भारत में जो कुछ वाणिज्यिक खेती होती है उसमें केले की नर्सरी भी शामिल है. केले की नर्सरी किसानों के लिए मुनाफे का कारोबार साबित होने लगा है. इसमें लागत कम आती है और ग्रामीण क्षेत्रों में किसान आसानी से केले की नर्सरी कर आय कर सकते हैं. कम समय में एक-डेढ़ माह के अंदर ही किसानों को केले की नर्सरी से अच्छी खासी आय हो जाती है.
केले की नर्सरी की खेती उत्तर प्रदेश के लखनऊ, इटौंजा, गोरखपुर और कौशाम्बी आदि क्षेत्रों में व्यापक रूप में होने लगी है. केले की नर्सरी तैयार करने में करीब 25 से 30 दिन का समय लगता है. समय कम लगने के साथ-साथ किसानों के लिए कम लागत में यह एक अच्छा आय का साधन बनता जा रहा है. केले की नर्सरी में टिशू कल्चर यानी उत्तक संवर्धन की प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसलिए कम समय में पौधा तैयार हो जाता है और किसान अपने फसल का मूल्य प्राप्त कर लेते हैं.
वैसे तो केले की नर्सरी साल भर में किसी भी समय शुरू की जा सकती है. लेकिन मई और जून का महीना केले की नर्सरी की खेती के लिए अच्छा समय माना जाता है. जून तक नर्सरी तैयार हो जाने के बाद जुलाई और अगस्त में केले का पौधा रोपपण शुरू हो जाता है. फल उत्पादन में भारत में केले का स्थान तीसरे नंबर पर आता है. भारत में कुल फल उत्पदान में केले की भागीदारी 33 प्रतिशत है और यह प्रायः पूरे वर्ष उपलब्ध रहने वाला पौष्टिक तत्वों से परिपूर्ण है.
महराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में केले का उत्पादन होता है. देश में महाराष्ट्र केला के उत्पादन में अग्रणी राज्य है.
केले की नर्सरी की विधिः इसके लिए एक पॉली बैग की जरूरत पड़ती है. सबसे पहले एक पॉली बैग लेकर उसमें मिट्टी और गोबर की खाद बराबर-बराबर भरना पड़ता है. जून के पहले सप्ताह में पॉलीबैग में मिट्टी और गोबर की खाद भरकर एक लाइन से क्रमबार रख देते हैं. इसके बाद इसकी सिचाईं कर देते हैं. समय समय पर बावस्टीन और एनपीके19 का छिड़काव करना पड़ता है. लगभग एक माह के अंदर नर्सरी की खेती तैयार हो जाती है. प्रत्येक राज्य में कृषि आधारित विभिन्न शैक्षणिक संस्थान किसानों को केले की नर्सरी तैयार करने के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान करते हैं. प्रशिक्षण के लिए किसान सरकारी कृषि शैक्षणिक संस्थानों से संपर्क कर सकते हैं जहां उन्हें निशुल्क सलाह मिल जाएगी.
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केले की नर्सरी से मुनाफाः व्यापक रूप में वाणिज्यिक केले की नर्सरी एक बीघा में शुरू की जा सकती है. एक बीघा में एक लाख पौधे तैयार हो जाएंगे. एक लाख पौधों की नर्सरी की खेती में में 9-10 लाख रुपए खर्च करने पड़ेंगे. नर्सरी तैयार हो जाने के बाद एक पौधा कम से कम 15 रुपए में बिकता है. छोटे और मझोले किसान कम जमीन और कम लागत में भी केले की नर्सरी करने का विकल्प चुन सकते हैं. केले की नर्सरी की खेती कर 25-30 दिनों में ही कोई भी किसान लागत का डेढ़ गुणा मुनाफा कमा सकता है. किसानों के लिए केले की नर्सरी फायदेमंद कारोबार साबित हो रहा है.