जनवरी जहां खत्म होने वाली है, वहीं फरवरी में खेती की तैयारी के लिए किसान इस सोच में पड़े हैं कि किस चीज़ की बुवाई की जाए, जिससे अच्छा मुनाफ़ा मिले. आज हम आपको इसी सम्बन्ध में यह जानकारी देने वाले हैं कि किसान फरवरी में कौन-कौन सी खेती कर सकते हैं. बाजार में आने वाले मौसम और समय को देखते हुए ही किसानों को बुवाई करनी चाहिए जिससे बाज़ार में उसकी मांग के चलते अच्छी कीमत मिल सके. आइए आपको बताते हैं कि आप किन फसलों की बुवाई अगले महीने कर सकते हैं.
चिकनी तोरई (Ridge gourd)
इसकी खेती देश के लगभग सभी राज्यों में की जाती है. चिकनी तोरई के सूखे बीजों से तेल भी निकाला जाता है. आपको बता दें कि फल में अधिक मात्रा में पानी होने के कारण इसकी तासीर ठंडी होती है. तोरई की खेती के लिए गर्म तथा आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है और साथ ही जल निकास वाली जीवांशयुक्त सभी प्रकार की मिटटी में इसकी बुवाई की जा सकती है. इतना ही नहीं, अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट या दोमट मिटटी अधिक उपयुक्त मानी गयी है.
उन्नत किस्में- पूसा स्नेध, काशी दिव्या, स्वर्ण प्रभा, कल्याणपुर हरी चिकनी, राजेन्द्र तोरई 1, पंत चिकनी तोरई 1 इसकी किस्मों में शामिल हैं.
करेला (Bitter gourd)
गर्मियों में तैयार होने वाली इसकी फसल बहुउपयोगी है. करेला कई बिमारियों के लिए लाभदायक है, इसलिए इसकी मांग भी बाजार में ज़्यादा रहती है. किसान इससे अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं. करेले की फसल को पूरे भारत में कई प्रकार की मिटटी में उगाया जाता है. वैसे इसकी अच्छी वृद्धि और उत्पादन के लिए अच्छे जल निकास युक्त जीवांश वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है.
उन्नत किस्में- किसान फरवरी में करेले की पूसा हाइब्रिड 1,2 की बुआई कर सकते हैं. इसके साथ ही पूसा दो मौसमी, पूसा विशेष, कल्याणपुर, प्रिया को- 1, एस डी यू- 1, कोइम्बटूर लांग, कल्यानपुर सोना, बारहमासी करेला, पंजाब करेला- 1, पंजाब- 14, सोलन हरा, सोलन और बारहमासी भी इनमें शामिल हैं.
लौकी (Gourd)
लौकी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिजलवण के अलावा पर्याप्त मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं. इसकी खेती पहाड़ी इलाकों से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों तक की जाती है. इसके सेवन से गर्मी दूर होती है और यह पेट सम्बन्धी रोगों को भी दूर भगाती है. इसकी खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है. सीधे खेत में बुवाई करने के लिए बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें. इससे बीजों की अंकुरण प्रक्रिया गतिशील हो जाती है. इसके बाद बीजों को खेत में बोया जा सकता है.
उन्नत किस्में- लौकी की किस्मों में पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश (गोल फल) , पूसा समृध्दि एवं पूसा हाईबिड 3, नरेंद्र रश्मिी, नरेंद्र शिशिर, नरेंद्र धारीदार, काशी गंगा और काशी बहार शामिल हैं.
खीरा (Cucumber)
खीरे की तासीर ठंडी होती है और यही वजह है कि लोग इसका उपयोग गर्मियों में ज़्यादा करते हैं जिससे अपने आप को गर्मी से बचा सकें. इसका सेवन पानी की कमी को भी दूर करता है. देश के कई क्षेत्रों में इसकी खेती प्राथमिकता पर की जाती है. इसकी खेती के लिए सर्वाधिक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. साथ ही अच्छे विकास के लिए तथा फल-फूल के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना जाता है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट भूमि, जल निकास के साथ बेहतर मानी जाती है.
उन्नत किस्में- जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8 और पोइनसेट, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम और खीरा 75, पीसीयूएच- 1, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल शामिल हैं.