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Updated on: 7 August, 2020 1:16 PM IST

तुलसी एक औषधि जातीय पौधा है जिसका कुछ हद तक धार्मिक महत्व भी है. वैश्विक महामारी कोरोना काल में तुलसी का महत्व बढ़ गया है. इसलिए कि तुलसी शरीर की इम्युनिटी क्षमता बढ़ाने में सहायक है. वैसे भी तुलसी का पौधा हर दृष्टि से गुणकारी, लाभकारी व शुभ माना जाता है. लेकिन कोरोना संक्रमण से जब देश दुनिया में हाहाकार मचा हो और इम्युनिटी क्षमता बढ़ाने के लिए लोग विभिन्न तरह की दवा की खोज में जुट गए हो उसमें तुलसी के पौधा की मांग और बढ़ गई है. विभिन्न तरह की औषधि, रफ्यूम और कास्मेटिक उद्योग में भी तुलसी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने लगा है. विश्व भर में तुलसी की लगभग 150 प्रजातियां पाई जाती है लेकिन सभी का गुण लगभग समान होता है. भारत में राम तुलसी, श्याम तुलसी और विष्णु तुलसी आदि प्रजातियों की अधिक मांग है. विशेष गुणों के चलते बाजार में हमेशा तुलसी की मांग बनी रहती है. किसान कम खर्च में तुलसी की व्यवसायिक खेती कर अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं.

बंगाल में तुलसी की खेती को बढ़ावाः राज्य सरकार ने पश्चिम बंगाल में तुलसी की खेती को बढ़ावा देना शुरू किया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर पश्चिम बंगाल में तुलसी की खेती को मनरेगा के साथ जोड़ दिया गया है. 100 दिन काम योजना के तहत खेतीहर मजदूर और किसान तुलसी की खेती में जुट गए हैं. पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिला में ‘तुलसी ग्राम’ तैयार कर लिया गया है. पूरे गांव में तुलसी के पौधे लहलहा रहे हैं. कोरोना संक्रमण के इस दौर में कोलकाता और आस-पास के अन्य छोटे शहरों के व्यापारी तुलसी का पौधा खरीदने कूचबिहार पहुंचने लगे हैं. बाजार में तुलसी की मांग अचानक बढ़ जाने से किसानों को अब इससे अच्छी-खासी आय होने लगी है. तुलसी का पौधा खरीदने के लिए दूर के व्यापारियों के कूचबिहार पहुंचते देख जिला प्रशासन ने इसकी व्यवसायिक खेती करने के लिए ढांचागत सुविधा उपलब्ध कराई है. प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक कूचबिहार जिला प्रशासन ने 12 गांवों में जिन किसानों के पास एक बीघा जमीन है उन सबको तुलसी की खेती करने का सुझाव दिया है. जिला प्रशासन तुलसी के पौधे का विपणन करने में भी किसानों की मदद कर रहा है.

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पश्चिम बंगाल में तुलसी की व्यवसायिक खेती का मॉडल सभी को अपनाना चाहिए.इसलिए कि आने वाले समय में तुलसी के पौधे की मांग और बढ़ेगी. विभिन्न प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक कंपनियां इम्युनिटी क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा तैयार करने लगी है.काढ़ा बढ़ाने में अधिक से अधिक तुलसी का इस्तेमाल होता है. इसलिए तुलसी की व्यवसायिक खेती करने के तौर-तरीके पर भी यहां एक नजर डालना प्रासंगिक होगा.

मिट्टी का चुनावः तुलसी की खेती कम उपजाऊ जमीन में भी होती है.लेकिन बलुई दोमट मिट्टी तुलसी की खेती के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है.चूंकि तुलसी कम उपजाऊं जमीन में भी पनपती है, इसलिए अपने घर व खेत के आस-पास खाली पड़ी जमीन का इस्तेमाव भी इसकी खेती के लिए कर सकते हैं.व्यवसायिक खेती के लिए जाहिर है अधिक जमीन का इस्तेमाल करना होगा. विशेषज्ञों के मुताबिक इसके लिए खेत को अच्छी तरह जोतकर समतल कर लेना चाहिए.60 सेमी की दूरी पर तुलसी का बीज रोपना चाहिए.इसकी खेती बीज द्वारा होती है लेकिन सीधे नहीं रोपकर नर्सरी तैयार कर लेना बेहतर होता है.पौधे को 8-10 सेमी की दूरी पर क्यारियां बनाकर रोपना चाहिए.

लागत और आयः 15-20 हजार रुपए खर्च कर किसान तुलसी की खेती से तीन माह में ही 2 लाख रुपए की आय कर सकते हैं.तुलसी की खेती पूरे साल की जा सकती है.लेकिन बरसात के मौसम में इसका बीज लगाना अच्छा माना जाता है.एक हेक्टेयर जमीन में 10 किली ग्राम तुलसी का बीज बोकर इसकी व्यवसायिक खेती शुरू की जा सकती है.तुलसी का बीज प्रति किलो ग्राम 150 से 200 रुपए मे मिलता है.इसी तुलसी के बीज के पत्ता से जो तेल तैयार होता है वह बाजार में 700-800 रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है.प्रति हेक्टेयर जमीन से 400 टन तुलसी पत्ता का उत्पादन होता है.इस तरह देखा जाए तो कम लागत में किसानों के लिए तुलसी की खेती अधिक लाभ देनेवाला धंधा साबित हो रहा है.

English Summary: Basil cultivation gives more benefits in less expense
Published on: 07 August 2020, 01:24 PM IST

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