Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 24 February, 2021 10:12 AM IST
Ajola

अजोला यह जलवायु में तेजी से बढ़ने वाली एक प्रकार की जलीय फर्न है. अजोला का पशुओं के पूरक आहार के रूप में उपयोग किया जाता है. फर्न उथले पानी में एक हरे रंग की परत जैसा दिखता है. यह छोटे-छोटे समूह में हरित गुक्ष्छ की तरह पानी पर तैरती है. अजोला पिन्नाटा जाति भारत में मुख्य रूप से पाई जाती है.

यह काफी हद तक गर्मी सहन करने वाली किस्म है. अजोला का मुख्यतः धान की खेती के लिए उपयोग किया जाता है. इसमें पशुपालन के लिए चारे हेतु बढ़ती मांग को पूरा करने की जबरजस्त क्षमता है. यह हरी खाद के साथ, गाय, भैंस, भेड़, बकरियों, मुर्गियों आदि के लिए उपयोगी चारा है. अजोला में आवश्यक अमीनो एसिड, खनिज, विटामिन, बी कैरोटीन और शुष्क वजन के आधार पर 35 प्रतिशत प्रोटीन होते हैं. अजोला क्लोरोफिल ए और बी, कैरोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, फैरस, कॉपर एवं मैग्नीशियम से भरपूर है. इसकी नाइट्रोजन को परिवर्तित करने की दर लगभग 25 किलोग्राम प्रति हेक्टर होती है. उच्च पोषण मूल्य और तेजी से बायोमास उत्पादन, अपनी इस विशेषताओं के कारण अजोला को एक स्थायी भोजन के रूप में माना जा रहा है.   

अजोला में पोषण मूल्यः

1. प्रोटीन ̵ 20 -30 प्रतिशत

2. आवश्यक अमीनो एसिड ̵ 7 - 10 प्रतिशत

3. विटामिन ̵ 10 - 15 प्रतिशत

4. खनिज (कैल्शियम, फास्फोरस, पाउडर, लोहा, तांबा)रू 10 ̵ 15 प्रतिशत

अजोला खिलाने के लाभः

1. अजोला किसी अन्य चारे से पौष्टिक है.

2. इससे दूध उत्पादन में 15-20 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है. साथ ही इसे खाने वाली गाय-भैसों के दूध की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर हो जाती है.

3. अजोला सस्ता, सुपाच्य एवं पौष्टिक पूरक पशु आहार है.

4. पशुओं में बांझपन निवारण में उपयोगी है.

5. अजोला से पशुओं में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहे की आवश्यकता की पूर्ति होती है जिससे पशुओं का शारिरिक विकास अच्छा है.

6. अजोला में प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी- 12 तथा बीटा-कैरोटीन) एवं खनिज (कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, आयरन, कापर, मैगनेशियम) आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते है.

7. अजोला का प्रयोग कुक्कुट आहार में करने से ब्रायलर पक्षियों के भार में और अण्डा उत्पादन में वृद्धि पाई जाती है. यह मुर्गीपालन करने वाले व्यवसाइयों के लिए बेहद लाभकारी चारा सिद्ध हो रहा है.

8. यही नहीं अजोला को भेड़-बकरियों, सूकरों एवं खरगोश, बतखों के आहार के रूप में भी बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है.

9. अजोला एक उत्तम जैविक एवं हरी खाद के रूप में कार्य करता है.

10 कम जगह में ज्यादा लागत ली जा सकती है. इसकी उत्पादन लागत काफी कम होती हैं.

अजोला उत्पादन करने की विधिः

किसी छायादार स्थान पर 3 मीटर × 3 मीटर का 12 इंच गहरी आकार की क्यारी खोदें.

क्यारी में 3.5 मीटर की सिलपुटिन शीट को बिछा दें.

किनारो पर मिटटी का लेप कर या चारों ओर एक ईंट की परत लगाएं.

10 किलोग्राम साफ मिटटी की परत क्यारी में बिछा दें.

2-3 दिन पुराना, 2 किलोग्राम गोबर और 30 ग्राम सुपर फॉस्फेट पानी में घोल बनाकर मिटटी पर फैला दें.

क्यारी में 5 से 6 इंच तक पानी भरे. अब मिटटी, सुपर फॉस्फेट व गोबर खाद को जल में अच्छी तरह मिश्रित कर दें.

इस मिश्रण में 500 ग्राम अजोला को फेला दें.

इसके पश्चात पानी को अच्छी तरह से अजोला पर छिडके जिससे अजोला अपनी सही स्थिति में आ सकें.

लगभग 10 से 15 दिनों में पानी पर अजोला दिखाई देता है.

500 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन प्राप्त की जा सकती है.

हर 25-30 दिनों में 5 प्रतिशत मिट्टी को ताजी मिट्टी के साथ बदलें.

हर 5 दिन में गड्ढे में 25-30 प्रतिशत पानी लें और उसमें ताजा पानी डालें.

2 महीने में क्यारी का पानी और मिट्टी बदलें.

कम से कम छह महीने में एक बार पूरी प्रक्रिया को नए सिरे से दोहराते हुए अजोला की खेती की जानी चाहिए.

अजोला खिलाने का तरीकाः

- छलनी से अजोला प्लास्टिक की ट्रे में एकत्र किया जाना चाहिए.

- इस अजोला को पशुओं को खिलाने से पूर्व ताजा पानी में धो लें.  गोबर की गंध को दूर करने के लिए इसे धोना आवश्यक है.

- अजोला और पशु आहार को 1:1 अनुपात में मिलाकर पशुओं को खिलाया जाता है.

सावधानियां:

1. अजोला की अच्छी उपज के लिए संक्रमण से मुक्त वातावरण का रखना आवश्यक है.

2. सीधी और पर्याप्त सूरज की रोशनी वाले स्थान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

3. अजोला की अच्छी बढवार हेतु २० ̵ ३५ सेन्टीग्रेड तापक्रम उपयुक्त रहता है.

4. यदि अजोला का लागत पेड़ के नीचे की हो तो, छायादार नाइलोन जाली क्यारी पर फेला दें.

5. उपयुक्त पोषक तत्व जैसे गोबर का घोल, सूक्ष्म पोषक तत्व आवश्यकतानुसार डालते रहने चाहिए.

6. ज्यादा भीड़भाड़ से बचने के लिए अजोला को नियमित रूप से काटना चाहिए .

7. गोबर को आवश्यकता से ज्यादा ना डालें, अत्यधिक गोबर के कारण तैयार अमोनिया अजोला के लिए हानिकारक है.

लेखक: डॉ. माधुरी स. लहामगे,
सहायक प्रोफेसर, अपोलो कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन, जयपुर
डॉ. ऋषिकेश अं. कंटाळे

English Summary: Ajola: An ideal bait
Published on: 24 February 2021, 10:18 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now