GFBN Story: गन्ने और केले की स्मार्ट खेती से हिमांशु नाथ ने रचा सफलता का इतिहास, सालाना टर्नओवर 1 करोड़ से ज्यादा! GFBN Story: लाख की खेती से मिलन सिंह विश्वकर्मा को मिली बड़ी पहचान, सालाना कमा रहे हैं भारी मुनाफा! GFBN Story: रिटायरमेंट के बाद इंजीनियर शाह नवाज खान ने शुरू की नींबू की खेती, अब कमा रहे हैं शानदार मुनाफा! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 28 May, 2020 7:19 PM IST

'कृषि जागरण' के माध्यम से, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन इस विशेष श्रृखंला के इस तीसरे लेख में हम विस्तृत में जानकारी लेंगे ‘मिट्टी की उर्वरता’ के बारे में. मिट्टी की उर्वरता यह मिट्टी के स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग कैसे हैं इस के बारे में अधिक जानना चाहते हैं; तो हमारे पास आपको देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां हैं.  मिट्टी की उर्वरता का तात्पर्य पौधों के समुचित विकास के लिए मिट्टी द्वारा पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों की आपूर्ति करने से हैं. यह कहा जा सकता है कि फसलों के उत्पादन के संदर्भ में निरंतर उत्पादकता मिट्टी की उर्वरता का महत्वपूर्ण संकेतक हैं. मिट्टी की उर्वरता विभिन्न प्रकार के भौतिक, रासायनिक और जैविक कारकों जैसे मिट्टी में हवा के संचार, निक्षालन, अपरदन, मिट्टी के पीएच, मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति और वनस्पति पर निर्भर करता है.

भौतिक कारण विशेष रूप से मिट्टी में हवा का संचार मिट्टी में जड़ों के विकास को सीमित कर देता है और इस प्रकार निचले स्तर पर पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करता है, और इस कारण से पोषक तत्वों का निष्कर्षण केवल मिट्टी की उपरी परत से होता है.  इसके कारण अलग-अलग पोषण श्रेणियों में पोषक तत्वों का असमान वितरण होता है.  मिट्टी का अपरदन दूसरा कारक है जिसपर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इसके कारण न केवल मिट्टी बल्कि पोषक तत्वों की भी बर्बादी होती है.  इसके परिणामस्वरूप मिट्टी की उर्वरता घट कर निम्न स्तर की हो जाती है. मिट्टी को अपदरन से बचाने के लिए मृदा संवर्धन के कार्यों तथा उचित फसल चयन की आवश्यकता और अधिक महत्वपूर्ण हैं.

मिट्टी के रासायनिक गुण, मुख्य रूप से मिट्टी का पीएच, मिट्टी की कार्यक्षमता को प्रभावित करती हैं.  यह फसलों के चयन के विकल्पों को भी सीमित कर देती हैं क्योंकि विभिन्न प्रकार के फसल पोषक तत्वों के एक निश्चित स्तर के प्रति अलग-अलग तरीके से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं.  मिट्टी का सामान्य पीएच, फसलों के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित करता हैं, जबकि क्षारीय और अम्लीय पीएच पौधों के लिए विशेष प्रकार के पोषक तत्वों की उपलब्धता को सीमित कर देता है. इसलिए, मिट्टी का पीएच मिट्टी का एक महत्वपूर्ण रासायनिक गुण है जो मिट्टी की उर्वरता को सीमित कर देती है. धनायन के विनिमय की क्षमता और आयनों की विनिमय क्षमता भी पोषक तत्वों के अवशोषण की दर को सीमित करती है और इस प्रकार पौधों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है.

जैविक कारक जैसे की, पौधों की संख्या और सूक्ष्मजीवों की संख्या मुख्य रूप से मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित करती है. यदि वनस्पतियों की सघनता कम है तो मिट्टी अपरदन के लिए संवेदनशील होने की और पोषक तत्वों की हानि की ज्यादा संभावना होगी.  इसके साथ ही यह पौधों द्वारा अवशोषित किए जाने वाले पोषक तत्वों के प्रकारों को भी सीमित कर देता  है. यदि एक ही फसल बार-बार उगाई जाती है, तो मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा प्रभावित हो सकती  हैं . सूक्ष्मजीवों से समृद्ध मिट्टी मौजूद पोषक तत्वों को ग्रहण किए जाने वाले रूपों में बदलने में सक्षम होगी जिससे आसानी से पौधों द्वारा अवशोषित किया जा सकता है. इस प्रकार उर्वरता का स्तर बेहतर हो जाता है और फसल का अधिकाधिक उत्पादन प्राप्त होता है.

