन में वर्मी कम्पोस्ट, गोबर खाद या घर की बनी खाद डालते रहें.
- फूल और फल बनने से पहले पोटाश या हड्डी की खाद देने से उपज बेहतर होती है.
- पत्तियों पर स्प्रे के लिए आप छाछ, जीवामृत, या नीम तेल का उपयोग कर सकते हैं.
रोग और कीट नियंत्रण
- करेला पर पत्ती धब्बा, पाउडरी मिल्ड्यू, या सफेद मक्खी का हमला हो सकता है.
- रोग दिखने पर जैविक कीटनाशक (जैसे नीम तेल 5 ml/लीटर पानी) का स्प्रे करें.
- रासायनिक दवाइयों से बचें, खासकर यदि आप इसे जैविक रूप से उगा रहे हैं.
स्टेप 4: फसल तुड़ाई
जब करेले का रंग गहरा हरा हो जाए और वह 4-6 इंच लंबा हो, तो उसे तुड़ाई के लिए तैयार माना जाता है तब फल को कैंची या चाकू से सावधानी से काटें ताकि बेल को नुकसान न हो साथ ही तुड़ाई हर 2-3 दिन में करें ताकि नए फल तेजी से आएं.
सुझाव और सावधानियां
- करेले की बुवाई के लिए मार्च से जुलाई सबसे उपयुक्त समय होता है.
- अधिक धूप में पौधे को सूखने से बचाने के लिए गमले के पास पानी का छिड़काव करें.
- बेलों को समय-समय पर छांटें ताकि हवा और रोशनी का उचित प्रवाह बना रहे.
- यदि छत पर वजन की समस्या हो, तो हल्के ग्रो बैग्स का उपयोग करें.
लेखक: रवीना सिंह