भारत में लगातार कृषि क्षेत्र में विस्तार हो रहा है. नई-नई फसलें उगाई जा रही हैं. ऐसे में बेबी कॉर्न मुनाफे की खेती साबित हो रही है. बेबी कॉर्न एक स्वादिष्ट, पौष्टिक और बिना कोलेस्ट्रोल का खाद्य आहार है. इसमें फाइबर भी प्रचुर मात्रा में होता है. इसमें खनिज की मात्रा एक अंडे में पाए जाने वाले खनिज की मात्रा के बराबर होती है. बेबी कॉर्न पत्तों में लिपटे होने से कीटनाशक रसायन से मुक्त होते हैं. इसकी खेती से अच्छा मुनाफा होता है. आइये जानते हैं बेबीकॉर्न की खेती का सही तरीका, जो देगा मुनाफा ही मुनाफा.
बेबी कॉर्न के बारे में जानें
बता दें मक्का के अपरिपक्व भुट्टे को बेबी कॉर्न कहते हैं, जो सिल्क की 1 से 3 सेमी लंबाई वाली अवस्था और सिल्क आने के 1-3 दिनों के अंदर तोड़ा जाता है. इसकी खेती साल में 3 - 4 बार कर सकते हैं. बेबी कॉर्न की फसल रबी में 110-120 दिनों में, जायद में 70-80 दिनों में और खरीफ में 55-65 दिनों में होती है. एक एकड़ जमीन में बेबी कॉर्न फसल में 15 हजार रुपए का खर्च आता है जबकि कमाई एक लाख रुपए तक होती है. साल में 4 बार फसल लेकर किसान 4 लाख रुपए तक कमा सकता है.
बेबी कॉर्न की प्रजाति का चयन
बेबी कॉर्न की प्रजाति का चयन करते वक्त भुट्टे की गुणवत्ता का ध्यान रहे, भुट्टे के दानों का आकार और दानों का सीधी पंक्ति में होना चयन में एक समान भुट्टे पकने वाली प्रजाति जो मध्यम ऊंचाई की अगेती परिपक्व (55 दिन) हो, उनको प्राथमिकता देनी चाहिए. भारत में पहली बेबी कॉर्न प्रजाति वीएल-78 है. इसके अलावा एकल क्रॉस हाईब्रिज एचएम-4 देश का सबसे अच्छा बेबी कॉर्न हाइब्रिड है. वीएन-42, एचए एम-129, गोल्डन बेबी (प्रो-एग्रो) बेबी कॉर्न का भी चयन कर सकते हैं.
उत्पादन तकनीक और मिट्टी की तैयारी- स्वीटकॉर्न और पॉपकॉर्न की तरह बेबी कॉर्न की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी और फसल प्रबंधन करते हैं. अनाज की फसल के लिए यह 110-120 दिनों का होता है. इसके अलावा कुछ और विभिन्नताएं हैं जैसे झंडों (नर फूल) को तोड़ना, भुट्टों में सिल्क (मोचा) आने के 1-3 दिन में तोड़ना चाहिए.
कैसे करें जुताई
बेबी कॉर्न की खेती के लिए खेत की 3 से 4 बार जुताई करने के बाद 2 बार सुहागा चलाना चाहिए, जिससे सरपतवार मर जाते हैं और मृदा भुरभुरी होती है. फसल में बीज दर लगभग 25-25 किग्रा प्रति हेक्टेयर होती है. बेबी कॉर्न की खेती में पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी और पौधे की पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी रखनी चाहिए. बीज को 3 से 4 सेमी गहराई में बोना चाहिए. मेड़ों पर बीज की बुवाई करनी चाहिए और मेड़ों को पूरब से पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए.
बुवाई का समय
बेबी कॉर्न की खेती पूरे साल की जा सकती है. बेबी कॉर्न को नमी और सिंचित स्थितियों के आधार पर जनवरी से अक्टूबर तक बोया जा सकता है. मार्च के दूसरे सप्ताह में बुवाई के बाद अप्रैल के तीसरे सप्ताह में सबसे ज्यादा उपज हासिल की जा सकती है.
खाद और उर्वरक प्रबंधन
बेबी कॉर्न की खेती में भूमि की तैयारी के समय 15 टन कम्पोस्ट या फिर गोबर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग होना चाहिए, बेसल ड्रेसिंग उर्वरक के रूप में 75 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से एनपीके और बुवाई के 3 सप्ताह बाद शीर्ष ड्रेसिंग उर्वरकों के रूप में 80 किग्रा नाइट्रोजन और 20 किग्रा पोटाश देना चाहिए.
खेती में सिंचाई प्रबंधन
बेबी कॉर्न की फसल जल जमाव और ठहराव को सहन नहीं करती, इसलिए खेत में अच्छी आतंरिक जल निकासी होनी चाहिए. आमतौर पर पौध और फल आने की अवस्था में, बेहतर उपज के लिए सिंचाई करनी चाहिए. अत्यधिक पानी, फसल को नुकसान पहुंचाता है. बारिश के मौसम में सिंचाई की जरूरत ही नहीं, जब तक कि लंबे समय तक सूखा न रहें.
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए 2-3 बार हाथ से खुरपी निराई काफी है. बुवाई के तुरंत बाद सिमाजीन या एट्राजीन दवाइयों का उपयोग करना चाहिए. औसतन 1-1.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500-650 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए. पहली निराई बुआई के 2 सप्ताह बाद करनी चाहिए. मिट्टी चढ़ाना या टॉपड्रेसिंग बुवाई के 3-4 सप्ताह के बाद करनी चाहिए. बुवाई के 40-45 दिनों के बाद झंडों या नर फूलों को तोड़ना चाहिए.
बेबी कॉर्न का उत्पादन
बेबी कॉर्न को बुवाई के लगभग 50 से 60 दिनों के बाद हाथ से काटा जाता है. तुड़ाई के समय भुट्टे का आकार लगभग 8-10 सेमी लंबा, भुट्टे के आधार के पास व्यास 1-1.5 सेमी और वजन 7-8 ग्राम होना चाहिए. भुट्टे को 1-3 सेमी सिल्क आने पर तोड़ना चाहिए. ऊपर की पत्तियों को नहीं हटाना चाहिए. नहीं तो ये जल्दी खराब हो जाता है. खरीफ के मौसम में प्रतिदिन और रबी के मौसम में एक दिन के अंतराल पर सिल्क आने के 1-3 दिनों के अंदर भुट्टों की तुड़ाई करना चाहिए.
कीट और रोग प्रबंधन
बता दें बेबी कॉर्न फसल में शूट फ्रलाई, पिंक बोरर और तनाछेदक कीट ज्यादा लगते हैं. रोकथाम के लिए कार्बेरिल 700 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 700 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से कीटों पर नियंत्रण कर सकते हैं.
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खेती में सरकारी मदद
मक्का अनुसंधान निदेशालय, भारत सरकार देशभर में बेबीकॉर्न की खेती के लिए किसानों के बीच जागरुकता अभियान चला रही है. इससे संबंधित ज्यादा जानकारी के लिए वेबसाइट https://iimr.icar.gov.in पर लॉगिन कर सकते हैं.