देश के किसानों के द्वारा गेहूं व जौ की फसल/ Wheat and Barley Crops को सबसे अधिक किया जाता है. क्योंकि यह दोनों ही फसल दुनियाभर में व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली साबुत अनाज है. गेहूं व जौ की खेती उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और जम्मू-कश्मीर में प्रमुख रूप से की जाती है. किसान अपनी फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए कई तरह के कार्यों को करते हैं. देखा जाए तो गेहूं व जौ की फसल में कई तरह के रोग व कीट लगने की संभावना काफी अधिक होती है. दरअसल, गेहूं व जौ में चेपा (अल) का आक्रमण अधिक देखा गया है. चेपा फसल को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है. ऐसे में इसके बचाव के लिए हरियाणा कृषि विभाग के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर जरूरी सलाह जारी की गई है.
हरियाणा कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई सूचना के मुताबिक, चेपा गेहूं व जौ की फसलों में कीट के बच्चे व प्रौढ़ पत्तों से रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देते हैं. ऐसे में आइए इसके बचाव के बारे में विस्तार से जानते हैं-
गेहूं व जौ में चेपा (अल) से बचाव विधि
गेहूं व जौ की फसलों में चेपा (अल) का आक्रमण होने पर इस कीट के बच्चे व प्रौढ़ पत्तों से रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देते हैं. इसके नियंत्रण के लिए 500 मि.ली. मैलाथियान 50 ई. सी. को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करें. किसान चाहे तो इस कीट से अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग के अधिकारियों से भी संपर्क कर सकते हैं.
चेपा (अल) क्या है?
चेपा एक तरह का कीट होता है, जो गेहूं व जौ की फसल पर सीधे तौर पर आक्रमण करता है. अगर यह कीट एक बार पौधे में लग जाता है, तो यह पौधे के रस को धीरे-धीरे चूसकर उसे बहुत ही कमजोर कर देता है, जिसके चलते पौधा का सही से विकास नहीं हो पाता है.
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देखा जाए तो चेपा कीट फसल में नवंबर से फरवरी महीने के बीच में अधिकतर देखने को मिलता है. यह कीट सबसे पहले फसल के सबसे कोमल व कमजोर हिस्सों को अपनी चपेट में लेता है और फिर धीरे-धीरे पूरी फसल में फैल जाता है. चेपा कीट मच्छर की तरह दिखाई देता है, यह दिखने में पीले, भीरे या फिर काले रंग के कीड़े की तरह होता है.