वैसे इस समय तो कई किसान मौसम की मार झेल रहे हैं. हाल ही में हुई बारिश के साथ ओलावृष्टि ने किसानों की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में आने वाले समय में उन्हें इस बात पर खास ध्यान देना होगा कि वे किस फसल की बुवाई कर रहे हैं. किसान अगर चाहते हैं कि सही समय पर उन्हें अच्छी पैदावार मिले, तो उन्हें फसल भी उसी के मुताबिक लगानी होगी.
इसी कड़ी में अगर किसान सब्ज़ियों की बुवाई करना चाहते हैं लेकिन नहीं समझ आ रहा है कि किन सब्ज़ियों की बुवाई करें, तो आज हम इसी सम्बन्ध में जानकारी देने वाले हैं कि किसान अप्रैल (april crops) में किन सब्ज़ियों की खेती कर सकते हैं. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि किसान किन फसलों की बुवाई (crop cultivation) पर ध्यान दें जिससे उन्हें समय रहते अच्छी कीमत मिल सके.
हरी मिर्च (Green Chili Farming)
किसानों के लिए यह एक नकदी फसल है. यह एक ऐसी खेती है जो हर किसान करता है. व्यावसायिक खेती करके इससे भी अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है. मिर्च में कई तरह के विटामिन पाए जाते हैं और हर घर में इसका इस्तेमाल जरूर किया जाता है. ऐसे में इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. किसान इसकी अच्छी फसल के लिए उपजाऊ दोमट भूमि का इस्तेमाल कर सकते हैं.
उन्नत किस्में - पूसा ज्वाला, मथानिया लौंग, आरसीएच 1, एक्स 235, चरपरी मसाले वाली - एन पी 46ए, पन्त सी-1, जी 3, जी 5, हंगेरियन वैक्स (पीली), पूसा सदाबहार, पंत सी-2, जवाहर 218, आरसीएच 1, एक्स 235, एल एसी 206.
हल्दी की खेती (Turmeric Farming)
विश्वभर में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश भारत ही है. यहां की हर रसोई में आपको मसाले (spice) के रूप में हल्दी ज़रूर मिलेगी. यह गुजरात, मेघालय, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, असम के साथ ही आंध्र प्रदेश में पायी जाती है. हल्दी की खेती (turmeric farming) बलुई दोमट या मटियार दोमट मिट्टी में की जाती है. कुछ जगह इसकी बुवाई क्यारियों तथा मेड़ बनाकर भी की जाती है.
उन्नत किस्में - सोनिया, गौतम, रश्मि, सुरोमा, रोमा, कृष्णा, गुन्टूर, मेघा, सुकर्ण, कस्तूरी, सुवर्णा, सुरोमा और सुगना, पन्त पीतम्भ आदि.
भिंडी (Lady Finger)
किसान भिंडी (okra) की बुवाई किसी भी मिट्टी में कर सकते हैं. खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर बुवाई करनी चाहिए. बुवाई कतार में करनी चाहिए. बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना बहुत ज़रूरी है.
उन्नत किस्में - हिसार उन्नत, वी आर ओ- 6, पूसा ए- 4, परभनी क्रांति, पंजाब- 7, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, अर्का अभय, हिसार नवीन, एच बी एच.
चौलाई (Amaranth)
पत्ते वाली यह सब्जी गर्मी और बरसात के मौसम के लिए बहुत ही उपयोगी है. इसकी खेती के लिए किसानों को उपजाऊ भूमि का चुनाव करना चाहिए जिसमें कंकड़ या पत्थर न हों. साथ ही अच्छी पैदावार के लिए रेतीली दोमट भूमि उपयुक्त मानी जाती है. यह गर्म वातावरण में अधिक उपज देने वाली सब्जी है. किसान प्रति 10 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए 5 ग्राम बीज ले सकते हैं, जो कि पर्याप्त होगा.
उन्नत किस्में- पूसा कीर्ति, पूसा लाल चौलाई, पूसा किरण आदि.
लौकी (Bottle Gourd)
लौकी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिजलवण के अलावा पर्याप्त मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं. इसकी खेती पहाड़ी इलाकों से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों तक की जाती है. इसके सेवन से गर्मी दूर होती है और यह पेट सम्बन्धी रोगों को भी दूर भगाती है. इसकी खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है. सीधे खेत में बुवाई करने के लिए बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें. इससे बीजों की अंकुरण प्रक्रिया गतिशील हो जाती है. इसके बाद बीजों को खेत में बोया जा सकता है.
उन्नत किस्में - पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश (गोल फल), पूसा समृध्दि एवं पूसा हाईबिड 3, नरेंद्र रश्मि, नरेंद्र शिशिर, नरेंद्र धारीदार, काशी गंगा, काशी बहार.
मूली (Radish)
भारत में मूली की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब, असम, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में की जाती है. मूली की बुवाई करने के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है लेकिन किसान पूरे साल भी इसकी खेती कर सकते हैं. मूली का अच्छा उत्पादन लेने के लिए जीवांशयुक्त दोमट या बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. बुवाई के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 6.5 के करीब होना अच्छा होता है. मूली के लिए गहरी जुताई बहुत ज़रूरी है क्योंकि इसकी जड़ें भूमि में गहरी जाती हैं.
उन्नत किस्में - जापानी सफ़ेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, आई.एच. आर1-1 एवं कल्याणपुर सफ़ेद.
चप्पन कद्दू (ज़ुकिनी)(Zuccini)
यह सब्जी कद्दू वर्ग की है. चप्पन कद्दू (zucchini) को ज़ुकिनी के नाम से भी जाना जाता है. जहां पहले इसकी खेती केवल विदेशों में ही होती थी, वहीं अब भारत में भी किसान इसकी बुवाई करने लगे हैं. इसके पौधे झाड़ियों की तरह दिखते हैं. साथ ही डेढ़ से 3 फीट तक इनकी लम्बाई होती है.
उन्नत किस्में - ऑस्ट्रेलियन ग्रीन 4-5, पूसा पसंद.
टिंडा (Apple gourd)
टिंडा की खेती किसान फरवरी से लेकर अप्रैल की शुरुआत में कर सकते हैं, या जून और जुलाई में भी यह खेती की जा सकती है. इसके लिए जलधारण क्षमता वाली जीवांश युक्त दोमट भूमि उपयुक्त है. खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु की जरूरत होती है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक किसान एक बीघा जमीन में लगभग डेढ़ किलो ग्राम बीज बो सकते हैं. किसानों को बुवाई के लगभग 30 से 35 दिन बाद नालियों और थालों की गुड़ाई करके मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए.
उन्नत किस्में - टिण्डा एस- 48, हिसार सलेक्शन- 1, बीकानेरी ग्रीन, अर्का टिण्डा.