Natural Farming: आज के समय में किसानों के बीच प्राकृतिक खेती का प्रचलन लगातार बढ़ता ही जा रहा है. क्योंकि इस खेती में देश के किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है. देखा जाए तो पर्यावरण की दृष्टि से भी प्राकृतिक खेती करना काफी लाभदायक है. इसमें किसी भी तरह के रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. दरअसल, प्राकृतिक खेती में सबसे अधिक बायोमास मल्चिंग, गाय के गोबर,मूत्र के इस्तेमाल पर अधिक जोर दिया जाता है. प्राकृतिक खेती/ Prakritik Kheti को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार भी समय-समय पर महत्वपूर्ण कदम उठाती रहती है. ताकि किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ फसल उत्पादन में भी वृद्धि हो सके.
प्राकृतिक खेती में जैव विविधता/ Biodiversity का बहुत बड़ा माध्यम है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित बना रहता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-
प्राकृतिक खेती के फायदे/ Benefits of Natural Farming
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प्राकृतिक खेती करने से भूमि के जलस्तर में वृद्धि होती है.
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इससे मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है.
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खाद बनाने में कचरे का उपयोग करने से बीमारियों में कमी आती है.
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फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि होती है.
प्राकृतिक खेती का मुख्य उद्देश्य
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खेती की लागत कम करके अधिक लाभ लेना.
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मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना.
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रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के प्रयोग में कमी लाना.
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कम पानी व सिंचाई से अधिक उत्पादन लेना.
प्राकृतिक खेती के मुख्य घटक
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जीवामृत
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बीजामृत
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घनजीवामृत
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आच्छादन
प्राकृतिक खेती काष्टाच्छादन
जब फसलों की कटाई के बाद दाने निकालकर फसलों के जो अवशेष भूमि पर आच्छादन स्वरूप डालते हैं, तो केंचुए भूमि के अंदर बाहर लगातार चक्कर लगाकर चौबीस घंटे भूमि को बलवान उर्वरता एवं समृद्ध बनाने का काम करते हैं और फसलों को बढ़ाते हैं.
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प्राकृतिक खेती को सरकार दे रही बढ़ावा
किसानों को प्राकृतिक खेती की तरफ प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिए वेबसाइट http://naturalfarming.dac.gov.in/ भी बनाई हुई है, जिसमे प्राकृतिक खेती से जुड़ी सभी जानकारी उपलब्ध है. ताकि किसानों को इस खेती के लिए कहीं भटकना न पड़े. साथ की किसानों को इस पोर्टल के माध्यम से सरकार की तरफ से उठाए गए महत्वपूर्ण कदम के बारे में तुरंत अपडेट मिल सकें. बता दें कि प्राकृतिक खेती का यह पोर्टल केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है.