मिट्टी का पीएच मिट्टी की उर्वरता को कैसे प्रभावित करता है?

उर्वरकों के अनुचित उपयोग से मिट्टी का पीएच बदल सकता है, उदाहरण के लिए, लंबे समय तक अम्लीय उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी अम्लीय या इसके विपरीत गुण वाली हो सकती है. मिट्टी में पोषक तत्वों की मौजूदगी के बारे में जाने बिना उर्वरकों का उपयोग करना बहुत कठिन होता है. खेतों में उर्वरकों का इस्तेमाल करने से पहले आपको फसल के लिए पोषक तत्वों की जरूरत और फसल की स्थितियों पर ध्यान देना जरूरी है. ऐसा न करने से मिट्टी पर न केवल बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि इससे फसलों का विकास भी प्रभावित होता है. दीर्घकाल में, पीएच में बदलाव होने से मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधियाँ और कुछ पोषक तत्वों की उपलब्धता भी प्रभावित होती है.

मिट्टी की उर्वरता एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें पोषक तत्वों का इसके कार्बनिक और अकार्बनिक रूपों में निरंतर चक्रण शामिल है. मिट्टी की सापेक्षिक अम्लता या क्षारीयता को इसके पीएच द्वारा दर्शाया जा सकता है. पीएच स्केल पर 0 से लेकर 14 तक के मान होते हैं, 7 से कम पीएच मान मिट्टी की अम्लीय प्रकृति का संकेत करता हैं जबकि 7 से अधिक पीएच स्तर मिट्टी के क्षारीय होने की ओर इशारा करता है. नाइट्रोजन, पोटैशियम और सल्फर मुख्य पोषक तत्व हैं जो अन्य पोषक तत्वों की तुलना में मिट्टी के पीएच से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होते हुए दिखाई देते हैं. पौधों के लिए जरूरी वृहद पोषक तत्वों में फोस्फोरस सीधे प्रभावित होता है, क्योंकि क्षारीय पीएच मान पर फोस्फेट आयन कैल्सियम और मैग्नीशियम के साथ तेजी से प्रतिक्रिया करते हैं, हालाँकि, मिट्टी के अम्लीय होने पर, फोस्फेट आयन एलुमिनियम और लोहे के साथ प्रतिक्रिया कर घुलनशील यौगिकों का निर्माण करते हैं.

बोरॉन (B), लोहा (Fe), क्लोरीन (Cl), तांबा (Cu), मैंगनीज (Mn), मोलिब्डेनम (Mo) और जस्ता (Zn) को सूक्ष्म पोषक तत्व कहते है क्योंकि वृहद पोषक तत्वों की तुलना में बहुत कम मात्रा में उनकी जरूरत होती हैं. अधिकांश अन्य पोषक तत्व (विशेष रूप से सूक्ष्म पोषक तत्व) कम मात्रा में उपलब्ध होते हैं जब मिट्टी का पीएच 7.5 से अधिक होता है और वास्तव में थोड़े अम्लीय पीएच, जैसे 6.5 से 6.8 पर अधिक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते है. इसका अपवाद केवल मोलिब्डेनम (Mo) है, जो अम्लीय पीएच में कम उपलब्ध होता है और क्षारीय पीएच में औसत रूप से उपलब्ध होता है. इस प्रकार, पोषक तत्वों की उपलब्धता मिट्टी के पीएच के कारण प्रभावित होती है. इसलिए मिट्टी के पीएच को इसके अनुकूलतम स्तर पर बनाएं रखना चाहिए ताकि सभी पोषक तत्व अपने घुलनशील रूप में उपलब्ध रहें और मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि हो सके. मृदा संरक्षण, फसल प्रबंधन और फसल बीमा के बारे में नई और अद्यतन जानकारी  पाने के लिए हमारे साथ 'फार्ममित्र' मोबाइल एप्लिकेशन पर जुड़े रहे.

लेखक:

1) श्री. आशिष अग्रवाल, प्रमुख, कृषि विभाग, बजाज अलियान्झ जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. येरवडा, पुणे, महाराष्ट्र.

2) श्रीमती. प्राजक्ता पाटील, कृषिविशेषज्ञ, फार्ममित्र टीम, कृषि विभाग, बजाज अलियान्झ जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. येरवडा, पुणे, महाराष्ट्र.

संदर्भ :

ऐप को डाउनलोड करें: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bagic.farmitra&hl=en

ये खबर भी पढ़े: मृदा परीक्षण (मिट्टी जाँच) से क्या लाभ हो सकते हैं? जानिए “फार्ममित्र” से

English Summary: Soil fertility, how are it an integral part of soil health?
Published on: 28 May 2020, 07:25 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now