कोरोना वैश्विक महामारी ने भारत सरकार को दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन को लागू करने के लिए मजबूर कर दिया. यह राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन निश्चित रूप से इस महामारी से निपटने का एक मात्र समाधान रहा होगा लेकिन इनसे रोज़ कमाने वाले कामगारो को आर्थिक संकट से युद्ध करना पड़ रहा है. अनौपचारिक क्षेत्र में अनुमानित 42 करोड़ भारतीय काम कर रहे हैं जिनकी आजीविका लॉकडाउन के कारण संकट में है. एक लेख में दावा गया है कि "भारत में लॉकडाउन के परिणामस्वरूप कोरोना से अधिक लोग भूख से मर सकते हैं."
जहां एक ओर भुखमरी है, वहीं दूसरी ओर कृषि बाजार में आपूर्ति श्रृंखला के चुनौतियों के कारण समय पर क्रय-विक्रय नहीं हो रहा है . लॉकडाउन के बाद, लगभग 50-60% मंडियों में लेन देन बंद हैं, जिसने प्रत्यक्ष कृषि व्यापारियों (10.5 करोड़ व्यापारियों ) और कुल कृषि क्षेत्र में कार्यरत (21.7 करोड़ कार्यबल) को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. कृषि बाजार में मजदूरों, खरीदारों और परिवाहको के अभाव में किसान को एम. एस. पी.(न्यूनतम समर्थन मूल्य) से कम कीमत पर उपज को बेचना पड़ रहा हैं. जे.एम. फाइनेंशियल की रिपोर्ट के अनुसार मार्च '2020 में गेहूं की आवक में 31% की गिरावट आई है, और मार्च 2019 की तुलना में प्याज और आलू के आवक में 60% तक गिरावट देखा गया है.
गैर सरकारी संगठन(एन. जी. ओ.), फाउंडेशन और अन्य धर्मार्थ संगठन ने जरूरतमंद लोगों तक आवश्यक वस्तुओं (सब्जी, फल और खाद्य सामग्री) की आपूर्ति करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. अनुमान है कि लॉकडाउन अवधि के दौरान भोजन के वितरण की दिशा में धर्मार्थ संगठनों द्वारा ₹200 करोड़ से अधिक की खाद्य सामग्री का दान किया गया है. हालांकि, ये संगठन परंपरागत रूप से कृषि वस्तुओं की क्रय-विक्रय के व्यवसाय में नहीं हैं अतः इन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे जल्दी से थोक मे माल खरीदना और कम से कम समय में ही मांग की आपूर्ति पूरा करना.
इस समय किसान, किसान उत्पादक संगठन और व्यापारी अचानक बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों को माल की आपूर्ति कर सकते हैं तथा इससे आपूर्ति श्रृंखला में कार्यरत लोगों की आय बढ़ाने में मदद भी हो सकता है. हाल ही में, महाराष्ट्र में अहमदनगर के एक एफ.पी.ओ. “राहुरी कृषि किसान उत्पादक कंपनी” ने मुंबई के झुग्गी बस्तियों में “बीजक” (ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म) के माध्यम से लगभग 70,000 परिवारों को वितरण के लिए एक गैर सरकारी संगठन को 200 टन से अधिक ताजा उपज की आपूर्ति की. “बीजक” इस व्यापार के माध्यम से किसानों की आय सुनिश्चित करने तथा भूखे लोगों तक भोजन पहुंचाने में कामयाब हो रहा है.
“राहुरी कृषि किसान उत्पादक कंपनी” के निदेशक अनिल गावड़े कहते हैं, “बीजक ने प्याज की आपूर्ति के लिए हमें गैर सरकारी संगठनों के साथ जोड़ा. कोरोना संकटकालीन स्थिति में भी हम किसानों की आय और जरूरतमंद लोगों की सेवा करने में सक्षम रहे. हम बीजक के साथ सत्यापित आपूर्तिकर्ता के रूप में जुड़कर एक सच्चे साथी की भूमिका निभा रहे हैं.”
