Arhar ki Kheti: देश में रबी फसलों का सीजन खत्म हो चुका है. ऐसे में किसान अब खरीफ सीजन की तैयारियों में जुट गए हैं. खरीफ सीजन में वैसे तो कई सारे फसलें उगाई जाती हैं. उन्हीं फसलों में से एक है अरहर, जिसे तुअर दाल भी कहा जाता है. देश के कई राज्यों में अरहर की खेती की जाती है. लेकिन, कई बार किसानों को अच्छी उपज न मिलने के चलते, उनका मुनाफा भी कम हो जाता है.
ऐसे में अरहर की खेती से पहले अच्छी किस्मों और बीजों का चयन करना बेहद जरूरी है, ताकि किसानों को अच्छी पैदावार मिल सके. आज के इस आर्टिकल में हम आपको अरहर की दो ऐसी किस्मों के बारे में बताएंगे, जिनसे आपका पूरा खेत भर जाएगा और आपको भरपूर पैदावार मिलेगी.
आपको बता दें कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से खास किस्म विकसित की गई है. बिरसा अरहर की तीन प्रभेद (Birsa Arhar Varieties) से अगर खेती करें तो किसानों को सामान्य से 15% तक अधिक मुनाफा हो सकता है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश शाह ने बताया कि इसकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
एक एकड़ में 500 किलो मिलेगी उपज
डॉ. अखिलेश शाह ने बताया कि इस खास किस्म की खेती में प्रति एकड़ में 8 किल बीज की आवश्यकता होती है. जिससे किसान 5 क्विंटल यानी 500 किलो तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. इससे किसान सीजन में आसानी से 40 से 50 हजार रुपये कमा सकते हैं. अरहर की खेती की शुरुआत जून की पहली बारिश के बाद की जा सकती है. जिसके बाद मार्च तक फसल तैयार हो जाती है.
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यहां, ध्यान देने वाली बात ये है की अगर खेती का समय देर से होता है, तो उस लिहाज से फसल भी देर से तैयार होती है. जिससे उपज में कमी आ सकती है. ऐसे में समय पर फसल की बुवाई और कटाई करें.
बुवाई के समय इस बात का रखें ध्यान
अरहर की खेती करते समय किसानों को ध्यान देना चाहिए कि पौधों को 20 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना अत्यंत आवश्यक है. इससे बीज दर भी कम लगती है. यह भी महत्वपूर्ण है कि किसान बुआई से पहले बीज का उपचार जरूर करें. बीज उपचार करने से रोग व्याधियों का प्रकोप कम हो जाता है. इसके लिए, किसानों को कार्बेंडाजिम नामक दवा का उपयोग करना चाहिए, जिसे बीज में मिलाकर छाया वाले स्थान पर चार घंटे के लिए रखा जाता है. इसके बाद ही बुआई की जानी चाहिए. इससे बीज पर किसी भी रोग व्याधि का प्रकोप नहीं होता.