नए जमाने की रफ्तार में लोग अपनी लाइफस्टाइल और खानपान से समझौता करने लगे हैं, जिसकी वजह से बीमारियां बढ़ने लगी हैं. इन बीमारियों से लड़ने के लिए आयुर्वेद को सबसे बेहतर माना जाता है.
आयुर्वेदिक दवाओं के लिए औषधीय पौधों की उपयोगिता बढ़ने की वजह से किसान भी औषधीय पौधों की खेती ज्यादा करने लगे हैं इस बीच ऐसे ही औषधीय पौधों की जानकारी आपको दे रहे हैं जिसका नाम है बकायन. जिसका आयुर्वेद में काफी महत्व है, इसके इस्तेमाल से छोटी बड़ी करीब 100 से ज्यादा बीमारियों में राहत मिलती है. बवासीर, मुंह के छालों, श्वास रोगों का उपचार करने, पेट में दर्द, आंतो के कीड़े, प्रमेह, श्वेतप्रदर, खुजली, पेट के कीड़े आदि के साथ ही मोतिया बिंद या दृष्टि कमजोर और खुजली के अलावा गर्भाशय के रोग और चोट की गांठ- सूजन में बकायन का इस्तेमाल किया जाता है. इतने सारे औषधीय गुण होने की वजह से बकायन की खेती काफी लाभ दे सकती है.
जलवायु और तापमान- बकायन की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्र अच्छे माने जाते हैं. पौधे के लिए अधिक प्रकाश की जरुरत होती हैं यह 0-47 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं लगभग 400mm की वार्षिक वर्षा के साथ अर्ध- शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में अच्छी तरह से बढ़ता है.
मिट्टी का चयन- अच्छी पैदावार के लिए छिद्रपूर्ण रेतीले दोमट मिट्टी इस्तेमाल की जाती है जो सूखे के लिए संवेदनशील होती है खेती उच्च मानसून बारिश वाले नम क्षेत्र के अलावा खराब जल निकासी और जलयुक्त क्षेत्रों में नहीं करना चाहिए हालांकि यह उथली सूखी मिट्टी पर भी बढ़ सकता है पर विकास अच्छा नहीं होता.
भूमि की तैयारी- अच्छा विकास हासिल करने के लिए खेत की 2-3 बार अच्छी तरह जुताई कर खेत को समतल करना चाहिए. खेत तैयारी के बाद उचित दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी के गहरे गड्ढे गर्मियों में अप्रैल से मई में खोदना चाहिए.
बकायन की नर्सरी- बकायन की नर्सरी मई-जून में लगाते हैं. पेड़ से पके हुए बीज इकट्ठा करके छिल्का उतारें फिर पानी से साफ करें. उसके बाद 3-7 दिनों तक छांव में सुखाना चाहिए. 10 मीटर लंबे, एक मीटर चौड़े और 15 सेंमी ऊंचे बैड बनाना चाहिए. जैविक खाद, रेत और मिट्टी को 1:1:3 की मात्रा में मिलाएं और बीज को 5-7 मिमी गहरी 20 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनों में बोते हैं बीज अंकुरण 10-12 दिनों में होता है और पूरा होने में लगभग 50 दिन लगते हैं. 12-15 सेमी की ऊंचाई के होने पर पॉलीथिन की थैलियों में जैविक खाद, चिकनी रेतली मिट्टी और उपजाऊ मिट्टी 1:1:1 के अनुपात में डालें और पौधे स्थानांतरित करें.
रोपाई का समय और विधि- बकायन के 6-12 महीने पुराने पौधे जुलाई-अगस्त में दौरान लगाना चाहिए पौधे का रोपण, ब्लॉक रोपण के लिए 3 x 3 मीटर या 5 x 5m के अंतर पर लगाएं, जबकि कृषि वानिकी के तहत 5 x 2 मीटर, 6 x 2 मीटर और 8 x 2 मीटर की व्यापक दूरी पर पौधे 45 × 45 × 45 सेंटीमीटर गहरे गड्ढों में लगाने दें.
सिंचाई- बकायन के पौधे को कम पानी की जरूरत होती है, पहली बारिश मौसम और मिट्टी में नमी के अनुसार 2-3 सिंचाई करनी चाहिए.
उपज- बकायन पेड़ की औसतन आयु लगभग 20 साल तक होती है, बकायन से पैदावार असिंचित दशा में 5-6 सालों के रोटेशन पर लगभग 20-30 टन प्रति एकड़ होती है. सिंचित दशा में पैदावार 5-6 साल के अंतराल में 50-55 टन प्रति एकड़ तक होती है.