वैसे तो हमारे देश में मिर्च की कई प्रकार की किस्में उगाई जाती है लेकिन पूर्वोत्तर भारत की भूत झोलकिया के नाम से दुनिया की सबसे तीखी मिर्च होने का रिकॉर्ड है इससे घोस्ट पेपर, यूरोप लाल नागा, नागा ढोलकिया आदि नामों से भी जाना जाता है. सामान्य मिर्च की तुलना में भूत जोल किया 400 गुना ज्यादा तीखी होती है हमारे देश में इसकी खेती आसाम मणिपुर और नागालैंड में की जाती है. इसका स्वाद और तीखापन बहुत ही असहनीय होता है. इसमें पाया जाने वाला औली ओरिजिन इसके तीखे पन के लिए जिम्मेदार होता है.
भूत झोलकिया मिर्च है बहुत ही लाभकारी
पाचन संबंधी कई समस्याओं में इसके सेवन से लाभ देखा गया है यह पेट के अल्सर से निपटने में कारगर है इसकी थोड़ी मात्रा गैस दस्त और पेट में ऐठन के लिए प्राकृतिक उपचार का काम करती है एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होने के कारण यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी लाभकारी साबित होती है.
यह मिर्च शरीर की रक्षा संचार प्रणाली को भी नियमित करती है कोलेस्ट्रॉल को कम करके यह हृदय रोगों से बचाती है माइग्रेन के दर्द में भी इससे लाभ होता है यह जोड़ों के दर्द से भी राहत दिलाती है ऐसा माना जाता है.
इस मिर्च का प्रयोग कई प्रकार के व्यंजनों के बनाने में किया जाता है सब्जियों में तीखापन और तेजी लाने के लिए इसका इस्तेमाल खूब होता है इसकी थोड़ी सी मात्रा सब्जी की तरी को चपरा बनाने के लिए काफी है.
किसान आसाम नागालैंड तथा मणिपुर क्षेत्र में इसकी खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि बाजार में इसकी बहुत कम मात्रा देखने को मिलती है यदि इसका व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन प्रारंभ किया जाता है तो किसानों को लाभ होगा.
डॉ. आर एस सेंगर, प्रोफेसर
सरदार वल्लभ भाई पटेल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, मेरठ
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