जिस तरह से कृषि व्यापार हो रहा है, उसमें बहुत बदलाव आया है जैसे बहुत सारे किसान / व्यापारी / एफ.पी.ओ ऑनलाइन या फोन कॉल पर लेन-देन कर रहे हैं क्योंकि प्रतिदिन यात्रा संभव नहीं है. व्यापार को सम्पूर्ण रूप से सक्षम करने हेतु सरकार ने E-NAM के बुनियादी ढांचे में सुधार करके अपना पूर्ण समर्थन दिया है. अतः कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वसनीय खरीददारों और आपूर्तिकर्ताओं का पता लगाने के लिए “बीजक ऐप” एक अहम भूमिका निभा रहा है.
“बीजक” एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, जो कृषि उपज व्यापार के लेन-देन की मुफ़्त सुविधा देता है. बीजक का उद्देश्य कृषि उपज के व्यापार में सूचना, विषमता और जवाबदेही की कमी को कम करना है. थोक व्यापारी, जो भारत के ₹ 22.97 लाख करोड़ कृषि व्यापार के 80% भाग को नियंत्रित करता है लेकिन उनके पास प्रौद्योगिकी, सूचना और क्रेडिट के सीमित साधन है. बीजक इन व्यवसाइयों की निष्पक्ष रेटिंग के साथ एक-दूसरे को खोजने और विश्वसनीयता के आधार पर आसानी से लेन-देन करने में मदद करता हैं. अप्रैल 2019 में आरम्भ होने के बाद से बीजक ने 22 राज्यों, 400 क्षेत्रों और 80+ कृषि उत्पादों में विस्तार किया है.
बीजक ने गैर-सरकारी संगठनों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एक साथ मिलकर एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है. यह भारत के किसी भी शहर में जल्द से जल्द आवश्यक वस्तुओं का बड़ी मात्रा में वितरण कर सकता है. बीजक की आपूर्ति श्रृंखला कृषि व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों के साथ निकटता से जुड़ी हुई है और लॉकडाउन नियमों से प्रभावित नहीं होती है. बीजक ने चैरिटेबल संगठनों के लिए एक वेब प्लेटफॉर्म (together.bijak.in) प्रारम्भ किया है ताकि भण्डारण की उपलब्धता को दिखाने के लिए मांग और सप्लायर्स (किसानों, एफपीओ या व्यापारियों) को बढ़ाया जा सके. बीजक आपूर्तिकर्ताओं के लिए धर्मार्थ संगठनों से जुड़कर मांग-पूर्ति के अंतर को कम करने में मदद करेगा.
यदि आप थोक व्यापारी, एफ.पी.ओ. या किसान हैं, तो “बीजक टुगेदर प्लेटफॉर्म” के माध्यम से प्रचुर मात्रा में कृषि उपज की बिक्री कर सकते हैं. आप अपनी जरूरतों को उपरोक्त वेबसाइट पर दर्ज कर सकते हैं या + 91-9764978252 पर कॉल कर सकते हैं. आप भरोसेमंद खरीददारों (कमीशन एजेंटों, व्यापारियों, निर्यातकों, अन्य संस्थानों) को अपना माल बेचने के लिए Google PlayStore पर free Bijak application भी डाउनलोड कर सकते हैं. बीजक एप्लिकेशन आसान बहीखाता, त्वरित क्रेडिट, सुरक्षित भुगतान माध्यम और सटीक बाजार मूल्य जैसी मुफ्त सेवाएं भी प्रदान करता है.
भारत एक कृषि प्रधान देश है, अतः हम देश के अन्नदाताओं और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के संचालकों से आग्रह करते है की संकट के इस समय में आप सभी एकजुट होकर भूख से पीड़ित लोगों का बचाव करें.
बीजक के टुगेदर अभियान में जुड़े और भारत को कोरोना से लड़ने में मदद करें।