सेब शीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र में उगने वाला एक मुख्य फल है. इसकी खेती मुख्यत: देश के ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है. देश के अन्य राज्यों के किसान भी अपने खेतों में सेब की खेती की चेष्ठा रखते आए हैं. लेकिन आपको बता दें कि भारत में सेब की एक ऐसी किस्म भी पाई जाती है जिसे मैदानी (Plain), उष्णकटिबंधीय (Tropical) और उपोष्णकटिबंधीय (Sub-tropical) क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है.
जी हां हम बात कर रहे हैं सेब की किस्म एचआरएमएन-99 (HRMN-99) के बारे में, जिसे बिलासपुर के प्रगतिशील किसान हरिमन शर्मा द्वारा विकसित किया गया. इस किस्म के ईजाद होने के बाद मैदानी क्षेत्रों व निचले पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों का सेब की खेती का सपना पूरा हो रहा है.
हरिमन शर्मा ने ईजाद की एचआरएमएन-99
यूं तो अक्सर देखा गया है कि कृषि वैज्ञानिक किसानों की सहायता के लिए नई-नई किस्में विकसित करते हैं, मगर इस बार एक प्रगतिशील किसान हरिमन शर्मा ने सेब की एचआरएमएन-99 किस्म ईजाद की है.
आमतौर पर सेब की खेती समुद्र तल से लगभग 4800-9000 फीट की ऊंचाई पर होती है, तो वहीं पौधों के पनपने की अवस्था में वहां का तापमान 21 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. बता दें कि सेब के बागों को फलने के लिए लगभग 1000 से 1500 ठंडे घंटों की आवश्यकता होती है यानि की तापमान 7 डिग्रि सेल्सियस से कम होना चाहिए.
एचआरएमएन-99 की विशेषताएं
एचआरएमएन-99 समुद्र तल से मात्र 1800 फीट की ऊंचाई पर उगायी जा रही है. खास बात यह है कि इसके लिए ठंडे वातावरण की आवश्यकता नहीं होती है.
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एचआरएमएन-99 सेब के 7 वर्षीय पौधे से 1 क्विंटल पैदावार प्राप्त हो सकती है.
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एचआरएमएन-99 सेब के पौधे रोपण के 3 साल बाद जून की शुरूआत में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं
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एचआरएमएन-99 सेब के पेड़ पपड़ी रोग के प्रति सहिष्णु होते हैं.
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एचआरएमएन-99 इन राज्यों के लिए अनुकूल
एचआरएमएन-99 की किस्म उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, दादर और नागर हवेली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक, दिल्ली और मणिपुर के लिए अनुकूल मानी गई है. इसी के साथ गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में इस किस्म की मांग काफी बढ़ गई है.